रेटिंगः तीन स्टार
निर्माताः मेहुल शाह,आदित्य राठी और गायत्री पाटिल
लेखक व निर्देशकः आदित्य राठी और गायत्री पाटिल
कलाकारः नीना कुलकर्णी, अमिता खोपकर,विकास हांडे, चैताली रोडे,समीर धर्माधिकारी, समय संजीव तांबे
अवधिः एक घंटा तैंतिस मिनट
ओटीटी प्लेटफार्मः अमैजॉन प्राइम
पिछले कुछ वर्षों से दर्शक व्यावसायिक सिनेमा देखते देखते उब गया है. लेकिन अब लोगों के चेहरे पर स्निग्ध मुस्कान लाने वाली फिल्म ‘‘फोटो प्रेम’’ओटीटी प्लेटफार्म अमैजॉन प्राइम पर आयी है. फिल्म मराठी भाषा में है. कुछ संवाद हिंदी में है. मगर हर किसी को इसकी बातें समझ में आ सकती हैं. वैसे भी फिल्म में अंग्रेजी भाषा में सब टाइटल्स हैं. इस फिल्म की कहानी एक सहज व सीधी सादी महिला की है,जो भविष्य की पीढ़ियों द्वारा उसके निधन के बाद उसे भूल जाने को लेकर चिंतित है.
कहानीः
फिल्म की कहानी शुरू होती है अविनाश और मयूरी(प्रडण्या जावले)के विवाह से,जहां एक फोटोग्राफर इन दोनों की अलग अलग पोज में फोटो खींच रहा है. लेकिन मयूरी की 55 वर्षीय माई यानी कि मां सुनंदा(नीना कुलकर्णी ) को फोटो खिंचवाने में कोई रूचि नही है. सुनंदा को ‘फोटो फोबिया’@6कैमरा फोबिया’है. मयूरी के दबाव में अनमने मन से वह किसी तरह फोटो खिंचवा लेती है. उसके कुछ दिन बाद पता चलता है कि सुनंदा के पति के सहकर्मी जोशी की पत्नी का निधन हो गया है. सुनंदा और उसके पति जोशी के घर पहुंचते है. वहां पता चलता है कि शोकसभा में रखने और अखबार में श्रृद्धांजली के साथ छपने के लिए जोशी की पत्नी की कोई फोटो नही है. वह लोग उसकी बचपन की एक फोटो का ‘फोटोफ्रेम’ बनाकर शोकसभा में रखते है. यह देखकर माई यानी कि सुनंदा चिंतित हो जाती है. सुनंदा ने भी कभी फोटो नहीं खिंचवायी. उन्हें याद आता है कि शादी के लिए जब फोटो देनी थी,तो किस तरह उनके माता पिता ने फोटोग्राफर को घर बुलाकर जबरन उनकी फोटो खिंचवायी थी.