‘‘स्टार प्लस’’ पर 26 जनवरी से हर शाम साढ़े छह बजे प्रसारित हो रहे सीरियल ‘‘मेरी दुर्गा’’ में दुर्गा के साथ स्कूल में पढ़ने वाले तथा दुर्गा की बदमाश मानी जाने वाली चार सदस्यीय टीम का हिस्सा बंसी ने महज चार एपीसोड के प्रसारण में ही हर किसी को अपना दीवाना बना लिया है. जबकि बंसी का किरदार निभा रहे बाल कलाकार मोहम्मद सउद ने अभिनय की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. तो फिर उसके अभिनय के लोग दीवाने क्यों हो रहे हैं? इसकी मूल वजह यह है कि वह उस वक्त से अभिनय करते आ रहा है, जब वह अभिनय का नाम तक नहीं जानता था. मोहम्मद सउद का दावा है कि उसकी मां ने ही उसे बताया कि उसका जन्म गुजरात के अहमदाबाद शहर में हुआ था और वह दो माह की उम्र से ही विज्ञापन फिल्मों में अभिनय करने लगा था.

कक्षा सातवीं के छात्र तेरह वर्षीय मोहम्मद सउद ने विज्ञापन फिल्में करते करते सीरियल ‘‘जय जय बजरंग बली’’ में राम का किरदार निभाकर टीवी पर कदम रखा. उसके बाद से वह ‘कुमकुम भाग्य’, ‘एक था राजा एक थी रानी’, ‘प्रतिज्ञा’ सहित कई सीरियलों में अभिनय कर चुके हैं. इतना ही नहीं मोहम्मद सउद ने फिल्म अभिनेता इमरान हाशमी के साथ एक सीरियल में प्रमोशनल एपीसोड किया था, उसके बाद उसे फिल्म‘‘अजहर’’ में मो. अजहरुद्दीन के बचपन का किरदार निभाने का अवसर मिला. इसके अलावा मोहम्मद सउद ने जैगम इमाम की शिक्षा को बढ़ावा देने वाली और मदरसा व कंवेंट शिक्षा को लेकर बनायी गयी फिल्म ‘‘अलिफ’’में भी मुख्य भूमिका निभाई है. यह फिल्म तीन फरवरी को पूरे देश के सिनेमाघरों में प्रदर्षित हो रही है. इस फिल्म के लिए उसे सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का इंटरनेशनल अवार्ड भी मिल चुका है.

सीरियल ‘‘मेरी दुर्गा’’ तो दुर्गा नामक लड़की की कहानी है. इसमें आप क्या कर रहे हो?

आप एकदम सही कह रहे हैं. सीरियल के नाम के अनुरूप इसकी कहानी दुर्गा के इर्द गिर्द घूमती है. मगर हकीकत यह है कि यह सीरियल हरियाणा की पृष्ठभूमि की कहानी है, जो कि लड़कियों को पढ़ाने का संदेश देता है. इस सीरियल में लोग मुझे बंसी के किरदार में देख रहे हैं. बंसी और उसके दो जिगरी दोस्त हैं. जो कि दुर्गा के ही गांव में रहते हैं और दुर्गा के ही साथ एक ही कक्षा में पढ़़ते हैं. यानी कि दुर्गा की यह चार सदस्यीय टोली है. जो कि आपको पूरे गांव व स्कूल में एक साथ हमेशा नजर आते रहेंगे. अब बंसी और दुर्गा के बीच किस तरह कारिश्ता आगे बढ़ेगा, किस तरह की रोचक घटनाएं होने वाली हैं, वह सब जानने के लिए तो सीरियल ‘‘मेरी दुर्गा’’देखना ही पड़ेगा. मगर यह सच है कि इस सीरियल में मेरा बंसी का किरदार  भी अहम है.

सीरियलों में किन किन लोगों के साथ काम कर चुके हो?

शब्बीर अहलूवालिया, दृष्टि धामी, श्रृति झा, सिद्धांत, उपासना सिंह सहित कई कलाकारों के साथ काम करते हुए इंज्वाय किया है.

सेट पर बड़े कलाकारों के साथ आप काम करते हैं. उनसे आपकी किस तरह की बातचीत होती है?

मेरे लिए सेट पर कलाकार बड़े नही होते हैं. सब मेरे भाई या बहन होते हैं. मसलन मैं इमरान हाशमी को इमरान भइया, शब्बीर आहलुवालिया को शब्बीर भइया ही या दृष्टि धामी को दृष्टि दीदी ही कहता हूं. यह सभी मुझे सेट पर अपने छोटे भाई की तरह प्यार देते हैं. हमारे साथ मस्ती मजाक भी करते हैं. हम खेल भी करते हैं. सच कहूं तो जब हम सेट पर शूटिंग करते हैं, तो मुझे यह नहीं लगता है कि हम कोई बड़ा काम कर रहे हैं. हां! जब सीरियल प्रसारित होता हैं या फिल्म रिलीज होती है, तो पता चलता है कि हां मैंने कुछ काम किया था. हम सेट पर अपने कलाकारों के साथ स्क्रिप्ट को लेकर भी चर्चा करते हैं. शब्बीर भईया और दृष्टि दीदी के साथ तो हम सेट पर खूब मस्ती करते हैं. उपासना दीदी के साथ तो हम सेट पर मस्ती के साथ साथ पढ़ाई भी कर लेते हैं. गौरव शर्मा भइया तो सिर्फ मस्ती ही करते हैं. हां! इमरान हाशमी भइया के साथ थोड़ी मस्ती कम हुई थी. वह कम बोलते हैं और थोड़ा गंभीर किस्म के हैं.

सेट पर कभी ऐसा भी हुआ होगा कि आप चार पांच बच्चों का सीन है. तो कभी आप संवाद भूल जाते होंगे. या कभी आपका दूसरा साथी संवाद भूल जाता होगा?

अब तक तो मैं कभी अपने संवाद नहीं भूला. पर जब मेरा कोई दूसरा दोस्त अपना संवाद भूलता है, तो हम उसे चियरअप करने की कोशिश करते हैं. मैं तो उसे उसका संवाद याद दिलाने की कोशिश करता हूं.

तो क्या आप दूसरे बच्चों के भी संवाद याद कर लेते हो?

ऐसा नही है. सेट पर सहायक निर्देशक हम लोगों को संवाद सुनाया करते हैं. जिसके चलते हम अपने दोस्त के उन संवादों को दोहरा देते हैं. इसके अलावा सामने वाला कोई शब्द भूल रहा है, तो हम अपने होंठ चलाकर भी उसे बता सकते हैं. कई बार तो मैं भी अपने साथी को सीन के बारे में समझा देता हूं कि कैसे करना चाहिए. तो वहीं सेट पर जब शब्बीर आहलुवालिया भइया हों, तो वह मुझे सीन के बारे में समझा देते हैं.

क्या आप अपने संवाद रटते हो?

संवाद रटने की जरूरत नहीं पड़ती. सब कुछ एकाग्रता वाली बात है. हम सुबह सेट पर पहुंचते हैं. निर्देशक उस दिन की पूरी स्क्रिप्ट हमें दे देते हैं. हम स्क्रिप्ट को दो तीन बार पढ़ लेते हैं. उसके बाद जब मेरे सीन कीशूटिंग होती है, तब हम अपने सीन के संवाद को दो तीन बार पढ़ते हैं. फिर रिहर्सल में चार पांच बार संवाद दोहराते हैं. रटने की जरूरत नहीं पड़ती है. रिहर्सल के दौरान निर्देशक बताते हैं कि हमें किस तरह मूव करना है.

इसके बाद क्या करने वाले हो?

यह कहना मुश्किल है. जब तक दर्शक हमें पसंद करेंगे, तब तक हम ‘मेरी दुर्गा’ में बंसी के किरदार में नजर आते रहेंगे. वैसे एक सीरियल के पायलट एपीसोड की शूटिंग कलकत्ता में कर चुका हूं. पर इस सीरियल का प्रसारण कब शुरू  होगा, इसकी जानकारी मुझे नहीं है.

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