रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः विनय बरिगिदाद, विनुता बरिगिदाद और धीरज जिंदल

लेखक व निर्देशकः प्रेम सिंह

कलाकारः अहसास चानना,  मोहम्मद समद, अलका विवेक,  अजय प्रताप सिंह, संजीव भट्टाचार्य व अन्य

अवधिः 25 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः अमेजॉन मिनी टीवी

1975 से 1977 के बीच जब पूरे देश में राष्ट्रीय आपातकाल लगा हुआ था, उसी दौर में सरकार के आदेश पर जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने के लिए नसबंदी मुहीम लागू हुई थी. जिसके चलते उस दौर में लगभग छह करोड़ से अधिक 14 से 70 वर्ष के पुरूषों की नसबंदी कर दी गयी थी. उसी पृष्ठभूमि में फिल्मकार प्रेम सिंह एक किशोर वय के लड़के व लड़की की प्रेम कहानी को लघु फिल्म‘‘ट्रांजिस्टर’’में लेकर आए हैं. कैसे राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा और एक ट्रांजिस्टर ने उनके रिश्ते में सब कुछ बदल दिया था. इस लघु फिल्म को तीस जुलाई से ‘‘अमेजॉन मिनी टीवी’पर देखा जा सकता है.

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कहानीः

यह कहानी 1975 की पृष् ठभूमि में ग्रामीण भारत की है. जब पूरे देश में पुरूषों की जबरन नसबंदी की जा रही थी. एक गांव की किशोर वय लड़की उमा (अहसास चानना) अपने ट्रांजिस्टर के साथ बकरी चराने खेतों में आती है. वह एक पेड़ के नीचे बैठकर ट्रांजिस्टर पर जयामाला कार्यक्रम में पेश किए जाने वाले गीत सुना करती थी. नदी पार के गांव से एक किशोर वय लड़का पवन (मोहम्मद समद) नाव से नदी पारकर दूसरे पेड़ की ओट से उमा को देखता रहता है. उमा को भी इस बात का अहसास है. पवन बड़ी बेशर्मी से एक पेड़ के पीछे छिप जाता है,  लेकिन उसके लिए उसकी निगाहों को महसूस करने के लिए बस इतना ही काफी है. उमा एक पेड़ के नीचे बैठती है, जबकि उसका रेडियो उसे नवीनतम हिंदी फिल्मी गीतों से रूबरू कराता है.  यह उनकी दिनचर्या है. एक दिन उमा के पिता को बाजार में पकड़ कर उनकी जबरन नसबंदी करके उन्हे उपहार में ट्रांजिस्टर दिया जाता है. यह बात पवन भी जान जाता है. अब उमा के माता पिता उमा की शादी में दहेज में वही ट्रांजिस्टर देने का फैसला करते हैं. पवन व उमा हर दिन एक ही जगह आते हैं, एक दूसरे को देखते हैं, पर मन ही मन प्यार करने लगते हैं, मगर करीब नही आते. एक दिन पवन उसी पेड़ के उपर चढ़कर बैठ जाता है, जिसके नीचे उमा आकर बैठती है और पेड़ की डाली टूटने से डाली के साथ पवन भी ट्रांजिस्टर के उपर गिरता है, जिससे ट्रांजिस्टर टूट जाता है. इससे उमा को दुख होता है. पवन अपनी जबरन नसबंदी कराकर उमा को ट्रांजिस्टर लाकर देता है. ट्रांजिस्टर पाकर उमा खुश हो जाती है. दोनो पास बैठकर बातें करते हैं. दूसरे दिन उमा, पवन से पूछती है कि वह ट्रांजिस्टर कहां से लाया. पवन की खामोशी से उमा को जवाब मिल जाता है. और फिर उमा की शादी दूसरे युवक से कर दी जाती है, जिससे उसका परिवार व वंश बढ़ सके. अब पवन क्या करेगा, यह तो फिल्म देखने पर पता चलेगा.

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