रेटिंगः तीन
निर्माताःफैंटम फिल्मस, नाडियादवाला ग्रैंडसंस इंटरटेनमेंट और रिलायंस इंटरटेनमेंट
निर्देशकः विकास बहल
कलाकारः रितिक रोशन,मृणाल ठाकुर, वीरेंद्र सक्सेना,नंदिश सिंह, पंकज त्रिपाठी,जौनी लीवर
अवधिः दो घंटे 35 मिनट
पटना में ‘‘सुपर 30’’ नामक कोचिंग क्लास चलाने वाले जाने माने गणितज्ञ और बिहार के द्रोणाचार्य के रूप में मशहूर आनंद कुमार के जीवन व कृतित्व पर आधारित फिल्म दर्शकों को मोटीवेट प्रेरणा देती है. आनंद कुमार के पढ़ाए हुए सैकड़ों बच्चे आईआईटी पास कर देश विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं.
कहानीः
फिल्म की कहानी शुरू होती है अमरीका में पुरस्कार लेने के बाद फुग्गा के भाषण से. वह अपने भाषण में बताता है कि किस तरह से वह आनंद कुमार (रितिक रोशन) की वजह से यहां तक पहुंचा है. फिर कहानी शुरू होती है अतीत से. आनंद कुमार (रितिक रोशन) के पिता राजेंद्र (वीरेंद्र सक्सेना) पोस्टमैन हैं और राजेंद्र के उपर आनंद कुमार व उसके भाई प्रणव कुमार(नंदिश सिंह) की परवरिश की जिम्मेदारी है. पढ़ाई में तेज आनंद कुमार को एक समारोह में राज्य के शिक्षामंत्री श्री राम सिंह (पंकज त्रिपाठी) पुरस्कृत करते हुए किसी भी जरुरत के लिए उनसे मिलने के लिए कह देते हैं. आनंद कुमार पुरस्कृत होने की खबर सबसे पहले अपनी प्रेमिका रितु रश्मी (मृणाल ठाकुर) को देते हैं. आनंद कुमार हर शनिवार व रविवार पटना जाकर पुस्तकालय में कैम्ब्रिज की पत्रिका से कुछ सवाल हल करते हैं. पर उसे वहां से भगा दिया जाता है, लेकिन पुस्तकालय का एक कर्मचारी आनंद कुमार से कहता है कि यदि वह अपना लेख कैम्ब्रिज की मैग्जीन मे छपवा लें, तो उसे यह पत्रिका हमेशा निःशुल्क मिलेगी. आनंद कुमार गणित पर एक लेख लिखते हैं और उसे डाक टिकट के पैसे पोस्ट आफिस के कर्मचारियों से चंदा जुटाकर लंदन भेजता है. उसका लेख कैम्ब्रिज की पत्रिका में छपने के साथ ही उसे कैम्ब्रिज में पढ़ने के लिए प्रवेश मिल जाता है. अब इंग्लैड जाने के लिए पैसे का जुगाड़ करते हुए राजेंद्र अपने पीएफ से कर्ज ले लेते हैं. फिर भी टिकट के पैसे पूरे नही होते. यहां तक कि शिक्षामंत्री भी मदद नहीं करते. इसी सदमे में राजेंद्र की मौत हो जाती है. उसके बाद आनंद कुमार और प्रणव दोनों भाई साइकिल से घूम घूम कर पापड़ बेचना शुरू करते हैं.
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