सैल्फी क्वीन नाम कहां से पड़ गया?
10 साल पहले जब स्मार्ट फोन में सैल्फी सुविधा नहीं थी तब मैं अकेले में अपने कैमरे या फोन से कुछ न कुछ शूट करती रहती थी. एक बार मन में आया कि क्यों न कुछ अलग गा कर खुद को शूट करूं. फिर मैं ने अपना गाते हुए वीडियो बनाया और इंटरनैट पर डाल दिया. कुछ ही दिनों में मेरे पास किसी का फोन आया कि तुम्हारा वीडियो वायरल हो गया है. लोग बहुत पसंद कर रहे हैं. इसके बाद मैं ने कुछ और वीडियो बनाए और नाम मीडिया ने दे दिया.
कितने साल का हो गया संगीत का सफर?
मैं 4 साल की उम्र से गा रही हूं. दिल्ली में ही पलीबढ़ी हूं. हम लोग ज्यादा पैसे वाले नहीं थे, इसलिए मैं शौकिया नहीं पैसे कमाने के लिए गाती थी. मेरे पापा और बड़े भाई भी मेरे साथ गाते थे. मैं ने कहीं से संगीत की शिक्षा नहीं ली. जो सीखा पापा से सीखा और स्टेज पर आ गई. स्कूल भी ज्यादा नहीं जा पाती थी, क्योंकि शोज करने होते थे, लेकिन जिस स्कूल में पढ़ती थी उस में पूरा साल धमाल करती रहती थी. मैं ने कई स्कूली कार्यक्रमों में अपनी गायन की प्रतिभा दिखाई है. इसलिए स्कूल न जाने पर भी सभी टीचर्स की चहेती बनी रहती थी.
जिस शो में एक कंटैस्टैंट बन कर आई थीं उसी में जज बनने पर कैसा लग रहा है?
12 साल पहले जब मैं इंडियन आइडियल में एक कंटैस्टैंट के रूप में आई तो मुझे रिजैक्ट कर दिया गया था. उसी दिन मैं ने सोच लिया था कि कुछ तो ऐसा करना है, जिस से नाम हो. फिर जीतोड़ मेहनत की और दूसरे सीजन की विनर बनी. आज मैं उसी शो की जज की कुरसी पर हूं. यह मेरे लिए एक सपने के सच होने के बराबर है और दूसरों के लिए सीख भी कि नाकामयाबी जीवन का अंत नहीं है.