फिल्म अभिनेता, लेखक, गीतकार, निर्देशक, निर्माता, समाज सेवक और तेलुगु फिल्मों के लोकप्रिय अभिनेता आदित्य ओम लगातार सामाजिक सारोकारों से जुड़े विषयों पर फिल्मों का निर्माण व निर्देशन कर अपनी एक अलग पहचान रखते हैं. जबकि दक्षिण भारत में उनकी पहचान अभिनेता के तौर पर है. अब तक वह 25 सफलतम तेलगु फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं.
तेलगू फिल्मों में अभिनय से धन कमाते हुए वह सामाजिक सरोकारों वाली हिंदी फिल्में बना रहे हैं. उन्होने सबसे 2012 में फिल्म‘‘शूद्र‘‘ का सह निर्माण किया था. फिर ‘बंदूक’का निर्माण व निर्देशन किया. उसके बाद मूक फिल्म ‘‘मिस्टर लोनली मिस प्यारी‘‘ का निर्देशन किया. उनके द्वारा निर्देशित लघु फिल्मों ‘‘माया मोबाइल‘‘ और ‘‘मेरी मां के लिए‘‘को काफी सराहा गया. आदित्य ओम द्वारा लिखित और निर्देशित अंगे्रजी भाषा की फीचर फिल्म‘‘द डेड एंड‘‘को अंतरराष्ट्ीय फिल्म समारोहो में काफी पुरस्कार मिले हैं. सिनेमा व्यवसाय में बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ लड़ाई वह लड़ाई लड़ चुके हैं. इन दिनों आदित्य ओम अपनी शिक्षातंत्र पर आधारित हिंदी फिल्म ‘‘मास्साब‘‘ को लेकर चर्चा में हैं, जिसने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में 48 पुरस्कार जीते हैं. आदित्य ओम की तीन पटकथाएं प्रतिष्ठित औस्कर पुस्तकालय का हिस्सा हैं. जबकि उनकी बहुभाषी फीचर फिल्म‘बंदी’ भी चर्चा में है.
आदित्य ओम सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं. उन्होने तेलंगाना में चेरूपल्ली व आंध्रा में चार गॉंव गोद ले रखे हैं. वह अपने एनजीओ ‘एडुलाइटमेंट‘ (म्कनसपहीज उमदज) के तहत पिछले दस वर्षों से साथ शैक्षिक सुधारों के लिए भी काम कर रहे हैं. गॉंवो में आदित्य ओम ने एक पुस्तकालय के अलावा डिजिटल सेवा केंद्र खोला है. गाँव के स्कूल और लोगों को लैपटॉप और सोलर लाइट दी है. वह अपने एनजीओ ‘एडुलाइटमेंट‘ (म्कनसपहीजउमदज) के तहत शैक्षिक सुधारों के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. कोरोना के समय में पॉंच सौ किसानों को आम व नारियल के बीज उपलब्ध कराए.
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