धारावाहिक ‘पिया अलबेला’ से चर्चा में आने वाले टीवी एक्टर अक्षय म्हात्रे एक मॉडल भी है. उन्हें हर नयी चुनौती पसंद है और हर नया चरित्र उन्हें आकर्षित करता है. सोनी टीवी पर ‘इंडिया वाली मां’ में अक्षय मुख्य भूमिका निभा रहे है. स्वभाव से विनम्र अक्षय से बात हुई पेश है कुछ अंश, 

सवाल-इस शो को करने की खास वजह क्या है?

 कहानी हर भारतीय दर्शक को छू लेनेवाली है. कहानी हर दूसरे भारतीय दर्शक की मां को रिप्रेजेंट करती  है. मेरा रोहन किरदार मुझे बहुत अच्छा लगा. बहुत रिलेवेंट सा लगा ,जब किरदार के इर्द गिर्द कहानी घूमती है , किरदारअगर मध्यवर्ती किरदार हो तो कोई गुंजाइश ही नहीं बचती कि उसे करने में कोई हिचकिचाट हो.इसके अलावा इस शो की ऑफर वर्ष 2019 में आयी थी. लॉक डाउन के कारण शो शुरू होते होते 2020 का सितम्बर महीना हो गया. मेरी जगह कोई और होता तो वो भी इस किरदार को राजी ख़ुशी कर लेता.

सवाल-आपके अभिनय का सफर पिछले 2-3 वर्षों से शुरू हुआ है , ऐसे में मुख्य भूमिका का मिलना कितना मुश्किल था?

 पिछले कई वर्षों से फिल्म्स वेब सीरीज या टीवी शोज में रोल मिलने का एक मात्र जरिया रहा है. इस शो के लिए ऑडिशन देने एक हज़ार से अधिक युवक आये थे, जिन्होंने ऑडिशन दिया, लेकिन  मैं शॉर्ट लिस्टेड हुआ और फाइनली लास्ट राउंड तक पहुँच गया.  इस शो के किरदारों में सबसे पहली मेरी कास्टिंग हुई थी. पहले ऐसा तय हुआ था कि इस शो की पूरी शूटिंग विदेश में होगी, क्योंकि  शो का टायटल इंडिया वाली मां’ है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया तहसनहस हुई और फिर जाकर यह निर्णय लेना पड़ा कि शो की शूटिंग यही पर किया जा रहा है. 

ये भी पढ़ें- कोरोना ने ली एक और बौलीवुड सिंगर की जान, सलमान से था खास नाता

सवाल-यहाँ तक पहुँचने में संघर्ष कितना रहा?

संघर्ष सभी कलाकारों को किसी न किसी रूप में करना पड़ता है. इस समय टीवी , फिल्म्स और पूरी मायानगरी में आउट साइडर्स , इन साइडर्स , ड्रग्स , आत्महत्या , डिप्रेशन जैसी कई घटनाएं घट रही है.  इस में कोई दो राय नहीं है कि एक सामान्य परिवार से आएं युवाओं को संघर्ष की आग में खुद को लपेटना पड़ता है फिर भी कोई गारंटी नहीं होती है कि उन्हें अभिनय का मौका मिल जाएं. धीरज धरने की जरुरत होती है. 

सवाल-इस चरित्र से आप अपने आपको कितना जोड़ पाते है?

मां से हर लड़के की अच्छी बोन्डिंग होती है,ऐसा मैं मानता हूं. मैं भी वैसा ही हूं, लेकिन ये कहानी आज के कुछ बच्चों की कड़वी सच्चाई को बताती है. आज कल के अधिकतर युवा खासकर लड़के अपने पेरेंट्स के साथ वैसा प्यारभरा रिश्ता नहीं रखते जैसा रखना चाहिए. बच्चों को उनके माता -पिता से दोस्ताना व्यवहार रखने की जरुरत होती है, ताकि वे अपनी हर बात उनसे शेयर कर सकें, लेकिन आज के समाज में ऐसा हो नहीं रहा है, इसलिए माता-पिता और बच्चे अपने आपको अलग और अकेला महसूस करते है.

सवाल-आपका अपने माता-पिता के साथ कैसा रिश्ता है?

 मैंने रोहन जैसे  लड़के समाज में देखे है इसीलिए इस किरदार  के साथ रिलेट किया, पर मेरा अपनी मां और पिता से दिल का गहरा रिश्ता है. मैं शूटिंग के बाद जैसे वक्त मिलता है मां और पिता से बात किए बिना नहीं रह सकता.  मेरी उनसे बहुत इमोशनल बॉन्डिंग है , हमेशा रहेगी. शूटिंग के दौरान जब रोहन अपनी मां से रुखा बर्ताव करता है, तो मैं बहुत इमोशनल हो जाता हूं यह सोचकर कि क्यों हम बच्चे अपनी मां के जज्बातों को नहीं समझते? जरुरी है उन्हें समझने की , उनके साथ दो प्यारभरे लफ्ज़ कहने की. वैसे मैं भी ममाज बॉय हूं. 

सवाल-अभिनय में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

मुंबई में कॉलेज में पढने के दौरान मैं थिएटर करता था. अभिनय करने की चाहत काफी पहले से थी ,लेकिन रास्ता समझ में नहीं आ रहा था. कॉमर्स की डिग्री लेने बाद मैंने एम् बी ए में एडमिशन ली.  थिएटर करते समय किसी को -ऑर्डिनेटर ने मेरा प्ले देखा और कलर्स मराठी के शो सावर रे में ब्रेक दिया.  यह सब कुछ इतने तेजी से हुआ की मेरा खुद पर यकीन नहीं हुआ और कहीं न कहीं यह समझ बैठा कि अब तो मुझे सामने से काम मिलने लगेगा,पर हुआ ठीक उल्टा. कलर्स मराठी जैसे बड़े चॅनेल के शो को करने के बाद ही मेरा संघर्ष शुरू हुआ. बहुत पापड़ बेलने पड़े. अभिनय अनुभव , शकल अच्छी होने के बावजूद रिजेक्शन मिलता रहा तब अहसास हुआ कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में  गॉडफादर, मेंटॉर का न होना कितना मुश्किल होता है. बहुत वक्त लगा मुझे दूसरा ब्रेक मिलने में. इस दौरान मैंने कुछ मराठी फिल्म्स , डॉक्यूमेंटरीज , शॉर्ट फिल्म्स की. राजश्री प्रोडक्शंस के लिए एक शो किया. एक अहम् टीवी धारावाहिक पिया अलबेला की. इस शो ने मुझे पहचान दी. धीरे धीरे काम मिलने लगा और अब यह शो मिला. 

सवाल-संघर्ष के दौर में रिजेक्शन मिलने से डिप्रेशन आता है , आपने डिप्रेशन को कैसे हैंडल किया ?

मेरी परवरिश मिडल क्लास परिवार में हुई है. अभिनय करना , मौका मिलना , संघर्ष करना कतई आसान नहीं यह मेरे साथ मेरे पेरेंट्स भी जानते थे.  अभिनय के लिए अनगिनत ऑडिशंस देने पड़ते है , कईओं को खासकर मेकर्स से मिलना पड़ता है , ढंग के कपडे पहनने पड़ते है , एक लाइफस्टाइल जरुरी होती है. उसी स्टेज पर पिताजी ने मुझे यह सब मुहैया करवाया. मेरे पिताजी सेंट्रल रेल्वेज़ में काम करते है. मेरा अभिनय का पैशन पूरा करने के लिए कोई कसर उन्होंने छोड़ी नहीं. जब अगले मुकाम पर मुझे रिजेक्शन (अस्वीकार ) आते रहे, सबसे पहले मां और पिताजी ने मुझ में सकारात्मक ऊर्जा कायम रखी, वरना मैं निराशा से घिर जाता. आज मां और पिताजी के आशीर्वाद -सपोर्ट के कारण मैं बिना गॉडफादर -मेंटॉर के आगे बढ़ रहा हूं.

सवाल-अभिनय में आपके आदर्श कौन है?

बहुत सारे है, खान हीरोज मेरा आदर्श है. मेरे पसंदीदा एक्टर सलमान खान है. 25 वर्षों से अधिक शाहरुख़ ,सलमान ,आमिर शिखर पर राज कर रहे है जो आसान नहीं. इसके अलावा अक्षय कुमार , अजय देवगण ,अमिताभ बच्चन ,नासिरुद्दीन ,इरफ़ान , नवाजुद्दीन सिद्द्की इनके अभिनय को देखकर महसूस होता है कि ये सभी पाठशाला नहीं बल्कि एक्टिंग की यूनिवर्सिटीज है.

ये भी पढ़ें- ऋषिकेश में कुछ यूं वक्त बिता रही हैं ‘ये रिश्ता..’ फेम मोहेना कुमारी, देखें फोटोज

सवाल-नया क्या कर रहे है?

अभी  मेरा पूरा फोकस इस समय इंडिया वाली मां शो पर है. इसे बहुत पसंद किया जा रहा है, ऐसा रिस्पॉन्स मिला है.  अच्छे रोल टीवी , फिल्म्स , वेब शोज में मिले तो करता रहूंगा.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...