इटालियन शब्द ‘ओमेर्टा’ का अर्थ होता है माफिया. मगर हंसल मेहता की फिल्म ‘ओमेर्टा’ इटालियन माफिया की कहानी नहीं है. बल्कि हंसल मेहता की बायोग्राफिकल अपराध कथा वाली फिल्म ‘‘ओमेर्टा’’ मशहूर आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख के जीवन पर बनायी गयी है. इसे कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में  काफी सराहा जा चुका है. पर यह फिल्म फीचर फिल्म की बजाय डाक्यू ड्रामा वाली फिल्म है.

फिल्म की कहानी पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक अहमद उमर सईद शेख (राज कुमार राव) के इर्द गिर्द घूमती है. लंदन में पढ़ाई कर रहा अहमद उमर सईद शेख एक अच्छे मध्यमवर्गीय परिवार से है. लेकिन 1994 में सीरिया व बोसनिया में जो कुछ होता है, उससे उसकाब्रेन वाश हो जाता है. फिर उमर एक गलत राह पकड़ लेता है. वह ‘कश्मीर स्वतंत्रता’ की मुहिम का हिस्सा बन जाता है. फिर उमर पाकिस्तानी कट्टर पंथियों और आई एस आई के इशारे पर रोहित वर्मा बनकर भारत आता है. और दिल्ली में कुछ विदेशी पर्यटकों को अगवा कर उनकी हत्या कर देता है.

पकड़े जाने पर उमर सईद को दिल्ली की तिहाड़ जेल में काफी टार्चर किया जाता है. फिर पाकिस्तानी आकाओं के इशारे पर कुछ आतंकवादी भारतीय जहाज आई सी -184 का अपहरण कर कंधार ले जाते हैं और विमान के यात्रियों को रिहा करने के बदले जेल से उमर सईद शेख व मसूद अजहर सहित चार आतंकवादी साथियों की रिहाई की मांग करते हैं. उमर सईद रिहा होकर पाकिस्तान चला जाता है और उन पर आतंकवादी का ठप्पा लग जाता है. जबकि उमर के पिता (केवल अरोड़ा) चिल्लाते रहते हैं कि उनका बेटा आतंकवादी नहीं है. पर उमर तो पाकिस्तानी सेना व जासूसी संस्था के इशारे पर काम करता रहता है.

फिर 9/11 यानी कि ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ पर आतंकवादी हमले और मुंबई के 26/11 से उसके जुड़े होने की बात की गयी है. 2002 में उमर सईद,बशीर बनकर अमरीकन पत्रकार डैनियल पर्ल (तिमोथी रायन) से मिलता है और फिर उसकी हत्या करता है. अमरीकन सरकार के दबाव के चलते पाकिस्तानी सरकार को उमर को गिरफ्तार कर सजा सुनानी पड़ती है. उमर सईद शेख अभी भी पाकिस्तानी जेल में बंद है.

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