छत्तीसगढ़ राज्य के भाटापारा के करीब भैसा सकरी गांव निवासी साहेब दास मानिकपुरी जब कुछ वर्ष पहले मुंबई पहुंचे थे,उस वक्त वह शुद्ध हिंदी नही बोल पाते थे.एक मित्र की मदद से उन्हे ‘इस्कौन’मंदिर में ‘कंस वध’नामक नाटक में अभिनय करने का मौका जरुर मिला,पर उनकी हिंदी को लेकर सवाल उठ रहे थे. ऐसे में हिम्मत हारने की बजाय साहेब दास ने उस वक्त के रंगकर्मी व अब सफल भोजपुरी अभिनेता संजय पांडे, रंगकर्मी व लेखक राजेश दुबे तथा सशक्त रंगकर्मी स्व.पं.सत्यदेव दुबे की छत्रछाया में काम कर अपनी हिंदी पर इतनी मेहनत की आज वह शुद्ध व क्लिष्ट हिंदी बोलते हैं. अब तक कई टीवी सीरियलों में हास्य किरदार निभाकर शोहरत बटोर चुके साहेब दास माणिकपुरी बीच बीच में फिल्मों मे भी छोटे,पर महत्वपूर्ण किरदारों में नजर आते रहते हैं, इन दिनों वह सब टीवी के सीरियल ‘‘जीजाजी छत पे हैं’’ में हवलदार मंगीलाल के किरदार में काफी पसंद किए जा रहे हैं.
सवाल- आज आपने करियर को किस मुकाम पार पाते हैं?
-ईश्वर की अनुकंपा और दर्शकों के प्यार के चलते लंबे संघर्ष के बाद सुखद अनुभूति हो रही है.आज हालात कुछ ऐसे हो गए हैं कि अब लोग मुझे अपनी फिल्म व सीरियल का हिस्सा बनाना चाहते हैं, मगर अपनी व्यस्तता के चलते मुझे कई प्रस्ताव विनम्रता पूर्वक ठुकराने पड़ रहे हैं.
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सवाल- लेकिन दो साल पहले तो आप सीरियल मे आई कमिंग मैडम’’कर रहे थे,पर फिर गायब हो गए थे?
-आपकी बात कुछ हद तक सही है. इस सीरियल का प्रसारण बंद होने के बाद करीबन चार माह तक मेरे पास कोई काम नही था.उस दौरान मैंने कुछ विज्ञापन फिल्मों में काम किया. कुछ यात्राएं भी की.फिर बिनायफर कोहली ने मुझे सीरियल ‘‘जीजाजी छत पर हैं’’के लिए याद किया.इसके निर्देशक शशांक बाली के काम करने का तरीका भी ऐसा है कि मैंने तुरंत हामी भर दी थी. वैसे भी इस टीम के साथ मैं पिछले छह वर्षों से काम करता आ रहा हूं.
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