2002 में ‘मिस यूनिवर्स इंडिया’ का ताज पहन चुकीं नेहा धूपिया की बचपन से ही कुछ चुनौतीपूर्ण काम करने की इच्छा थी, जिसमें उन का साथ दिया उन के मातापिता ने. 2003 में नेहा ने फिल्म ‘कयामत’ से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा, पर फिल्म को ज्यादा सफलता नहीं मिली. उन्हें असल कामयाबी फिल्म ‘जूली’, ‘शीला’, ‘क्या कूल हैं हम’, ‘शूट आउट ऐट लोखंडवाला’ आदि फिल्मों से मिली. नेहा ने फिल्मों के अलावा कई टीवी शोज में एकरिंग भी की है.
अंगद बेदी से शादी करने के बाद नेहा ने एक बेटी मेहर को जन्म दिया. मेहर का पालनपोषण अच्छी तरह हो सके, इस के लिए नेहा ने कुछ समय के लिए काम से ब्रेक लिया था. काम पर वापस लौटने के बाद भी उन्होंने अपना शैड्यूल इस तरह मैनेज किया कि वे अपनी बेटी के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकें. नेहा बेटी के साथ काम को कैसे संभालती हैं, आइए जानें उन्हीं से:
सवाल- बेटी के साथ काम को एडजस्ट कैसे करती हैं और अंगद बेदी बेटी के बड़े होने में किस तरह का सहयोग देते हैं?
मां बनना मेरे लिए बड़ी बात है, जिसे मैं ऐंजौय करती हूं. काम की प्लानिंग पहले से करनी पड़ती है. कब क्या करना है, इस की जानकारी मेरे बाद जो भी इस की देखभाल करते हैं, उन्हें होती है. मेरे पति अंगद इसमें बहुत सहयोग देते हैं ताकि मैं अपना काम आसानी से कर सकूं. जितना समय मैं बेटी को देती हूं उतना ही वे भी देते हैं. इसीलिए मेरा काम करना आसान हो जाता है.