रेटिंग: दो स्टार

निर्माता: अरबाज खान,सलमान खान और निखिल द्विवेदी

निर्देशकः प्रभु देवा

लेखकः सलमान खान,प्रभु देवा,दिलीप शुक्ला,आलोक उपाध्याय

कलाकारः सलमान खान, किच्चा सुदीप,सोनाक्षी सिन्हा,साई मांजरेकर, अरबाज खान.

अवधिः 2 घंटे 39 मिनट

अमूमन लोग सफल फिल्म की फ्रेंचाइजी के सिक्वअल बनाकर दर्शकों को अपनी तरफ खींचने का काम करते हैं. दर्शक सोचता है कि यह पिछली फिल्म का सिक्वअल है, तो इस बार ज्यादा अच्छी बनी होगी, मगर अफसोस ‘दबंग’ फ्रेंचाइजी के साथ ऐसा नहीं कहा जा सकता.हर सिक्वअल के साथ इसका स्तर गिरता ही जा रहा है. 2010 की सफल फिल्म ‘दबंग’का निर्दैशन अभिनव कष्यप ने किया था.और इस फिल्म ने सफलता के कई रिकार्ड बना डाले थे.उसके बाद इस फिल्म से अभिनव कश्यप को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.इसका सिक्वअल ‘‘दबंग 2’’ 2012 में आयी थी,जिसे खुद अरबाज खान ने निर्देषित किया था,मगर पहले के मुकाबले यह कमजोर थी.पर सलमान खान के प्रशंसकों ने इसे सफल बना दिया था. अब पूरे सात वर्ष बाद इस फ्रेंचाइजी की अगली फिल्म ‘‘दबंग 3’’आयी है,जिसका निर्देषन सलमान खान के खास प्रभु देवा ने किया है,जो कि ‘दबंग 2’ से भी निचले स्तर की है. वैसे यह ‘दबंग’ सीरीज की प्रिक्वअल फिल्म है.

कहानीः

‘‘दबंग’’ फ्रेंचाइजी की यह तीसरी फिल्म ‘प्रिक्वअल’ है, इसीलिए  कहानी अतीत में चलती है. फिल्म के शुरू होने पर एक षादी समारोह में पहुंचकर चुलबुल पांडे,माफिया डौन बाली सिंह के लिए काम करने वाले स्थानीय गुंडे द्वारा लूटे गए सोने के जेवर वापस दिलाते हैं. इसी केस के चलते चुलबुल पांडे की मुलाकात बाली सिंह से होती है और उन्हे अपने पुराने घाव याद आते हैं. फिर कहानी अतीत में चली जाती है.
चुलबुल पांडे को याद आता है कि वह धाकड़ पांडे से पुलिस इंस्पेक्टर चुलबुल पांडे कैसे बने थे.फिर खुशी(साईं मांजरेकर)का चुलबुल पांडे(सलमान खान)के संग रोमांस की कहानी षुरू होती है.दरअसल चुलबुल की मां नैनी देवी (डिंपल कपाड़िया) ने खुशी को चुलबुल के भाई मक्खी (अरबाज खान) के लिए पसंद किया था, मगर मक्खी को शादी करने में कोई रुचि नहीं थी.उधर चुलबुल और दहेज परंपरा के खिलाफ जाकर अपनी मंगेतर खुशी को डौक्टर बनाने के लिए कटिबद्ध है, मगर तभी उनके प्यार पर ग्रहण लग जाता है. बाली की नजर खुशी पर पड़ती है और वह खुशी को पाने के लिए उतावला होकर कुछ भी करने पर आमादा है. खुशी के लिए ही धाकड़ बदलते हैं, दुनिया के लिए कुछ अच्छा करने से लेकर एक निश्चित तरीके से अपने धूप का चश्मा लगाने तक,खुशी में सब कुछ शामिल हो जाता है और चुलबुल पांडे बन जाते हैं. मगर बाली सिंह (किच्चा सुदीप )का दिल खुशी पर आ जाता है, इसलिए बाली गुस्से व ईष्र्या के चलते खुशी के साथ उसके परिवार का खात्मा कर देता है. फिर पूरी फिल्म की कहानी चुलबुल पांडे और बाली सिंह के बीच बदला लेने की कहानी बन जाती है.

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