एआर रहमान आज के समय में देश के सबसे बड़े संगीतकार हैं. उनकी संगीत ना सिर्फ देश में, बल्कि दुनिया भर में लोगों की पसंद है. दुनिया के तमाम देशों में रहमान के संगीत पर काम किया जाता है. संगीत की क्लास में रहमान की धुन सिखाई पढ़ाई जाती है. पर रहमान के जीवन के भी एक ऐसा वक्त आया था जब उन्होनें खुदकुशी के बारे में सोचना शुरू कर दिया था.
एक वक्त था जब रहमान अपने करियर में संघर्ष कर रहे थे. वो काम के लिए दर दर भटक रहे थे. उनके कमजोर वक्त में उनका परिवार उनकी ताकत बनी. परिवार ने उन्हें मजबूती दी.
इन बातों का खुलासा रहमान ने अपनी किताब में किया. मुंबई में ‘नोट्स औफ ए ड्रीम: द औथराइज्ड बायोग्राफी औफ ए आर रहमान' के विमोचन में रहमान ने अपने बुरे दिनों के बारे में काफी बातें कही हैं. इस किताब के लेखक कृष्ण त्रिलोक हैं.
रहमान ने कहा, ‘25 साल तक, मैं खुदकुशी करने के बारे में सोचता था. हम में से ज्यादातर महसूस करते हैं कि यह अच्छा नहीं है. क्योंकि मेरे पिता की मौत हो गई थी तो एक तरह का खालीपन था... कई सारी चीजें हो रही थीं. मैं बहुत अधिक फिल्में नहीं कर रहा था. मुझे 35 मिलीं और मैंने सिर्फ 2 कीं.’
रहमान ने आगे कहा, ‘इन सब चीजों ने मुझे और अधिक निडर बना दिया. मौत निश्चित है. जो भी चीज बनी है उसके इस्तेमाल की अंतिम तिथि निर्धारित है तो किसी चीज से क्या डरना.’
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