रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताःअरूण सिंह बरन और कर्तक डी निभानवर

लेखकः सुहास शिरवलकर के उपन्यास ‘समांतर’ पर आधारित

निर्देशकः समीर विदवांस

कलाकारः स्वप्निल जोशी,तेजस्वी पंडित,साई ताम्हणकर,नितीश भारद्वाज,विक्रम गायकवाड़,जयंत सावरकर,मनोहर कोल्हाटकर,रिषिकेश पांडे,गणेश महादेव रेवाड़ेकर,अमृत गायकवाड़ व अन्य.

अवधिः 20 से 32 मिनट के दस एपीसोड,लगभग सवा चार घंटे

ओटीटी प्लेटफार्म: एम एक्स प्लेअर

भाषाएं: मराठी,हिंदी,तमिल व तेलगू

यदि आपको पहले से ही पता चल जाए कि भविष्य में क्या होने वाला है,तो आप होने वाली घटनाओं को रोकने और अपनी तकदीर को अपने सपनों जैसा बनाने की कोशिश कर सकते हैं?क्या कोई नियति को चुनौती देकर उससे जीत सकता है?इसी सवाल का जवाब ढूढ़ने के लिए निर्देशक समीर विदवंास मराठी भाषा की दिलचस्प रोमांचक वेब सीरीज ‘समांतर’ का दूसरा सीजन  लेकर आए हैं,जो कि ओटीटी प्लेटफार्म ‘एम एक्स प्लेअर’ पर एक जुलाई से स्ट्रीम हो रही है. पहले सीजन का निर्देशन समीर ने नही किया था.

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कहानीः

2020 में ‘‘एम एक्स प्लेअर’’ पर ही वेब सीरीज ‘‘सामांतर ’का पहला सीजन स्ट्रीम हुआ था. इस कहानी में एक इंसान,एक साया और इन दोनों के हाथ की लकीरों को जोड़ने का प्रयास है. कहानी के अनुसार  अपनी जिंदगी और रोज रोज की कलह से परेशान होकर शादीशुदा कुमार महाजन (स्वप्निल जोशी)  अपने मित्र की सलाह पर एक स्वामी(जयंत सावरकर)  जी के पास अपना भविष्य जानने गए थे. स्वामी जी ने अपनी विद्या के बल पर कहा था कि उसके हाथ की लकीरें तो किसी और के हाथों की लकीरे हैं,वह इंसान तीस वर्ष पहले अपनी जिंदगी जी चुका है और अब वही कुमार महाजन का भविष्य होने वाला है. स्वामी जी की सलाह पर कुमार महाजन,सुदर्शन चक्रपाणी(नितीश भारद्वाज)की तलाश में निकल पड़ते हैं. उनकी मुलाकात चक्रपाणी से होती है. चक्रपाणी उन्हे डायरी देते हुए कहता है कि इसके पन्नों में चक्रपाणी का अतीत और महाजन का भविष्य लिखा है. चक्रपाणी हिदायत देते हैं कि वह डायरी का जिक्र किसी से न करें तथा एक दिन में सिर्फ एक ही पन्ना पढ़े. यहीं से ‘समांतर’के सीजन दो की कहानी शुरू होती है.

पूरे सीरीज में तीस वर्ष पहले की सुदर्शन चक्रपाणी, उनकी पत्नी और चक्रपाणी की जिंदगी में आने वाली संुदरा(साई ताम्हणकर )की कहानी चलती है,उसी के समांतर कुमार महाजन की जिंदगी में भी वही सब घटित होता रहता है.  इन दोनों की जिंदगी एक जैसी है और शायद उनकी किस्मत भी.

कुमार महाजन(स्वप्निल जोशी)  के ससुर शरद(गणेश महादेव रेवाड़ेकर)  अपनी बेटी व कुमार महाजन की पत्नी नीमा (तेजस्वनी पंडित)को समझा रहे हैं कि कुमार को छोड़ देने में ही उसकी भलाई है. मगर डायरी मिलते ही कुमार महाजन की जिंदगी बदलती है. उसे ‘शाह एंड कंपनी’’ में डिवीजन मैनेजर की नौकरी मिल जाती है और कोल्हापुर में कंपनी की तरफ से बंगला और गाड़ी भी मिलती है. कुमार महाजन अपनी पत्नी नीमा व आठ वर्ष के बेटे संजू(अमृत गायकवाड)  के साथ कोल्हापुर पहुंचते हैं. जिंदगी खुशहाल है. वह इमानदार है. इसी के चलते ‘शाह एंड कंपनी’के पुराने ग्राहक प्रताप बावसकर (रिषिकेश देशपांडे)  से उसकी नही जमती. प्रताप बावसकर,कुमार को खरीदने के लिए नोटों से भरा बैग भेजते हैं. कुमार डायरी का पन्ना पढ़ता है,जिसमे लिख है‘‘एक औरत जिंदगी में आएगी. ’कुमार तय करता है कि वह किसी भी औरत को अपनी जिंदगी में नही आने देगा. पर रात में आफिस से देर में लौटने पर नीमा के सवालों से चिढ़ जाते हैं. गुस्से में नीमा बेटे संजू के साथ अपने पिता शरद के पास मंुबई लौट जाती है. इधर कुमार महाजन,प्रताप बावसकर के घर उनका नोटों का बैग वापस देने जाते है,वहीं पर वह देखता हैं कि प्रताप बावसकर अपनी पत्नी मीरा बावसकर(साई ताम्हणकर)संग विक्षिप्त की तरह शारीरिक संबंध बनाते हुए मीरा को प्रताड़ित कर रहे हैं. कुमार चुपचाप लौट आते हैं. मगर मीरा देख लेती है कि कुमार महाजन पैसे का बैग रख कर गए. फिर मीरा,अपनी नग्न तस्वीर कुमार महाजन के मोबाइल पर भेज देती हैं. इधर मीरा और कुमार के बीच फोन पर मीठी बातें होते होते कड़वाहट आ जाती. तो वहीं मीरा किसी न किसी बहाने कुमार के नजदीक आने के प्रयास में रहती है. कहानी में कई मोड़ आते हैं. कुमार महाजन न चाहते हुए भी मीरा के जाल में फंस जाते हैं,पुलिस पकड़ती है, अदालत में मीरा के एक बयान से अदालत कुमार को निर्दोष बताकर छोड़ देती है,मगर मीरा के बयान से नीमा आहत होती है और अपने पिता के घर जाकर आत्महत्या कर लेती है. उसके बाद कुमार महाजन,चक्रपाणी से मिलते है और कहते हैं कि अब वह अपने वर्तमान व अपने कर्म के बल पर अपनी नियति बनाएंगे,पर चक्रपाणी कहते हैं कि तेरी नियति तकदीर तय है और वही होगा,जो डायरी के अंतिम पन्नें में लिखा है. फिर कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंततः डायरी के अंतिम पन्ने पर लिखी हुई घटना ही घटित होती है.

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लेखन व निर्देशनः

पहले सीजन के मुकाबले दूसरा सीजन काफी कसा हुआ और दर्शकों को बांधकर रखने वाला है. शायद इसकी वजह यह है कि इसका निर्देशन अनुभवी निर्देशक समीर विदवांस ने किया है. लेकिन इस वेब सीरीज में बेवजह गंदी गालियों व अश्लील सेक्सी दृश्यों को ठॅूंसा गया है,यदि इनसे बचने का प्रयास किया जाता,तो भी यह एक बेहतरीन वेब सीरीज बन सकती थी. पर ‘एमएक्स प्लेअर’की हर वेब सीरीज में गालियां और सेक्स दृश्यों का होना अनिवार्य सा होता जा रहा है. फिल्म की गति बेहतरीन है,हर एपीसोड में रोचकता बरकरार रहती है. पर कुछ दृश्यों का दोहराव अखरता है. वहीं कुछ दृश्यों पर यकीन करना मुश्किल होता है. इसके अलावा यह वेब सीरीज कहीं न कहीं ज्योतिष और नियति तकदीर को लेकर अंधविश्वास को बढ़ावा देती है,जिसे सही नही जा सकता. क्योंकि यह वेब सीरीज इंसान के कर्म से भविष्य बदलने को दरकिनार करते हुए कहती है कि इंसान की किस्मत में जो लिखाहै,उसे वह बदल नही सकता. यह व्यावहारिक भी नहीं है. इस सीरीज की कहानी एक नास्तिक इंसान को आस्तिक बनाने का प्रयास ही है.

वेब सीरीज का क्लायमेक्स जबरदस्त है.

अभिनयः

कुमार महाजन में स्वप्निल जोशी का अभिनय शानदार है. कुमार महाजन जिस तरह से डायरी में लिखी बात को गलत साबित करने के लिए एक मानसिक लड़ाई लड़ता है,उसे बेहतर तरीके से स्वप्निल जोशी ने जीवंतता प्रदान की है. नीमा के छोटे किरदार में भी तेजस्वनी पंडित अपनी छाप छोड़ जाती हैं. संुदरा और मीरा की दोहरी भूमिका में कमाल का अभिनय किया है.  सुंदरा और मीरा दोनो का मकसद एक ही है,फिर भी दोनों में उनके आर्थिक पक्ष और जिस माहौल के है,उस अंतर को बाखूबी निभाने में साई ताम्हणकर सफल रही हैं. फिर भी सुंदरा की बनिस्बत मीरा के किरदार में साई ताम्हणकर का अभिनय ज्यादा शानदार है. सुदर्शन चक्रपाणी के किरदार को नितीश भारद्वाज ने अपने अभिनय से जीवंतता प्रदान की है,मगर उनके चेहरे की मुस्कान व हॅंसी का जो मैनेरिज्म है,वह हमें तीस वर्ष पहले सीरियल ‘महाभारत’में उनके द्वारा निभाए गए कृष्ण की मुस्कान की याद दिलाता है. अन्य कलाकार भी अपनी जगह एकदम फिट हैं.

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