फिल्म 'शोले' के सूरमा भोपाली यानी जगदीप ऊर्फ सैयद इश्तियाक जाफरी दुनिया से रुखसत हो गए. इस के साथ ही बौलीवुड में कौमेडी के उस युग का भी अंत हो गया जिसे महमूद, राजेंद्रनाथ, जौनी वाकर, किश्टो मुखर्जी जैसे कलाकारों ने जिया था. बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट कैरियर की शुरुआत करने वाले जगदीप ने हिंदी सिनेमा में एक खास मुकाम बनाया है.
वे 81 साल के थे और बीमार चल रहे थे. लेकिन इस उम्र में भी जगदीप बेहद जिंदादिली से बीमारियों से जूझ रहे थे. आखिरकार 8 जुलाई को अपने पीछे 6 बच्चों और नातीपोतों से भरा परिवार छोड़ कर वे दुनिया से रुखसत हो गए.
शोले से मिली शोहरत
बौलीवुड के इस मशहूर हास्य कलाकार को फिल्म 'शोले' के सूरमा भोपाली से काफी पहचान मिली थी. वे भोजपुरी फिल्मों में भी काम कर चुके थे.
जगदीप अपने जमाने के बेहतरीन कौमेडियन रहे हैं. उन्होंने सूरमा भोपाली बन कर पहचान तो बनाई ही, साथ ही भोपाल शहर की बोली को भी मशहूर बना दिया था.
फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें पहले जगदीप नाम दिया और 1988 में आई फिल्म 'सूरमा भोपाली' ने उन्हें सूरमा बना दिया. लेकिन उन्हें पहचान मिली फिल्म 'शोले' से.
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मां की हालत देखी न गई
गौरतलब है कि उन के दोनों बेटे जावेद जाफरी और नावेद जाफरी भी फिल्म इंडस्ट्री में जानामाना नाम हैं.
मध्य प्रदेश के दतिया में 29 मार्च 1939 को पैदा हुए जगदीप का असली नाम सैयद इश्तियाक जाफरी था. वे जब काफी छोटे थे तभी उन के पिता का निधन हो गया. पिता की मौत के बाद परिवार पर मुसीबतों का पहाङ टूट पङा. मां अपने साथ जगदीप और बाकी बच्चों को ले कर मुंबई चली आईं और घर चलाने के लिए एक अनाथआश्रम में खाना बनाने लगीं.
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