- रेटिंग: पांच में से आधा स्टार
- निर्माताः सलमान खान फिल्मस
- निर्देशक: फरहाद सामजी
- कलाकार : सलमान खान,पूजा हेगड़े, विनाली भटनागर,शहनाज गिल,पलक तिवारी,सिद्धार्थ निगम,राघव जुएल, जगपति बाबू,वेंक्टेश, भाग्यश्री, भूमिका चाला व अन्य
- अवधि: दो घंटे 24 मिनट
2014 में तमिल भाषा में एक फिल्म आयी थी-‘‘वीरम’’.इस सफल फिल्म के हिंदी रीमेक के अधिकार खरीदकर फिल्म निर्माता साजिद नाड़ियादवाला इसे ‘‘कभी ईद कभी दीवाली’’ के नाम से बना रहे थे.फिल्म में सलमान खान हीरो थे.लेकिन सलमान खान की अपनी दखलंदाजी के चलते साजिद नाड़ियादवाला ने इस फिल्म को बनाने से मना कर दिया.तब सलमान खान ने स्वयं ‘वीरम’ के रीमेक को ‘किसी का भाई,किसी की जान’ नाम से लेकर आए हैं.जिसमें वह बौलीवुड के साथ ही तेलुगु फिल्म इंडस्ट्ी के जितने भी कलाकार जोड़ सकते थे,उन सभी को जोड़कर ‘‘चॅूं चॅूं का मुरब्बा’’ बना डाला.फिल्म के प्रदर्शन से तीन दिन पहले सलमान खान ने पत्रकारों संग मीट एंड ग्रीट के वक्त कहा था-‘‘मेरा मानना है कि हर कलाकार को सोलो हीरो की बजाय मल्टीस्टार कास्ट वाली फिल्म करनी चाहिए.इससे हर कलाकार के अपने अपने प्रश्ंासक उस फिल्म को देखेंगे और फिल्म सफल होगी.’’ अफसोस 21 अप्रैल को सिनेमाघर में पहुॅची ‘किसी का भाई किसी की जान’’ इतनी सिर दर्द व दर्शक को तनाव देने वाली फिल्म है कि इस फिल्म का कुछ नही हो सकता.इतना ही नही दर्शक को सलमान खान की पिछली ‘जय हो’,‘बजरंगी भाईजान’,‘ट्यूबलाइट’,‘भारत’ जैसी फिल्में याद आएंगी.इस फिल्म से वह लोग जरुर खुश होंगे जो कि सलमान खान के मंुह से ‘‘वंदेमातरम’’ सुनना चाहते हैं.वैसे भी सलमान खान ने ‘वंदेमातरम’ बोलने के साथ ही पूरी फिल्म में उन आदर्शवाद की बात की है,जो कि व्यावहारिक नजर नही आते.सलमान खान ने इस फिल्म में भी बार बार दोहराया है कि इंसानियत, धर्म,जाति व वर्णभेद से परे है.
कहानीः
फिल्म की कहानी के केंद्र में भाईजान(सलमान खान) हैं,जिनकी परवरिश अनाथालय में हुई.अनाथालय में आग लगने पर भाई जान ने तीन लड़कों लव (सिद्धार्थ निगम),इश्क (राघव जुआल) व मोह (जस्सी गिल) को बचाकर अपने साथ रखा और उनकी परवरिश की.अब यह सभी बड़े हो चुके हैं और दिल्ली की एक अनाम बस्ती (झुग्गी) में रहते हैं.सभी उन्हें प्यार करते हैं.एक स्थानीय राजनेता और गुंडा महावीर (विजयेंद्र सिंह ) इस बस्ती से सभी निवासियों को बेदखल करना चाहता है,लेकिन भाईजान द्वारा उसके प्रयासों को विफल कर दिया जाता है.
भाईजान ने षादी नही की हैं.वह चाहते हैं कि सभी भाई लड़कियो से दूर रहें और कोई शादी नही करेगा.लेकिन लव, इश्क,मोह को क्रमशः चाहत (विनाली भटनागर),सुकून (षहनाज गिल ) व मुस्कान (पलक तिवारी ) से प्यार हो गया है.इसलिए यह तीनों भाई जान के लिए लड़की की तलाश शुरू करते हैं.इसी क्रम में यह तीनों तेलुगु लड़की भाग्यलक्ष्मी (पूजा हेगड़े ) को तलाषते हैं.जो कि पुरातत्वविद हैं.भाईजान व भाग्यलक्ष्मी के बीच प्यार हो जाता है.जब दोनों शादी के लिए तैयार हो जाते हैं,तो पता चलता है कि नागेश्वर (जगपति बाबू ), भाग्यलक्ष्मी के भाई अनन्या (वेंक्टेश) व पूरे परिवार को खत्म करना चाहता है.अब भाईजान अपनी होने वाली ससुराल को बचाने में अपने भाईयों संग लग जाते हैं.
लेखन व निर्देशनः
पूरी फिल्म अहिंसा की बात करती है.लेकिन फिल्म में हिंसा ,खून खराबा ही ज्यादा है.रोमंास या प्रेम कहानी या मनोरंजन का घोर अभाव है.फिल्म में सलमान खान का संवाद है-‘‘जब एक हिंसक आदमी एक अहिंसक व्यक्ति को परेशान करता है,तो दूसरे हिंसक आदमी को अहिंसक के आगे खड़ा होना पड़ता है.घटिया कथानक, पटकथा के साथ ही सामजी के अयोग्य निर्देशन के चलते फिल्म में देखने लायक कुछ भी नही है.इंटरवल के बाद फिल्म का पूरा सत्यानाश हो जाता है.हमने दर्शकों को बीच में ही फिल्म छोड़कर जाते हुए देखा.पटकथा लेखक की समझ मे ंनही आ रहा है कि वह किस तरह से किरदारों को गढ़ें.सलमान खान ने अपनी तरफ से देशभक्ति के सारे तड़के भरने की कोशिश की है,पर यह सब कुछ दर्शक के सिर के उपर से गुजर जाता है.एक्शन दृश्यों में भी सलमान खान मात खा गए हैं.यहां तक कि एक्शन के दौरान उनका अपना शर्ट उतारने का चिरपरिचित अंदाज भी दर्शक को पसंद नही आता.वास्तव में फिल्म के कुछ एक्शन दृश्य देखकर एक्शन डायरेक्टर की सोच व समझ पर तरस आता है.फिल्म में भगवदगीता के संस्कृत श्लोक बोलते हुए सलमान खान व पूजा हेगड़े के बीच प्यार हो जाता है.है न कमाल की प्रेम कहानी…
फिल्म के निर्देशक फरहाद सामजी हर जगह हाथ पांव मारते रहे हैं.2006 मे लेखन से शुरूआत की.फिर गीतकार बन गए.गायक भी बन गए.और 2014 की असफल फिल्म ‘‘इंटरटेनमेंट’’ से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा.उसके बाद फरहाद ने ‘बेबी कम ना’,‘बू सबकी फटेगी’,‘हाउसफुल 4’,‘बच्चन पांडे’,‘पाप कौन’’ जैसी असफल फिल्में व वेब सीरीज निर्देशित कर चुके हैं.अब तक उन्होने किसी फिल्म मे ंयह साबित नही किया कि उन्हे निर्देशन आता है.इसके बावजूद अक्षय कुमार से लेकर सलमान खान तक फरहाद को ही निर्देशक चुनते हैं..इसकी वजह समझ से परे है.‘‘किसी का भाई किसी की जान’’ देखकर भी नही लगता कि इसे किसी ने निर्देशित किया है.
फिल्म का एक भी गाना कर्णप्रिय नही है.इसके गानों में भी सलमान अजीब-ओ-गरीब अंदाज में थिरकते नजर आते हैं.
अभिनयः
भाईजान के किरदार में सलमान खान ओवर एक्टिंग करने के साथ ही खुद को दोहराते हुए नजर आते हैं.दक्षिण की स्टार की जाने वाली अभिनेत्री पूजा हेगड़े अब तक हिंदी में ‘मोहनजोदाड़ो’, ‘हाउसफुल 4’,‘राधेश्याम’ व ‘ सर्कस’जैसी फिल्मों में क्रमशः रितिक रोशन,अक्षय कुमार,प्रभास व रणवीर सिंह के साथ अभिनय करते हुए इन कलाकारों के कैरियर पर सवालिया निशान लगा चुकी हैं.पूजा हेगड़े की यह फिल्में बुरी तरह से असफल रही हैं.और अब उन्होने हिंदी में पांचवीं फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’’, सलमान खान के साथ की है.पर इस फिल्म में भी उम्मीदों पर खरा नही उतरती.
जगपति बाबू,मुक्केबाज विजेंदर सिंह,वेक्टेश,रोहिणी हट्टंगड़ी,भाग्यश्री व भूमिका चावला जैसे अनुभवी व प्रतिभाशाली कलाकारों ने क्या सोचकर यह फिल्म की,यह समझ से परे हैं.निदेश्षक व पटकथा की कमजोरी के चलते किसी का भी अभिनय उभर कर नहीं आता.फिल्म के अन्य कलाकार भी अपना प्रभाव छोड़ने में बुरी तरह से असफल रहे हैं.