रेटिंग: पांच में से एक स्टार

 निर्माता: एकता कपूर शोभा कपूर

लेखनः राज शांडिल्य नरेश कथूरिया

निर्देषन: राज शांडिल्य

कलाकार:आयुश्मान खुराना,अनन्या पांडे,अन्नू कपूर,परेश रावल,राजपाल यादव,अभिषेक बनर्जी,मनजोत सिंह, मनोज जोशी सीमा पाहवा,विजय राज,असरानी अन्य.

अवधिः दो घंटे तेरह मिनट

लगातार आठ वर्ष तक  टीवी शो ‘‘कौमेडी सर्कस’’ के संवाद लिखते रहे राज शांडिल्य ने बाद में कुछ असफल फिल्मों के भी संवाद लिखे, मगर बतौर लेखक व निर्देशक 2019 में आयी उनकी फिल्म ‘‘ड्रीम गर्ल’’ ने सफलता के परचम लहरा दिए थे. उसी फिल्म का सिक्अवल ‘ड्रीम गर्ल 2’’ लेकर अब वह आए हैं और उन्होने बता दिया कि वह महज व्हाट्सअप युनिवर्सिटी के चेले है,जिन्हे एक अच्छी कहानी,पटकथा व संवाद लिखना नही आता और न ही वह अच्छे निर्देशक हैं. वास्तव में राज शांडिल्य ने टीवी एपीसोडिक की तरह कुछ हास्य एपीसोड ‘व्हाट्सअप युनिवर्सिटी’ की मदद से लिख डाले, मगर उन्हे फिल्म की कहानी के रूप में बुनना नहीं आया. राज शांडिल्य वही हैं,जिन पर पिछली फिल्म ‘जनहित में जारी’ पर चोरी की कहानी होने का आरोप लगा था और मामला अदालत पहुॅचा,तब लेखक को बड़ी रकम देकर छुटकारा पाया था.

कहानी:

फिल्म ‘‘ड्रीम गर्ल 2‘’ की कहानी मथुरा में यमुना नदी के किनारे रह रहे जगजीत(अन्नू कपूर) व उनके बेटे करम (आयुश्मान खुराना ) के इर्द गिर्द घूमती है. पिछली फिल्म की तरह इस फिल्म में भी करम अपने पिता का कर्ज चुकाने के लिए हर दिन संघर्ष कर रहा है. लेकिन इस बार उसकी जिंदगी में वकालत कर रही परी (अनन्या पांडे  ) आ गयी हैं. परी के वकील पिता श्रीवास्तव ( मनोज जोशी  ),करम के घर के हालात देखकर शर्त रख देते हैं कि करम को शादी से पहले छह माह के अंदर अच्छा घर और अपने खाते में 25 लाख रुपये जमा करके दिखाने होंगे. यहीं से सारा झोल शुरू होता है.

करम पहले तो लेना देना बैंक के टाइगर पांडे(रंजन राज)  से पूजा बन लड़की की आवाज में बात करके अपने पिता के क्रेडिट कार्ड की रकम भरवाते हैं.पिछली फिल्म में करम नाटकों में सीता या राधा बनते थे,इस बार करम अपने दोस्त स्माइली(मनजोत सिंह)  की सलाह मानकर निजी जिंदगी में लड़की यानी कि पूजा बनकर बार डांस में डांस करने से लेकर अपने दोस्त स्माइली की शादी अबू सलीम ( परेश रावल)की बेटी सकीना (अनुषा मिश्रा) से हो सके,इसलिए स्माइली के कहने पर करम उर्फ पूजा अबू सलीम के अवसादग्रस्त बेटे शाहरुख ( अभिषेक बनर्जी) के साथ शादी करते हैं. जबकि शाहरुख का सौतेला भाई षौकिया (राजपाल यादव )  खुद पूजा से शादी करना चाहता है. उधर बार डांस के मालिक साजन तिवारी उर्फ सोना भाई (विजय राज)  के दो बच्चों की मां बनने के लिए भी हामी भरते हैं. जबकि करम के साथ शाहरुख की बुआ और साजन की पत्नी जुमानी (सीमा पाहवा) शादी करना चाहती हैं. अब इन्हीं मुश्किलों के चलते हास्य पैदा होता है.

लेखन निर्देशनः

इस बार राज शांडिल्य ने लेखन में नरेश कथूरिया की मदद ली है. इसके बावजूद पटकथा व संवाद अति कमजोर हैं.पर फूहड़ संवाद भरे पड़े हैं. राज शांडिल्य ने फिल्म में गंगा जमुनी तहजीब परोसते हुए भारतीय संस्कृति का जमकर माखौल उड़ाया है. श्रीलंका के आर्थिक संकट से लेकर बूढ़े इंसान की उम्र तक पर जिस तरह का अति फूहड़ व घटिया मजाक उड़ाया गया है,उससे यह लगता है कि राज शांडिल्य भारत में नही बल्कि उस देश के निवासी हैं,जहां रिश्तों व मानवता की कोई कद्र नही है. कई दृष्यों में लेखक व निर्देशक की असंवेदन शीलता नजर आती है. फिल्मकार ने पटकथा की कमी को छिपाने के लिए फिल्म में परेश रावल, अन्नू कपूर और राजपाल  यादव से लेकर मनोज जोशी, सीमा पाहवा, विजय राज, अभिषेक बनर्जी, मनजोत सिंह जैसे हास्य कलाकारों की पूरी बरात जमा कर ली,पर फिल्म अच्छी न बना सके. फिल्म के क्लायमेक्स में जब परी नाव पर यमुना नदी से अपनी बारात लेकर आती हैं,वह दृश्य अवश्य खूबसूरत लगता है.

फिल्म का गीत संगीत भी स्तरहीन ही है. मजेदार बात यह है कि इस फिल्म में भी ‘गदर 2’ का गाना ‘में गड्डी लेके निकला..’ को बैकग्राउंड में डाला गया है. ऐसा क्यों यह तो निर्माता व निर्देशक ही जाने?

अभिनयः

करम व पूजा का किरदार निभाने वाले तथा खुद को ‘गृहशोभा मैन’ कहने वाले अभिनेता आयुश्मान खुराना शुरू से ही अलग तरह का सिनेमा कर लोकप्रियता हासिल करते आए हैं,मगर पिछले कुछ समय से उनकी फिल्में असफल हो रही हैं और उनके अभिनय में भी कमी नजर आने लगी है. फिल्म ‘ड्रीं गर्ल’ में वह पूजा के रूप में काल सेंटर में सिर्फ लड़की की आवाज में बात करते थे.

लेकिन ‘ड्रीम गर्ल 2’ मे तो वह पूजा नामक लड़की बने हैं और इस बार उनके दिमाग सिर्फ यही था कि उन्हे लड़की बनना है.वैसे आयुष्मान खुराना ने अपनी तरफ से नारी सुलभ भाव व नखरों से लोगों को आकर्षित करने का प्रयास करते हुए नजर आते हैं,मगर वह शास्त्रीय नृत्य के जानकर नही है. इसके अलावा उन्हे पटकथा व संवादो का भी आपेक्षित सहयोग नही मिला,इसलिए वह मार खा गए.

आयुश्मान खुराना को याद रखना चाहिए था कि उनकी तुलना ‘चाची 420’ के कमल हासन के संग भी की जा सकती है. उनके कमजोर अभिनय ने फिल्म का बंटाधार कर दिया. इस फिल्म की कमजोर कड़ी में परी का किरदार निभाने वाली अदाकारा अनन्या पांडे हैं. जो कि महज नेपोटिजम के भरोसे फिल्में पा रही हैं. मगर वह परदे पर उनके अभिनय का जादू नजर नही आता. परदे पर अनन्या को देखकर अहसास होता है कि वह संवादों को याद रखने के चक्कर में उनका ध्यान अभिनय से भटक रहा है. कलाकार के तौर पर वह दृश्य की जरुरत  और अपने संवादों की गहराई समझ ही नही पा रही हैं. शायद निर्देषक भी उन्हे समझाने में असफल रहे हैं. अपने अभिनय को निखारने के लिए अनन्या पांडे को अभी बहुत मेहनत करने की जरुरत है.अन्नू कपूर,राजपाल यादव,सीमा पाहवा,विजय राज,परेश रावल,मनोज जोशी,मनजोत सिंह व अभिषेक बनर्जी ने अपनी तरफ से बेहतर अभ्निय करने का प्रयास किया है.मगर यदि पटकथा व संवाद ही गड़बड़ हो तो यह क्या करते?

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