रेटिंगः साढ़े तीन स्टार

निर्माताः अजय देवगन,भूषण कुमार और किशन कुमार

निर्देशकः ओम राउत

कलाकारः अजय देवगन,काजोल,सैफ अली खान व अन्य.

अवधिः दो घंटे 14 मिनट

मराठा साम्राज्य की शूरवीरता को भव्य अंदाज में दर्शाने वाली आशुतोष गोवारीकर की फिल्म ‘‘पानीपत’’ के बाद अब ओम राउत उसी साम्राज्य की शूरवीरता को दिखाने के लिए फिल्म ‘‘तानाजीःद अनसंग वॉरियर’’ लेकर आए हैं.यह कथा सत्रहवीं सदी की ‘बैटल आफ सिंहगढ़’’ के नाम से मशहूर मुगल शासक औरंगजेब के खिलाफ मराठा साम्राज्य के शासक छत्रपति शिवाजी महाराज का युद्ध है. इसमें कोंढाणा किले को मुगल साम्राज्य से छुड़कर स्वराज्य का भगवा लहराने वाले वीर तान्हा जी कथा है. अमूमन युद्ध के इर्द गिर्द घूमने वाली ऐतिहासिक फिल्में बोरियत से भरपूर होती हैं, मगर ‘‘तानाजीःद अनसंग वौरियर’’ एक ऐसी कमर्शियल मसाला फिल्म है, जिसमें मनोरंजन के सारे तत्व भव्य पैमाने पर मौजूद हैं.

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कहानीः

यह कहानी है इतिहास के सत्रहवीं सदी में सिंहगढ़ युद्ध के नाम से दर्ज युद्ध की, जब मुगल शासक औरंगजेब (ल्यूक केनी) पूरे भारत पर मुगलिया परचम  लहराने के लिए ‘फूट डालो राज करो’की नीति के तहत दक्षिण में मराठा साम्राज्य के खिलाफ लड़ने के लिए हिंदू योद्धाओं और हिंदू राज्यों के शासकों का साथ ले रहे थे. उधर दक्षिण (दक्खण)में शिवाजी महाराज (शरद केलकर) अपने स्वराज्य को लेकर ली गई कसम के प्रति कटिबद्ध है. 17वीं शताब्दी में शिवाजी महाराज का परममित्र और जांबाज योद्धा सुबेदार तानाजी मालसुरे (अजय देवगन) खेती करने के साथ साथ अपनी पत्नी सावित्रीबाई (काजोल) के साथ अपने बेटे की शादी की तैयारियों में व्यस्त हैं.वह इस बात से अनभिज्ञ हैं कि एक संधि के तहत शिवाजी महाराज कोंढाणा किले समेत 23 किले मुगलों के हवाले कर चुके हैं.जब औरंगजेब की सेना कोंढाणा किले पर कब्जा करने आती है, तब राजमाता जीजाबाई ने कसम खायी थी कि जब तक इस किले पर दोबारा भगवा नहीं लहराएगा, तब तक वह पादुका नहीं पहनेंगी और नंगे पैर ही रहेंगी.

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