फरहा खान की सुपरहिट फिल्म ‘मैं हूं न’ में शाहरुख खान के छोटे भाई की भूमिका निभाकर चर्चा में आये अभिनेता जायेद खान ने फिल्मों में सफलता के लिए काफी संघर्ष किया, पर उन्हें इसका स्वाद चखने को नहीं मिला. संजय खान के बेटे, फिरोज खान के भतीजे, फरदीन के भाई होने की वजह से उन्हें फिल्में तो मिली, पर वे किसी में कामयाब नहीं हो सकें. इतना ही नहीं उन्होंने ‘दस’, ‘युवराज’, ‘ब्लू’ और तेज’ जैसी फिल्मों में हिट सितारों सलमान खान, अजय देवगन, संजय दत्त, अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं के साथ भी काम किया, पर वे किसी भी रूप में दर्शकों तक अपने छाप छोड़ने में असमर्थ रहे.

14 साल के उनके इस कैरियर में वे एक हिट फिल्म के लिए तरसते रहे. आज इसे वे अपनी गलती मानते है, क्योंकि तब उन्हें लगा था कि कोई भी फिल्म चलती है. शायद स्टार किड्स होना उन पर हावी था. अभी वे सोनी टीवी पर धारावाहिक ‘हासिल’ में बिजनेस मैन रणवीर रायचंद की भूमिका निभाकर डेब्यू कर रहे हैं. वे खुश इस बात से हैं कि देर से ही सही, पर उन्हें टीवी पर एक अच्छा प्रोजेक्ट मिला है. उनके हिसाब से आज सारे बड़े-बड़े कलाकार टीवी पर काम कर रहे हैं, क्योंकि टीवी की लोकप्रियता अधिक है और वे इसके माध्यम का सहारा लेकर एक बार फिर आम लोगों के दिलों में उतरने की कोशिश कर रहे हैं.

टीवी पर अभिनय करने की वजह के बारें में पूछे जाने पर जायेद कहते हैं कि मैंने एक रिस्क लिया है और लाइफ में मैंने कई रिस्क लिये हैं. ये जरूरी भी है. रिस्क लेने से ही कभी रिवॉर्ड मिलता है तो कभी नहीं. मुझे टीवी करने की कोई इच्छा नहीं थी, पर इसके निर्माता, निर्देशक के कहने पर मैंने इसे देखा और पाया कि ये टीवी होने पर भी इसके दृश्य फिल्मों की तरह ही बड़े पैमाने पर फिल्माए जा रहे हैं. साथ ही एक नियत समय पर कहानी अंजाम तक पहुंचेगी. जो बहुत अच्छा लगा. इतना ही नहीं मैंने उनसे वादा करवाया है कि जो आपने अभी मुझे कहानी कही है, अंत तक वैसी ही रहेगी, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा. वे राजी हुए और मैंने हां की. मैं खुश हूं कि मुझे इसमें काम करने और दर्शकों से जुड़ने का मौका मिला है.

जायेद खान का टीवी से जुड़ाव बचपन से था. उन्होंने बचपन में जूनियर टीपू सुल्तान की भूमिका निभाई थी, जो उन्हें काफी अच्छी लगी थी. पुराने दिनों को याद करते हुए जायेद कहते हैं कि उस समय मैं बहुत छोटा था और मेरे संवाद उर्दू में थे, जिसे पिता संजय खान के आगे बोलना बहुत कठिन था, लेकिन सेट पर आते ही सब ठीक हो गया.

जायेद ने अपनी एक डिजिटल प्रोडक्शन कंपनी ‘बोर्न फ्री एंटरटेनमेंट’ की शुरुआत की है, जिसमें वे वैसे शो करते है जिसे टीवी या फिल्म में दिखाना कठिन होता है. वे कहते हैं कि डिजिटल मीडिया का आजकल अधिक प्रसिद्ध होने की वजह उस पर किसी तरह के लगाम का न होना है. ये सही भी है, क्योंकि क्रिएटिविटी पर लगाम लगना सही नहीं होता. हिंदी सिनेमा में आजकल बहुत सारे अलग-अलग तरह की फिल्में बन रही है, जिसे लोग पसंद भी कर रहे हैं.

जायेद हमेशा सकारात्मक सोच रखने पर विश्वास रखते हैं और जो भी उन्हें मिलता है उसमें खुश रहने की कोशिश करते हैं. इससे वह अपने आप में बदलाव को महसूस करते हैं. सोशल मीडिया का गलत उपयोग किये जाने के बारे में वे कहते हैं कि जब किसी को कोई पावर मिलता है तो उसका गलत प्रयोग किसी न किसी रूप में अवश्य होता है. बस यही बातें अब सोशल मीडिया पर देखी जा रही हैं. आज हर कोई सेलिब्रिटी बन गया है और अपने हिसाब से उसका प्रयोग करते हैं. मैं मीडिया की स्वंत्रता होने को मानता हूं, लेकिन कुछ चीजों पर बैन होना चाहिए, ताकि बच्चों पर उसका असर न पड़े.

जायेद खान, अपने अंकल फिरोज खान से बहुत डरते थे, लेकिन उनकी जिन्दादिली और स्टाइल के वे कायल थे. जायेद कहते है कि मुझे बहुत जानने की इच्छा होती थी, उनकी जिन्दादादिली, काऊबॉय हैट पहनना, पश्चिमी सभ्यता को अपनाने के पीछे का राज क्या है? उनका बचपन कैसा था, किससे वे प्रेरित हुए आदि, पर पूछने की हिम्मत कभी नहीं हुई. एक बार जब मैं अपने वेडिंग कार्ड के साथ जाकर उनसे कहा कि फिरोज चाचा हम शादी करने वाले हैं, तो उन्होंने पलटकर कहा था कि क्या पागल हो गए हो? मैंने जवाब दिया था नहीं, प्यार हो गया. उनका कहना था कि शादी करके या तो तुम खुश रहोगे या दुखी, पर शादी तो करोगे ही. इस पर मैंने सोचा कि आशीर्वाद देने के बजाय ये तो मुझे डरा रहे हैं, पर मैं उनकी स्टाइल को अभी भी पसंद करता हूं.

जायेद अपने नम्र स्वभाव और अच्छे व्यवहार की वजह से इंडस्ट्री में जाने जाते हैं और ये उन्होंने जन्म से सीखा है. वे कहते हैं कि इंडस्ट्री में सबके साथ अच्छा बर्ताव करना जरूरी होता है, ताकि आपको सबका साथ मिलता रहे. यह लोगों की इंडस्ट्री है, यहां अगर आप सबसे बातचीत करने का ढंग नहीं जानते तो आप काम नहीं कर सकते, मेकअप मैन से लेकर स्पॉट बॉय, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर सबके साथ अच्छा रिलेशन रखना पड़ता है. मैंने जिंदगी में किसी की हैसियत से उसे नहीं देखा, कर्मों से देखा है और मैंने यह महसूस किया है कि जो पैसे हम उन्हें उस काम के लिए देते हैं. वह उस इंसान की मेहनत से कम है और मैं ऐसे में उसकी भरपाई करने की कोशिश करता हूं और मुझे यही सही लगता है.

अपनी यात्रा के बारे में जायेद गंभीर होकर कहते हैं कि मैंने अपने जीवन में थोड़ी सफलता और बहुत सारी असफलता को देखा है और इसी से मुझे सीख मिली है. मेरे हिसाब से जब तक दर्द नहीं है तब तक वह मर्द नहीं है. फैल्योर से मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली. थोड़ी सी सफलता को भी मैं सेलिब्रेट करता हूं. असफलता को अगर मैं बैठकर सोचने लगूं, तो उसी दिन खत्म हो जाऊंगा. पहले मुझमें बचपना था, पर अब मैं अनुशाशित होने की कोशिश कर रहा हूं. मैं पहले ओवर कॉंफिडेंट लड़का था और सोचता था कि मैं आराम से हीरो बन जाऊंगा, जो नहीं हुआ. मेरे अंदर मैच्युरिटी तब आई, जब मेरा बेटा मुझे पिता कहकर बुलाने लगा.

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