रेटिंग: ढाई स्टार
निर्माता: अर्रे स्टूडियो
निर्देशक:सागर बल्लारी
कलाकारः गजराज राव, यशपाल शर्मा, रणवीर शोरी, निधि सिंह, विजय राज.
अवधि: छह एपीसोड- 21 से 25 मिनट के छह एपीसोड
ओटीटी प्लेटफार्मः हॉटस्टार डिजनी
जमीन जायदाद के लिए एक परिवार के सदस्यों के बीच क्या-क्या होता है, इसे निर्देशक सागर बल्लारी हास्यप्रद वेब सीरीज “परिवार” में लेकर आए है. जो कि 23 सितंबर से हॉटस्टार डिजनी पर प्रसारित हो रही है. जिसमें परिवार की महत्ता पर जोर दिया गया है
कहानी:
यह कहानी है उत्तर प्रदेश के प्रयाग में रहने वाले कांशीराम नारायण (गजराज राव) के परिवार की. कांशीराम की बेटी मंदाकिनी(निधि सिंह) अमेरिका में रहती है. बड़े बेटे महिपाल(यशपाल शर्मा) बनारस में और छोटे बेटे शीशुपाल (रणवीर शोरी) मुंबई में रहते हैं. . महिपाल की पत्नी मंजू (अनुरीता झा)के अलावा दो बच्चे हैं, जबकि शीशुपाल के पत्नी अंजू (सादिया सिद्दीकी) और एक बेटा है. कांशीराम चाहते हैं कि उनके बेटे और उनकी बेटी उनके उनके साथ रह कर उनकी सेवा करें. इसलिए वह बार-बार अस्पताल में पहुंचकर बीमार होने का बहाना कर अपने बेटे और बेटी को बुलाते रहते हैं. उनका नौकर बबलू इस बात से परेशान भी रहता है. एक दिन फिर कांशीराम अस्पताल में पहुंचकर बबलू(कुमार अरुण) के माध्यम से अपने दोनों बेटों वह बेटी मंदाकिनी को संदेश भेजते हैं कि उन्हें हार्ट अटैक आ गया है, और वह मरने वाले हैं. दोनों बेटे व बेटी अपने परिवार के साथ प्रयागराज पहुंच जाते हैं. तब उन्हें पता चलता है कि कांशीराम अब ठीक है. इतना ही नहीं महिपाल ,शिशुपाल और मंदाकिनी को पता चलता है कि उनके पिता के पास करीबन 50 एकड़ जमीन है. जिसमें से उन्होंने को जमीन जमीन दोनों बेटे और एक बेटी के नाम कर दिया है. पर उन्होंने 30 एकड़ जमीन गंगाराम(विजय राज) को दी है, जो इस जमीन पर एशिया का सबसे बड़ा ‘विदुर आश्रम’ बनाने वाला है. हकीकत में गंगाराम उस जमीन पर एक फैक्ट्री खड़ा करना चाहता है. गंगाराम का बेटा मुन्ना(अभिषेक बनर्जी) कुछ कर नहीं पाया और अब 5 साल से एक अस्पताल में नर्स के रूप में काम कर रहा है. पर मंदाकिनी आज भी मुन्ना से प्यार करती है.
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गंगाराम अपने बेटे मुन्ना से कहता है कि वह प्यार के बहाने मंदाकिनी से जमीन के एनओसी वाले कागज पर हस्ताक्षर करवा ले. मगर इस बीच पटवारी के साथ महिपाल, शिशुपाल व मंदाकिनी जमीन देखने पहुंच जाते हैं. पटवारी उन्हें बता देता है कि एनओसी वाले कागज पर साइन ना करें. कांशीराम के लिए अस्पताल का डेढ़ लाख रुपए का बिल जमा करने के बाद गंगाराम, कांशीराम के घर पहुंचता है. वह महिपाल और शिशुपाल से कहता है कि वे एनओसी पर हस्ताक्षर कर दें, जिससे ‘विदुर आश्रम’ का निर्माण शुरू हो जाए. शिशुपाल एनओसी का पेपर पढ़ता है, जिसमें लिखा है कि फैक्ट्री बनाना है. इससे दोनों गंगाराम की पिटाई कर देते हैं. यह बात कांशीराम को पसंद नहीं आती. उधर पिता को मरने से बचाने के लिए मंदाकिनी एक बहुरूपिया पंडित चित्रकूट( पियुष कुमार) को लेकर आती है, जिसे एक दिन दोनों भाई भगा देते हैं. कहानी आगे बढ़ती है. मंजू ,महिपाल से इलाहाबाद में ही होमस्टे शुरू करने की सलाह देती है. उधर बनारस में महिपाल के खिलाफ एक बिल्डर पड़ा हुआ है. तो वही शिशुपाल की नौकरी चली गई है और अंजू की सलाह पर शिशुपाल वकील दिलीप से मिलकर अपने पिता की जमीन गंगाराम के पास ना जाने पाए, इसके लिए सलाह लेता है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं एक वक्त वह आता है, जब महिपाल अपने छोटे भाई शिशुपाल और बहन मंदाकिनी द्वारा दिए गए पावर अटार्नी को गंगाराम के नाम कर देता है. इससे बवाल होता है. मंदाकिनी अमेरिका वापस जाने का निर्णय लेती है. उसके बाद मुन्ना, गंगाराम, मंदाकिनी और कांशीराम मिलकर एक नाटक रचते हैं. उसके बाद सभी को समझ में आता है कि जमीन जायदाद से भी बढ़कर पारिवारिक सदस्यों के बीच आपसे प्यार है.
लेखन व निर्देशन:
निर्देशक सागर बल्लारी और लेखक गगनजीत सिंह और शांतनु अमान ने चरित्रों के निर्माण के दौरान इस बात पर ज्यादा ध्यान दिया है कि चरित्र ‘कॉमिक स्केच’न नजर आए. ‘भेजा फ्राय’ फेम निर्देषक सागर बलैरी के निर्देषन की तारीफ करनी पड़ेगी,उनके निर्देषन की खूबी के चलते कहानी एपीसोड दर एपीसोड सहजता से आगे बढ़ती रहती है. मगर कंटेंट के हिसाब से कुछ भी नयापन नही है. उत्तर भारत के लगभग हर घर में यही सब होता रहता है. इतना ही नही इस तरह की कहानियां कई फिल्मों व कुछ वेब सीरीज में आ चुकी हैं. मंदाकिनी और मुन्ना के बीच का रोमांस ठीक से उभरता नही है. इंसान हंसना चाहे तो भी हॅंसी नही आती. कुछ दृष्यों में अहसास होता है कि हम नाटक देख रहे हैं. सुखद बात यही है कि पिता अपने दोनो बेटों व बेटी को वापस प्रयागराज क्यों बुलाता है,इसका रहस्य सबसे अंत मंे सामने आता है.
इसकी प्रोडक्षन वैल्यू भी कमतर है.
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अभिनयः
‘‘बधाई हो’’फेम अभिनेता गजराज राव के हिस्से करने को कुछ आया ही नही. यशपाल शर्मा और रणवीर शौरी ऐसे अनुभवी कलाकार हैं,जो षुष्क दृश्यों को भी जीवंत कर सकते हैं. पर लेखकीय कमजोरी के चलते दोनों की प्रतिभा उभर नहीं पाती. शिशुपाल की पत्नी अंजू की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री सादिया सिद्दीकी को समान अवसर नहीं दिया गया. कांशीराम के घरेलू नौकर बबलू के किरदार में कुमार वरुण के पास करने को काफी कुछ था,पर वह ओवर एक्टिंग ही करते नजर आए. पूरी वेब सीरीज को गंगाराम का किरदार निभाने वाले अभिनेता विजय राज ही अपने कंधे पर ले जाते हैं. उन्होने षानदार अभिनय किया है. अन्य कलाकार ठीक ठाक ही रहे.