आज की फिल्मों या वैबसीरीज में किसिंग सीन या इंटिमेट सीन्स का होना कोई बड़ी बात नहीं है. सभी स्टार्स प्यार को दर्शाने के लिए किसिंग सीन को नौर्मल मानते हैं और इसे करने में वे हिचकिचाते नहीं क्योंकि उन्हें लगता है कि इस दृश्य के न होने पर फिल्म की कहानी अधूरी लगेगी.
एक इंटरव्यू में अभिनेत्री कल्कि कोचलिन ने कहा है कि जब पहली बार उन्हें एक इंटिमेट बैड सीन करने के लिए कहा गया, तो उन्हें बहुत अजीब सी फीलिंग हुई थी और उस दृश्य को करने के लिए उन्होंने कुछ समय मांगा और बाद में किया, लेकिन उन की शर्त यह रही कि निर्देशक को एक बार में दृश्य को शूट करना है. वह रीटेक नहीं देगी.
दर्शक इन दृश्यों को पैसा वसूल मानते आए हैं. आज लगभग हर फिल्म में किसिंग सीन तो देखते ही होंगे और जब फिल्म इमरान हाशमी की हो, तो इस में बिना किस के फिल्म पूरी ही नहीं होती, लेकिन सवाल यह उठता है कि फिल्म में ये सीन कैसे शूट किए जाते हैं. डाइरैक्टर और क्रू मैंबर्स के सामने अभिनेत्रियां कैसे आसानी से किसिंग या बैड सीन दे देती हैं. आइए, जानते हैं:
डबल बौडी का प्रयोग
ऐसे अंतरंग दृश्यों के बारे में निर्देशक पहले से ही अभिनेत्री को बता देते हैं ताकि वह भी मानसिक रूप से तैयार रहे. अगर कोई ऐक्ट्रैस इसे करने से मना करती है तो डबल बौडी का प्रयोग किया जाता है, जिस की तैयारी निर्देशक पहले से ही कर लेते हैं ताकि शूटिंग में किसी प्रकार की बाधा न हो. इस के अलावा इंटिमेट सीन्स की शूटिंग के लिए निर्देशक इंटिमेसी स्पैशलिस्टों की सेवाएं लेने और वर्कशौप करने से ले कर शूटिंग के समय सुरक्षित शब्दों का इस्तेमाल करते हैं ताकि कलाकारों को किसी तरह की असहजता महसूस न हो.
कलाकारों में अच्छी कैमिस्ट्री
फिल्म निर्माता अलंकृता श्रीवास्तव और सिनेमाटोग्राफर जय ओ?ा ने फिल्म ‘मेड इन हैवेन’ की शूटिंग के दौरान कलाकारों के बीच विश्वास का भाव पैदा करने और बारबार रीटेक से बचने के बारे में विस्तार से कलाकारों से बातचीत की, उन के बीच में एक कैमिस्ट्री तैयार की ताकि सीन्स को फिल्माते वक्त वे असहज न हों. ‘मार्गरीटा विद ए स्ट्रा’ की शूटिंग से पहले निर्देशक शोनाली बोस ने तय कर लिया था कि उन के कलाकार खुद को सुरक्षित महसूस करें. इसलिए कल्कि और सयानी गुप्ता ने बोस के साथ इंटिमेसी वर्कशौप की. जिस दिन सयानी गुप्ता को अपनी शर्ट उतारनी थी, उस समय सैट पर कुछ महिलाएं ही थीं. बोस ने भी शर्ट उतार दी और कमर पर एक तौलिया बांधा. इस से दोनों के बीच में हिचकिचाहट में कमी आई और सीन शूट करना आसान हुआ.
नहीं होता आसान
अभिनेत्री अनुप्रिया गोयंका से इंटिमेट सीन्स की सहजता के बारे में पूछने पर बताया कि कोई भी इंटिनेट सीन को शूट करना आसान नहीं होता, उस में अंतरंगता की फीलिंग लानी पड़ती है, जिस के लिए इंटिमेसी स्पैशलिस्ट होते हैं, जो उस सीन की कोरियोग्राफी करते हैं, जिस से उस सीन को फिल्माना आसान होता है. इन सीन्स को फिल्माते वक्त अधिकतर एक छोटी टीम होती है ताकि कलाकार को असहजता महसूस न हो. केवल एक्ट्रैस ही नहीं ऐक्टर भी कई बार ऐसे सीन्स करने में सहम जाते हैं.
अभिनेत्री तापसी पन्नू की फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ में तापसी, विक्रांत मेसी और हर्षवर्धन के साथ इंटिमेट सीन्स करती हुई दिखी थीं, जिस में दोनों ऐक्टर सहमे हुए थे कि ये दृश्य वे कैसे शूट करेंगे, लेकिन तापसी ने उन्हें बातचीत कर सहज किया और दृश्य को फिल्माया गया.
रजामंदी जरूरी
हिंदी फिल्म निर्देशक अशोक मेहता कहते हैं कि फिल्म की कहानी को बताते हुए ऐक्ट्रैस को पहले से सीन के बारें में बताया जाता है. अगर उस ने उसे करने से मना किया तो डबल बौडी का प्रयोग होता है, जिस में एक लैटर लिख कर अभिनेत्री और डबल बौडी करने वाले के साइन कराए जाते हैं ताकि बाद में ऐक्ट्रैस आरोप न लगाए कि उस दृश्य के बारे में उसे पता नहीं था. अगर कोई ऐक्ट्रैस अधिक समस्या करती है तो उस सीन को हटा भी दिया जाता है. फिल्मों से अधिक यह समस्या ओटीटी पर होती है.
तकनीक का प्रयोग
तकनीक का प्रयोग भी ऐसे सीन्स के लिए किया जाता है, जिस में डबल बौडी के साथ उसे शूट कर उस में अभिनेत्री का फेस लगा दिया जाता है.
अशोक मेहता कहते हैं कि कई बार ऐक्ट्रैस पहले इंटिमेट सीन्स को शूट तो कर लेती है, लेकिन बाद में परिवार वालों या बौयफ्रैंड के पूछने पर साफ इनकार भी कर देती है कि उस ने ये सीन्स नहीं दिए हैं और निर्मातानिर्देशक पर आरोप लगाती है, जिस से समस्या आती है. बड़े प्रोडक्शन हाउस को इस से अधिक फर्क नहीं पड़ता, लेकिन छोटे निर्माता, निर्देशक को कोर्ट तक जाना पड़ता है, जिस का सैटलमैंट अधिक पैसे से करना पड़ता है या सीन को हटाना पड़ता है.
इंडस्ट्री में आई नई या 2-3 फिल्में कर चुकी ऐक्ट्रैस के साथ अधिकतर ऐसी समस्या है. कई बार कुछ इंटिमेट सीन्स की जरूरत खास कहानी के लिए होती है. मसलन, फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में ?ारने के पानी में मंदाकिनी का नहाना और बच्चे को स्तनपान कराने वाले दृश्य की वजह से फिल्म हिट हुई. लोग उसी को देखने हौल तक अधिक गए. तब जमाना अलग था. आज के समय में इंडियन फिल्म इंडस्ट्री इंटिमेट सीन्स के मामले में वास्तविकता के बेहद करीब पहुंच गई है. ‘मेड इन हेवन,’ ‘फोर मोर शौट्स प्लीज’ और ‘सैक्रेड गेम्स’ आदि वैबसीरीज और ‘जिस्म,’ ‘मर्डर’ जैसी फिल्मों में यह देखा जा सकता है. फिल्म इंडस्ट्री में सभी इसे खुले दिल से स्वीकार कर रहे हैं और इसे हिट भी करवा रहे हैं.
इल्यूजन को करते हैं क्रिएट
आज अगर कोई अभिनेता या अभिनेत्री बोल्ड सीन्स करने से मना कर दे, तो कई बार टीम के क्रू को इल्यूजन क्रिएट करना पड़ता है यानी ब्यूटी शौट्स से काम चलाना पड़ता है. सिनेमैटोग्राफी की कुछ ऐसी तकनीक का प्रयोग करना पड़ता है, जिस से बिना कुछ हुए भी दर्शकों को लगता है कि बहुत कुछ हुआ है. ब्यूटी शौट्स यानी हग करना, किस करना, हाथों में हाथ डालना या फिर कैमरा ऐंगल ऐसे रखना, जिस के जरीए बौडी पार्ट्स को कवर किया जा सके. ये सभी सिनेमैटोग्राफी तकनीक होती हैं, जिसे वे रियल लुक देती हैं. बैड पर साटिन की बैडशीट्स यूज की जाती हैं और उन से ढक कर केवल इल्यूजन क्रिएट किया जाता है.
लेते हैं क्रोमा शौट्स
अगर कोई भी अभिनेता या अभिनेत्री ऐसे सीन्स करने में असहज फील करते हैं, तो निर्देशक क्रोमा शौट्स भी लेते हैं. क्रोमा यानी नीले या हरे रंग का कोई कवर जिसे बाद में गायब कर दिया जाता है जैसे ऐक्टर और ऐक्ट्रैस को किसिंग सीन से आपत्ति है तो उन के बीच सब्जी जैसे लौकी या कद्दू रख दिया जाता है. ग्रीन कलर होने के कारण लौकी क्रोमा का काम करती है. दोनों लौकी को किस करते हैं और पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान उसे गायब कर दिया जाता है.
रखनी पड़ती है शारीरिक दूरी
इस के अलावा कोई भी बोल्ड या इंटिमेट सीन शूट करते वक्त इस बात का पूरा खयाल रखा जाता है कि मेल और फीमेल के प्राइवेट पार्ट्स आपस में टच न हों और न ही कुछ अधिक रिविल हो क्योंकि करोड़ों की लगत से बनी हर फिल्म को बनाते वक्त कलाकारों के स्टेटस को भी ध्यान में रखना जरूरी होता है. शूटिंग के समय असमंजस की स्थिति पैदा होने से बचने के लिए क्रिकेट खिलाडि़यों की तरह ऐक्टर के लिए लोगार्ड या कुशन या फिर एअर बैग का इस्तेमाल किया जाता है, जो दोनों के बीच गैप रखता है. वहीं ऐक्ट्रैस के लिए पुशअप पैड्स, पीछे से टौपलैस दिखाना हो, तो आगे पहनने वाले सिलिकौन पैड का यूज किया जाता है. किसी भी इंटिमेट सीन को शूट करने के लिए सब से जरूरी अभिनेता या अभिनेत्री की आपसी एडजस्टमैंट होना जरूरी होता है. शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए कई बार प्रौप का भी सहारा लेना पड़ता है, जो आर्टिस्ट की पसंद के आधार पर होता है. प्रौप में सौफ्ट पिलो, स्किन कलर ड्रैस, मोडेस्टी गारमैंट्स आदि कुछ चीजें शामिल होती हैं.