रेटिंगः डेढ़ स्टार
निर्माताः आदित्य चोपड़ा व मनीष शर्मा
लेखक व निर्देशकः दिव्यांग ठक्कर
कलाकारः रणवीर सिंह, शालिनी पांडेय, बोमन ईरानी, रत्ना पाठक शाह, पुनीत इस्सर व अन्य.
अवधिः दो घंटे चार मिनट
‘लिंग परीक्षण के बाद भ्रूण हत्या’ और ‘बेटी बचाओ’ जैसे अति आवश्यक मुद्दे पर कितनी घटिया कथा व पटकथा वाली फिल्म बन सकती है, इसका उदाहरण है फिल्म ‘‘जयेशभाई जोरदार’’. लेखक व निर्देशक कथा व पटकथा लिखते समय यह भूल गए कि वह किस मुद्दे को उभारना चाहते हैं?वह अपनी फिल्म में ‘लिंग परीक्षण’ व भ्रूण हत्या के खिलाफ जनजागृति लाकर ‘बेटी बचाओ ’ की बात करना चाहते हैं अथवा इस नेक मकसद की आड़ में दर्शकों को कूड़ा कचरा परोसते हुए उन्हे बेवकूफ बनाना चाहते हैं. फिल्म का नायक जयेश भाई कहीं भी अपनी पत्नी के गर्भ धारण करने पर अपने पिता द्वारा उसका लिंग परीक्षण कराने के आदेश का विरोध नहीं करता. बल्कि वह खुद अस्पताल में डाक्टर के सामने स्वीकार करता है कि ‘वारिस’ यानी कि लड़के की चाहत में उसकी पत्नी को छह बार गर्भपात करवाया जा चुका है. कहने का अर्थ यह कि यह फिल्म बुरी तरह से अपने नेक इरादे में असफल रही है. इस फिल्म के लेखक निर्देशक के साथ ही कलाकार भी कमजोर कड़ी हैं. यह फिल्म इस संदेश को देने में बुरी तरह से असफल रही है कि ‘परिवार में लड़का हो या लड़़की, सब एक समान हैं. ’’यह फिल्म लिंग परीक्षण के खिलाफ भी ठीक से बात नही रख पाती है. अदालती आदेश के बाद जरुर फिल्म मेंे दो तीन जगह लिखा गया है कि ‘लिंग परीक्षण कानूनन अपराध है. ’
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
- 24 प्रिंट मैगजीन