उड़ीसा के भुवनेश्वर में जन्मे अभिनेता प्रेम परिजा ने काफी संघर्ष के बाद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी साख जमाने में कामयाब हुए है. उनकी डेब्यू वेब सीरीज कमांडो रिलीज पर है, जिसमें उन्होंने कमांडो की मुख्य भूमिका निभाई है. इसे लेकर वे बहुत उत्साहित है.
उन्हें बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी. दिल्ली में हायर स्टडीज के साथ-साथ उन्होंने थिएटर में अभिनय करना शुरू किया, ताकि वे एक्टिंग सीख सकें. मुंबई आकर प्रेम ने पर्दे के पीछे कई फिल्मों के लिए असिस्टेंट डायरेक्टर का भी काम किया, जिसमे लखनऊ सेंट्रल, वेलकॉम टू कराची आदि कई है, जिससे वे फिल्मों की बारीकियों को अच्छी तरह से समझ सकें.
एक्टिंग था पैशन
प्रेम कहते है कि मैं 11 साल की आयु से अभिनय करना चाहता था. एक्टिंग मेरा पैशन रहा है. मैंने अपने पेरेंट्स को शुरु से ही इस बात की जानकारी दे दी थी. मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ, इसलिए मुझे अपनी राह खुद ही चुनना और उस पर चलना था. इसलिए मैंने संघर्ष को साथी समझा और आज यहाँ पहुँच पाया हूँ. मेरे आदर्श अभिनेता शाहरुख़ खान है, उन्होंने भी पहली टीवी शो फौजी में सैनिक की भूमिका निभाई थी और आज मैं भी पहली वेब सीरीज में कमांडो की भूमिका निभा रहा हूँ.
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मिला ब्रेक
कमांडों फिल्म में काम करने की उत्सुकता के बारें में पूछने पर प्रेम का कहना है कि मैंने भुवनेश्वर में रहते हुए छोटी उम्र से एक्टर बनना चाहता था. वहां से दिल्ली और फिर मुंबई आया, पर्दे के पीछे काफी सालों तक काम किया, ऐसे करीब 16 साल के बीत जाने पर अगर एक बड़ी हिंदी वेब शो जिसके निर्देशक विपुल अमृतलाल शाह है, उस फिल्म में काम करने का मेरा सपना, अब साकार होता हुआ दिखता है, इसकी ख़ुशी को बयान करना मेरे लिए संभव नहीं.
चुनौतीपूर्ण भूमिका
कमांडों की भूमिका में फिट बैठना आपके लिए कितना चुनौतीपूर्ण रहा? प्रेम कहते है कि मैं मुंबई में एसिस्टेंट डायरेक्टर का काम छोड़ने के बाद एक्टिंग के बारें में जब सोचा, तब मेरे दो ट्रेनर अक्षय और राकेश ने मुझे बहुत स्ट्रोंग ट्रेनिग दिया और मुझे एक कमांडो तैयार किया. स्क्रिप्ट मिलने पर जब पता चला कि मुझे कमांडो विराट की भूमिका निभानी है, तो मैंने थोड़े एक्स्ट्रा मार्शल आर्ट सीखा, मसल्स बढ़ाए और इंटरनली स्ट्रोंग मानसिक भावनाओं पर भी काम करना पड़ा.
कठिन था फिल्माना
कठिन दृश्यों के बारें में प्रेम कहते है कि इसमें दो ऐसे मौके थे जब मुझे उसे शूट करना कठिन था. मेरे पहले दिन की शूटिंग, जब मुझे कैमरे के सामने एक्टिंग करना पड़ा. पहला दिन मुझे तिग्मांशु धुलिया के साथ शूट करना था. उस दिन कॉन्फिडेंस आने में समय लगा. पहले सीन में 6 से 7 टेक लगे थे. इसके अलावा एक सीन में आँखों से 10 साल की दोस्ती को बताना था, जो बहुत कठिन था. इसे भी करने में 7 से 8 टेक लगे थे.
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मिली प्रेरणा
प्रेम आगे कहते है कि मेर परिवार में कोई भी एक्टिंग फील्ड से नहीं है, मेरे परिवार के सारें लोग एकेडमिक प्रोफेशन में है. मेरे पिता एक प्रतिभावान व्यक्ति थे. जब मैंने पहली बार सबको अभिनय की इच्छा के बारें में बताया तो सभी चकित रह गयें. मैं छोटी उम्र से फिल्में बहुत देखता था और फिल्में मुझे आकर्षित करती थी. मुझे याद है कि मैं शाहरुख़ की अधिक फिल्में देखता था. उनकी एक फिल्म को देखकर लगा कि मुझे भी इसी फील्ड में आना है. उनकी फिल्में देखकर ही मेरी एक्टिंग की प्रेरणा जगी.
मिला सहयोग
परिवार के सहयोग के बारें में प्रेम का कहना है कि शुरू में उन्होंने पढ़ाई पूरी करने को कहा और मैं स्टडीज में काफी अव्वल भी था, लेकिन थिएटर में मेरी रूचि को देखने के बाद उन्हें लगने लगा कि मैं वाकई अभिनय में इंटरेस्ट रखता हूँ और उन्होंने मुझे अभिनय के लिए सहयोग दिया. दिल्ली के कॉलेज में मैंने पढ़ाई के साथ-साथ थिएटर सोसाइटी में भाग लिया. वहां परिवार वालों ने मुझे डांस और अभिनय करते हुए देखा तो उन्हें भी समझ आ गई कि मेरा इसी फील्ड में जाना सही होगा और सहयोग दिया.
किये संघर्ष
दिल्ली से मुंबई आकर खुद की पहचान बनाना प्रेम के लिए काफी मुश्किल था. वे कहते है कि मैं संघर्ष के बारें में कितना भी बताऊँ वह कम ही होगा. मैं इसे अपनी जर्नी मानता हूँ, संघर्ष नहीं. दिल्ली में मेरी जर्नी ख़त्म होने के बाद मुझे मुंबई जाना सही लगा लगा. यहाँ आकर भी मुझे फिल्म बनाने के बारें में जानकारी हासिल करना जरुरी लगा. मुझे एसिस्टेंट डायरेक्टर का काम 9 महीने के बाद मिला, जो डायरेक्टर निखिल अडवानी के साथ काम करने का था. मैंने उनके साथ कई फिल्मों के लिए काम किया और फिल्म बनाने की कला सीखी. शुरू में मैं खुद हर प्रोडक्शन हाउस में जाकर अपनी रिजुमे दिया करता था और एसिस्टेंट डायरेक्टर का काम माँगता था. इस दौरान मैंने फिजिकल ट्रेनिग और अभिनय को भी चालू रखा.
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वित्तीय संघर्ष
9 महीने की गैप में आपने अपनी फिनेंशियल स्थिति को कैसे सम्हाला? इस प्रश्न के जवाब में प्रेम का कहना है कि उन दिनों फाइनेंस को सम्हालना बहुत मुश्किल था. पेरेंट्स के भेजे गए पैसे से दिन गुजारता रहा. कई बार बहुत मुश्किल होता था. मुझे याद आता है कि मैं जिस फ्लैट में रहता था, उसमे 14 लड़के रहते थे, बाथरूम एक था, ताकि रेंट बचाया जा सकें. उस वक्त पिता थे, तो उन्होंने फाइनेंसियली बहुत हेल्प किया.
रिजेक्शन से होती है मायूसी
शुरुआत में हुए रिजेक्शन का सामना करना और आगे फिर से खुद को ऑडिशन के लिए तैयार करना आसान नहीं था, क्योंकि ऐसे में उन्हें खुद की फाइनेंसियल पहलू को भी ध्यान में रखना पड़ा. प्रेम सोचते हुए कहते है कि सबसे अधिक मैं इन सबसे निपटने के लिए खुद को अनुसाशन में रखना पसंद करता किया. इसमें मैं मेडिटेशन करता हूँ, इससे मुझे आत्मविश्वास और शक्ति मिलती है. रिजेक्शन तो होना ही है और इसे सहजता से लेना भी पड़ता है. नहीं तो इस इंडस्ट्री में काम करना संभव नहीं. कई बार बहुत मायूसी होती है, तब मैं अपनी माँ, बहन और कुछ दोस्तों से बातचीत कर लेता हूँ, जो मुझे मेरे पैशन को याद दिलाते थे. इसके अलावा मैं अभिनय की ट्रेनिंग पर बहुत अधिक फोकस करता हूँ. इन सभी को करने से मुझे स्ट्रेस नहीं होता.
सपना स्टार बनने का
ड्रीम के बारें में प्रेम कहते है कि मैंने इस देश का सबसे बड़ा स्टार बनने का सपना देखा है और उसी दिशा में मेहनत कर रहा हूँ. इसके अलावा सबसे अधिक मनोरंजन वाली फिल्मों और अभिनय से दर्शकों को खुश करना चाहता हूँ. मेरे पास सुपर पॉवर, स्ट्रेंथ की होनी चाहिए, ताकि मैं जरुरतमंदों को जी-जान से मदद कर सकूँ. मेरी माँ की सीख भी यही है.