हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘केसरी’ में अक्षय कुमार के साथ स्क्रिन शेयर करने वाली अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा पंजाबी परिवार की हैं. वह अपना कैरियर इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में बनाना चाहती थीं और इसके लिए उन्होंने 17 साल की उम्र में लन्दन के मेनचेस्टर बिजनेस औफ स्कूल से बिजनेस, फाइनेंस और इकौनोमिक्स में औनर्स की डिग्री प्राप्त कर भारत लौटी और यशराज फिल्म्स के यहां पब्लिक रिलेशन कंसल्टेंट के तौर पर काम करने लगीं. वहीं उसे पहली फिल्म करने का मौका मिला और अब वह एक अभिनेत्री बन चुकी हैं.
उन्हें हर तरह की फिल्में करना पसंद है. स्पष्टभाषी परिणीति अभी फिल्म ‘केसरी’ में एक साधारण गृहणी की भूमिका निभा रही हैं, जिसे लेकर वह बहुत उत्सुक हैं. पेश है कुछ अंश.
इस फिल्म को करने की खास वजह क्या है?
मैं पंजाबी हूं और जब इस फिल्म की कहानी सुनी, तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए. सारागढ़ी के बहादुरी की ये एक बड़ी मिसाल है, जिसे सभी को देखने की जरुरत है और मेरे लिए ऐसी कहानी का हिस्सा बनना गर्व की बात है.
इसमें आपने साधारण पत्नी की भूमिका निभाई है, कितनी तैयारियां करनी पड़ी?
निर्देशक ने इसमें काफी सहयोग दिया है और मैंने ऐसे कई घरों को देखा, जहां एक साधारण पत्नी कैसे रहती है, बस उसी को फोलो किया. मैंने इसमें शर्मीली लड़की की भूमिका निभाई है. मैंने सिर्फ 15 दिन की शूटिंग इसमें की है. अभिनय की सारी बातें सेट पर ही पता चल पाती थी. इसलिए मुश्किल नहीं हुई.
आजकल आपकी फिल्में कम आ रही है, इसकी वजह क्या मानती हैं?
ऐसा कुछ भी नहीं है कि मैं कम फिल्में कर रही हूं या लाइम लाइट में नहीं हूं. मेरी पिछली फिल्म नहीं चली, फिर भी निर्देशक का मुझपर विश्वास है और काम मिल रहा है. मीडिया के पास हम तब आते हैं, जब फिल्म पूरी बन गयी हो. एक फिल्म के बनने में सालों लगते हैं, ऐसे में हमेशा कुछ न कुछ फिल्म से सम्बंधित काम चलता रहता है.
अभी आपमें कितना बदलाव आया है?
पहले से मैं अब काफी मेच्योर हो चुकी हूं और समझदारी के साथ स्क्रिप्ट चुन सकती हूं. इसके अलावा पहले मैं शौपिंग नहीं करना चाहती थी. अब मैं बहुत औनलाइन शौपिंग करती हूं.
बहादुरी की इस फिल्म को करने के बाद आपके दिल में बहादुर जवानों के प्रति भावनाएं कितनी प्रबल हुई हैं?
मैं खुद एक आर्मी कैंट में बड़ी हुई हूं. मेरे पिता आर्मी से आजतक व्यवसाय करते हैं. जिस तरह से हमारा जुड़ाव सैनिकों से है, वैसा अधिकतर लोगों का नहीं होता. नेशनल एंथम सुनने पर मुझे बहुत शांति मिलती है. मैं इससे भी अधिक बहादुरी की फिल्में करना चाहती हूं, जिसमें मेरा जुड़ाव अच्छा हो.
क्या आप रीजनल फिल्में करना चाहती हैं?
दरअसल मैं पंजाबी स्क्रिप्ट खोज रही हूं और अगर मिले, तो सौ प्रतिशत करना चाहती हूं. मुझे पंजाबी संस्कृति बहुत पसंद है और दिल से करना चाहती हूं. मैं हर भाषा की फिल्म करना चाहती हूं, कोई भी भाषा मेरी एक्टिंग के आड़े नहीं आ सकती.
फिल्म इंडस्ट्री में अभी महिला प्रधान फिल्में काफी बन रही है और उसे सराहा भी जा रहा है, इसे आप कैसे देखती हैं?
मैं हमेशा महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने में जुटी रहती हूं. महिला प्रधान फिल्मों को एक ढांचे में ढाला जाता है और इस तरह से हम खुद उसे बाकी फिल्मों से अलग कर रहे हैं जो ठीक नहीं. फिल्म तो फिल्म है और एक कहानी कहने की कोशिश कर रही है.
शादीशुदा अभिनेत्री की अगर हम बात करें, तो एक लड़की है जिसने शादी की है और जीने के लिए काम कर रही है. इसे अलग रूप में देखने का किसी को हक नहीं है. इससे हम अपने आपको नीचा कर रहे है. अभी मेरी जर्नी अच्छी चल रही है और मैं इससे संतुष्ट हूं.