38 वर्ष के अभिनय कैरियर में नीना गुप्ता (Neena Gupta) की जिंदगी में ऐसा वक्त भी आया था, जब फिल्मकारों ने उन्हे तवज्जो देनी बंद कर दी थी. तब नीना गुप्ता (Neena Gupta)  ने इंस्टाग्राम पर लिखा था कि मैं अभी भी अच्छी अभिनेत्री हूं और मुंबई में ही रहती हूं. नीना गुप्ता (Neena Gupta) की इंस्टाग्राम की इस पोस्ट के बाद उन्हें ‘‘बधाई हो’’(Badhai Ho) सहित कई फिल्में मिली और इन दिनों नीना गुप्ता (Neena Gupta)  एक बार पुनः अति व्यस्त हो गयी हैं. इन दिनों वह हितेश केवल्य निर्देशित फिल्म ‘‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’’ (Subh Mangal Zyada Saavdhan) को लेकर चर्चा में हैं. इस फिल्म में नीना गुप्ता ने अपने ‘गे’ बेटे अमन (जीतेंद्र कुमार) की मां सुनयना का किरदार निभाया है.

सवाल- लोग कह रहे हैं कि सोशल मीडिया बहुत डैंजरस है. मगर आपके कैरियर की दूसरी शुरूआत सोशल मीडिया के ही चलते हो पायी. ऐसे में आप क्या कहना चाहेंगी?

-यह भी सच है कि सोशल मीडिया बहुत डैंजरस है, मगर मुझे तो सोशल मीडिया से बहुत फायदा हुआ. अभी भी हो रहा है. पर डैंजरस यूं है कि कई बार हम इमोशन में या गुस्से में कुछ लिख देते हैं, जो कि लोगों को पसंद नहीं आता,फिर हमें नुकसान हो जाता है. कई लोगों को नुकसान हुआ है. मैंने भी कुछ दिन पहले लिखा था कि ‘आई विश फिल्म ‘सांड़ की आंख’ में मुझे लिया गया होता.’तो इससे मुझे बहुत नुकसान हुआ. बात कहां की कहां फैल गयी. मैंने तो बस यूं ही लिखा था. इसलिए सोशल मीडिया का उपयोग बहुत सोच समझकर करना चाहिए.

सवाल- सोशल मीडिया पर किसी को भी ट्रोल करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है?

-यह आसान काम है. बस मोबाइल पर कुछ टाइप ही तो करना है. मेरी राय में हर किसी को सोशल मीडिया पर काफी सोच समझकर लिखना चाहिए. यदि मुझे ट्वीटर या फेसबुक या इंस्टाग्राम सूट नहीं कर रहा है, तो उससे दूरी बना लेनी चाहिए. यदि मुझे लगता है कि मेरा गुस्सा और मेरा इमोशन मेरे कंट्रोल में नही है, तो फिर सोशल मीडिया पर मत जाओ. यदि आप बैंलेंस कर सकते हो, तो लिखें. बेवजह किसी का विरोध करना या गाली देना उचित नही.

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सवाल- लेकिन सोशल मीडिया के चलते निर्माता व निर्देशक इंस्टाग्राम पर कलाकार के फॉलोअर्स की संख्या के आधार पर कलाकारों को काम देने लगे हैं. क्या यह सही तरीका है?

-मैं ऐसा नही मानती. इंस्टाग्राम के आधार पर फिल्म में किरदार नहीं मिलते हैं. इसके आधार पर कलाकार को ‘एड’मिलते हैं. आपको गिफ्ट मिलते हैं. आपको फ्री घूमने का मौका मिलता है. गिफ्ट वाउचर मिलते हैं. आपको फ्री एयर टिकट मिलता है.

सवाल- आप सोशल मीडिया पर क्या लिखना पसंद करती हैं?

-मैं तो बहुत कुछ लिखना पसंद करती हूं, लेकिन कई बार चाहकर भी चुप रह जाती हूं. सोशल मीडिया का मिजाज समझ नहीं पा रही हूं. मैं यदि फ्राक में अपनी तस्वीर इंस्टाग्राम पर पोस्ट करती हूं, तो इतने लाइक्स मिल जाते हैं कि क्या कहूं. मगर जब मैने ढंकी हुई तस्वीर डाली, तो कोई उसे देखना नहीं चाहता. इसके बावजूद मैने एक सीरीज लिखनी शुरू की थी, जो कि कुछ समय से बंद है, फिर शुरू करने की सोच रही हूं. मैने सीरीज शुरू की थी- ‘‘सच कहॅूं तो..’’. इसके अंतर्गत मैं तीन चार मिनट फैशन, फिटनेस सहित विविध विषयों पर बोलती थी, पर इसमें कोई उपदेश नहीं देती थी. यह लोगों को बहुत पसंद आता था. इसका रिस्पॉंस अच्छा है. मुझे लगता है कि मुझे यह सीरीज लोगों को लगातार देते रहना चाहिए. लोगों को मेरी इस सीरीज का बेसब्री से इंतजार है. जल्द शुरू करने वाली हूं. मसलन इस सीरीज में एक दिन मैने कहा कि मुझे आज भी पटरे पर बैठकर बालती में पानी भरकर स्नान करना पसंद है. इसी तरह की चीजों पर बात करती रहती हूं.

सवाल- फिल्म ‘‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’’ में भी आप मां के ही किरदार में हैं?

-उपरी सतह पर वह मां नजर आती है. मगर यह आधुनिक मां है, जो कि पूरे परिवार को लेकर चलती है. ‘बधाई हो’ के बाद यह कमाल की स्क्रिप्ट मुझे मिली है. जब इस फिल्म के लेखक व निर्देशक हितेश केवल्य ने मुझे स्क्रिप्ट सुनायी, तो मुझे स्क्रिप्ट इतनी पसंद आ गयी कि मैने कह दिया कि मुझे अभी की अभी यह फिल्म करनी है. यह कमाल की स्क्रिप्ट है. जब मैने स्क्रिप्ट सुनी, तो मुझे लगा कि यह स्क्रिप्ट हंसते खेलते बहुत बड़ी यानी कि होमोसेक्सुआलिटी पर बात कह रही है. धमाल फिल्म है, पर बहुत गंभीर बात कह रही है. मेरा एक एक संवाद मीटर में बंधा हुआ है. फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ में कई किरदार हैं और हर किरदार का अपना ग्राफ है, हर किरदार की अहमियत है.

सवाल- फिल्म के अपने किरदार पर रोशनी डालना चाहेंगी?

-मैंने इसमें अमन त्रिपाठी (जीतेंद्र कुमार) और गौगल त्रिपाठी (मानवी गगरू ) की मां सुनयना त्रिपाठी का किरदार निभाया है. बहुत फनी है. पति के हिसाब से चलती है, तो वहीं वह अपनी बात भी कहती है. परिवार में सामंजस्य बैठाकर रखने का प्रयास करती है. मगर डफर नहीं है. सुनयना डोमीनेटिंग या बेचारी मां नही है, बल्कि कुछ अलग किस्म की है. अंततः वह अपने बेटे के साथ ही खड़ी नजर आती है.

सवाल- बतौर निर्देशक हितेश केवल्य की यह पहली फिल्म है.उनके साथ काम करने के आपके अनुभव क्या रहे?

-इस फिल्म के वह लेखक भी हैं, इसलिए सेट पर निर्देशन के दौरान वह आवश्यक बदलाव कर लेते थे. अगर सेट पर किसी कलाकार ने कुछ कहा तो वह उसकी बात पर गौर करते थे. उनका सेंस औफ ह्यूमर बहुत अच्छा व बहुत कमाल का है.

एक दिन मेरा एक सीन कहीं खत्म नहीं हो रहा था, मतलब मुझसे नहीं हो रहा था. हर सीन का एक सुर होता है, तो वह सुर बैठ नहीं रहा था, हितेश ने देखा और उसे तुरंत ऐसा इंप्रूव कर दिया कि मैं उनकी प्रतिभा की कायल हो गयी. बतौर निर्देशक उन्हे पता रहता था कि उन्हें क्या चाहिए.

सवाल- ‘म्यूजिक टीचर सही ढंग से प्रदर्शित भी नहीं हुई? इसे डिजिटल पर दे दिया गया.

-जी हॉ! अब फिल्म बनाना आसान हो गया है, पर उसे रिलीज कर पाना कठिन हो गया है. फिल्म रिलीज करने के लिए बहुत बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है. आपको याद होगा कि रमेश सिप्पी को भी अपनी फिल्म ‘‘शिमला मिर्च’’को डिजिटल पर ही रिलीज करना पड़ा. शायद अब हमारी फिल्म ‘‘ग्वालियर’’ भी डिजिटल प्लेटफार्म यानी कि ‘नेटफ्लिक्स’ पर आने वाली है. अब सिर्फ बड़ी कंपनियां ही अपनी फिल्में ठीक से रिलीज कर सकती हैं. एक बात यह थी कि ‘म्यूजिक टीचर’ में बड़े स्टार नहीं थे. मार्केटिंग में कई चीजे होती हैं. मैं तो यह भी मानती हूं कि फिल्म ‘‘बधाई हो’’ में यदि आयुश्मान खुराना और सान्या न होती तो फिल्म को सफलता न मिलती. नीना गुप्ता और गजराज राव को परदे पर देखने कोई नहीं आता.

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सवाल- फिल्म‘‘ग्वालियर’’भी अब अमैजॉन यानी कि डिजिटल पर आएगी.मगर आपने इस फिल्म में अभिनय यह सोचकर किया था कि यह फिल्म ‘‘थिएटर’’में रिलीज होगी.पर अब यह थिएटर में नहीं हो रही है.तो बतौर कलाकार कितनी तकलीफ होती है?

-कम से कम यह प्रदर्शित हो रही हैं.पर उन फिल्मों की सोचिए,जो बिलकुल प्रदर्शित नहीं होती.अब मुझे लगता है कि मैं उन फिल्मों से दूर ही रहूं, जो रिलीज नही होती.जब फिल्म रिलीज नही होती,तो बहुत तकलीफ होती है.क्योंकि मेहनत उतनी ही जाती है. फिल्म ‘‘ग्वालियर’’ की शूटिंग करने से आप समझ लें कि मेरी जिंदगी के पांच साल कम हो गए होंगे. क्योंकि 45 डिग्री के तापमान में हम लोग रिक्शा में शूटिंग करते थे. सुविधाएं भी नहीं थी. क्योंकि यह छोटी फिल्म थी. मेरे पूरे शरीर में रैशेज हो गए थे. खुजलाते हुए मैं सीन करती थी. मैं बहुत कठिन समय से गुजरी थी. पर मुझे करने में मजा आया. अच्छा भी लगा. कोई शिकायत नहीं है. फिल्म ‘ग्वालियर’ पति पत्नी की एक बेहतरीन कहानी है, जिसमें मेरे साथ संजय मिश्रा है. मगर ऐसे में आप यह उम्मीद करते हैं कि फिल्म बहुत अच्छे से ढंग से रिलीज हो और ज्यादा से ज्यादा लोग देखें, लेकिन नेटफ्लिक्स और अमैजॉन के दर्शक काफी हैं. इसलिए अब मुझे इतना बुरा नहीं लगता,पर जो फिल्में बिल्कुल रिलीज नहीं होती, उस पर बुरा लगता है.

 

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Afterall, ’tis the season of love! Stay tuned for #AreyPyaarKarLe, out tomorrow!

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सवाल- आप एक सीरियल लिख रही थीं, जिसका निर्माण व निर्देशन करना चाहती थी. उसकी क्या प्रगति है?

-आप ‘सांस 2’ की बात कर रहे हैं. उस पर काम चल रहा है पर अब मैं इसे ‘स्टार प्लस’ के लिए नहीं कर रही हूं. पहले ‘स्टार प्लस’ के लिए किया था. अब मैं किसी अन्य चैनल के लिए कर रही हूं. इस बार मैं इसे पूर्णेन्दु शेखर के साथ मिलकर लिख रही हूं.

स्टूडियो और कारपोरेट कंपनियों के आने से सिनेमा या टीवी को फायदा हुआ है या नुकसान हुआ है?

-टीवी को तो नुकसान हुआ है पर फिल्मों को फायदा हुआ है. टीवी को बहुत नुकसान हुआ है. डिजिटल प्लेटफार्म से फायदा हुआ है. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर छोटे छोटे लोग अच्छे कंटेंट को लेकर काम कर रहे हैं. डिजिटल प्लेटफार्म के चलते अब हमें 100 करोड़ की फिल्म बनाने की बाध्यता नही रही. अब 5 करोड़ की भी फिल्म बनाएंगे, तो भी दर्शको तक पहुंच जाएगी. हर किसी को अपने टैलेंट के साथ अपनी बात कहने का मौका मिला रहा है. लोगों के लिए यह बहुत अच्छी बात है. मैंने खुद भी दो लघु फिल्में की हैं.एक लघु फिल्म ‘‘पिन्नी’’का निर्देशन ताहिरा खुराना कश्यप ने किया है, जिसकी निर्माता गुनीत मोंगा हैं. मेरी एक लघु फिल्म ‘एडीशन सिंधी’ अभी ‘मिफ’ में दिखायी गयी है. ‘पिन्नी’ बहुत अच्छी फिल्म है, मुझ पर आधारित है.

सवाल- टैलेंट और पीआर दो अलग-अलग चीजें होती हैं.इस वक्त पीआर बहुत ज्यादा हावी हो गया है.तो आपको नहीं लगता कि टैलेंट की कद्र बहुत कम हो रही है?

– टैलेंट की कद्र तो हमेशा से कम थी. कम से कम अब पीआर की वजह से थोड़ी सी बेहतर हो रही है.

‘‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’’के बाद कहां नजर आएंगी?

-‘अमैजॉन’पर मार्च माह में एक आठ एपीसोड का वेब शो ‘‘पंचायत’’ आएगा. इसमें मेरे साथ रघुवीर यादव और जीतेंद्र कुमार हैं. मुझे लगता है कि इस साल के अंत तक औस्कर मे नोमीनेट हुई फिल्म‘‘द लास्ट कलर’’भी प्रदर्शित हो ही जाएगी.मार्च अप्रैल में ही ‘‘नेटफ्लिक्स’’पर एक अति रोमांचक वेब सीरीज‘‘मासाबा मासाबा’’आएगी.यह वेब सीरीज मसाबा के जीवन पर है. मासाबा ने खुद एक्टिंग की है. मैंने इसमें उसकी मां का किरदार निभाया है.यह भी बहुत कमाल की बनी है.इसका निर्माण अश्विनी यार्डी तथा निर्देशन ‘खुजली फेम सोनम नायर ने किया.

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सवाल- फिल्म‘‘83’’भी कर रही है ना?

-‘83’में मैंने ‘पंगा’से भी छोटा रोल किया है, इसलिए इसका नाम नहीं लेती. इसमें मैं क्रिकेटर कपिल शर्मा(रणवीर सिंह)की मां का किरदार कर रही हूं.अब उसकी मां लंदन गई नहीं थी.सिर्फ एक दिन मैंने शूटिंग की.पर एक दिन में भी मुझे बड़ी तृप्ति हो गई.कुल आठ बार पोशाक बदली है.

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