धारावाहिक ‘अविनाश आईपीएस’ से अभिनय कैरियर में कदम रखने वाले अभिनेता तरुण खन्ना दिल्ली के हैं. उन्हें हमेशा से अलग और भावपूर्ण अभिनय करने की इच्छा रही है, जिसमें साथ दिया परिवार वालों ने. उन्होंने टीवी शो के अलावा कई फिल्मों में भी काम किया है.  कई धारावाहिकों में उन्होंने महादेव की भूमिका निभाई है, जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया है. इन दिनों वे दंगल टीवी पर भी ‘ देवी आदि पराशक्ति’ में भी शिव की भूमिका निभा रहे है. लॉक डाउन के बाद धारावाहिक की शूटिंग शुरू हो चुकी है, जिसका सेट गुजरात के उमरगांव में है. कोरोना संक्रमण की वजह से ये शूट बहुत ही सावधानीपूर्वक और हायजिन तरीके से की जा रही है. उनसे बात हुई, पेश है कुछ अंश. 

सवाल-किस तरह के बदलाव आप सेट पर अभी कोरोना काल में देख रहे है?

सेट पर प्रोडक्शन हाउस हायजिन का पूरी तरह से पालन कर रहे है. सेट पर अंदर जाने से पहले गेट पर एक सेनीटाइज करने वाली मशीन इनस्टॉल की गयी है, जिसके अंदर से सबको गुजरना पड़ता है और सभी के शरीर के साथ-साथ सारे समान भी सेनीटाइज हो जाते है. इसके बाद हर व्यक्ति को एक काउंटर पर जाकर अपना टेम्परेचर चेक करवाना पड़ता है. वहां मास्क और फेस शील्ड मिलती है. इस तरह सारे गाइडलाइन्स फोलो किया जा रहे है, ताकि हर व्यक्ति सुरक्षित रहे.

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सवाल- क्या इस माहौल में अभिनय करने में कोई समस्या आ रही है ?

शूटिंग से पहले मास्क पहनता हूँ. शूटिंग के दौरान उसे खोलना पड़ता है. कमरे में भी मास्क नहीं पहनता, इस तरह मेरी जिंदगी में बहुत अधिक परिवर्तन नहीं आया है. जो लोग पीपीई किट मास्क और फेस शील्ड पहनकर काम करते है. उन्हें उमरगांव की इस गर्मी में मुश्किल होती है. पूरा दिन वे इसे पहने रहते है. गर्मी लगती है, सफोकेशन होता है, फिर भी वे पहनकर ही काम करते है. 

 

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A nice surprise by some fans of my show Devi adi para shakti @realswastik @rahultewary @sktorigins @kaulritesh

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सवाल- क्या कोरोना काल में हायजिन के क्षेत्र में कुछ अच्छी बात हुई है, क्योंकि पहले अधिकतर सेट पर साफ़सफाई और हायजिन पर ध्यान नहीं दिया जाता था?

देखा जाय, तो कोरोना काल में अच्छा कुछ भी नहीं हुआ है. हायजिन पर ध्यान भी अभी बहुत कम है. लोगों को मास्क अभी पहनना जरुरी है, पर लोग अभी भी मास्क हटाकर बात करते है या फिर थूकते है, ऐसे में मास्क लगाने का कोई फायदा नहीं है, इसलिए मैंने प्रोड्यूसर से सेट पर काम करने वालों के इधर-उधर थूकने पर अधिक से अधिक जुर्माना लगाने की बात भी कही है. इसके अलावा उस व्यक्ति को उस थूक को कपड़े से नहीं, अपने हाथ से साफ़ करना पड़ेगा. इन सभी आदतों के लिए हम सभी ने कड़े नियम बनाये है. हायजिन के बारें में किसी को हमारे देश में पड़ी नहीं है. कितना भी कह लें, कोई मानने को तैयार नहीं होता, जबकि यूरोप, अमेरिका, रूस आदि देशों में हायजिन और हेल्थकेयर उच्च स्तरीय होने के बावजूद, उनकी हालत कोरोना संक्रमण से निपटने में मुश्किल  हो रही है. लोग इस बीमारी को हल्के में ले रहे है, जबकि बहुत अधिक एहतियात बरतने की जरुरत है.  

सवाल-लॉक डाउन में आपने क्या-क्या किया है?

पहले एक महीने मैंने अपनी नींद पूरी की, जो सालों से पूरा नहीं हो पा रहा था. अपने बेटे के साथ खेला. जन्म के बाद से मैं अपने कामों में व्यस्त था, उसके साथ समय नहीं बिता पाया. अभी वह 6 साल का भी हो गया. टीवी पर कई शो देखा. पहले एक डेढ़ महीने तो अच्छा लगा, लेकिन इसके बाद काम की चिंता सताने लगी. मैं खुशनसीब हूँ कि 3 महीने के बाद काम पर लौट पाया, जबकि बहुत सारे लोगों को अब काम नहीं मिल रहा है.  

सवाल- आपने कई बार मायथोलोजिकल चरित्र निभाए है, जिसमें खासकर शिव की भूमिका अधिक निभाई है, इसका प्रभाव आपके जीवन पर कैसा रहा?

मैं दिल्ली में बड़ा हुआ, मुंबई आकर मॉडलिंग शुरू की उसके बाद मैं अभिनय में आया. ये सारी चीजें पाश्चात्य संस्कृति की देन है, जिसका चलन हमारे देश में पहले नहीं था. आज अंग्रेज़ी बोलने वालों को लोग स्मार्ट समझते है. अंग्रेज चले गए, पर वे लेकर नहीं सब देकर गए है. आज हम सभी अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे है, ऐसे में इस तरह के शो को करने के बाद मैं फिर से अपनी संस्कृति से जुड़ा हूँ. इस तरह के शो के बाद मुझे पाकिस्तान, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, थाईलैंड, अमेरिका, रूस आदि सभी देशों से चाहने वालों के मेसेज आते है. उन्हें मेरी भूमिका बहुत अच्छी लगती है. मेरे लिए ये ख़ुशी की बात है.

 

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Mahadev playing mridang!! Wat a welcome change from my regular attire @namah_starplus_ @ved14aug

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सवाल- परिवार ने आपको आगे बढ़ने में कितना सहयोग दिया है, खासकर आपकी पत्नी स्मृति की भूमिका इस दिशा में कितनी है?

परिवार का सहयोग मुझे हमेशा से रहा है. मैं पत्नी से बहुत दूर उमरगांव में रहता हूँ और वह बेटे के साथ मुंबई में रहती है. दिन में हर एक घंटे में बातचीत होती है, इसलिए हम एक दूसरे से हमेशा जुड़े रहते है. वह भी एक्ट्रेस है और एक कॉमन फ्रेंड के थ्रू मैं उनसे मिला था. 

सवाल- लॉक डाउन की वजह से लोगों में मानसिक समस्याएं बढ़ी है, अभी भी बहुत सारे लोग घर पर बिना काम के बैठे है, उनके लिए क्या कहना चाहते है?

मेसेज देना मेरे लिए मुश्किल है, क्योंकि अनलॉक होने के बाद भी कई सारी पबंधियाँ है, जो सबको परेशान कर रही है. संयम रखने की बात कही जाती है. बहुत सारे लोग ऐसे है, जिनको खाने के लिए पैसे नहीं, घर का किराया नहीं भर सकते. वे करें तो करें क्या? ये कहना बहुत आसान है कि घर में रहिये, आत्मनिर्भर बनिए, लेकिन कैसे? काम नहीं करेंगे, तो घर कैसे चलेगा. पैसा कैसे मिलेगा. इसके अलावा 65 साल से अधिक उम्र के लोग 10 साल से कम के बच्चे काम नहीं कर सकते. इसका निर्णय कोई कैसे ले सकता है? हो सकता है वह अकेला बुजुर्ग व्यक्ति ही उस घर को चलने वाला हो? ऐसे में बिना काम के वह कैसे अपना जीवन निर्वाह करेगा? ये नाजायज बातें है और इसका मैं कड़े शब्दों में विरोध करता हूँ. लोगों के प्रति संवेदना रखने की आज बहुत जरुरत है.

सवाल- आप अपनी जर्नी को कैसे देखते है?

मैंने निगेटिव और पॉजिटिव भूमिकाएं निभाई है, सब कमोबेश अच्छे थे.  शिवजी, चाणक्य, ठाकुर   आदि की भूमिका मुझे पसंद है. मैंने शो सीआईडी में इंस्पेक्टर सूरज की भूमिका निभाई थी, जो मेरी सबसे बड़ी गलती थी, उसे मुझे नहीं करनी चाहिए थी. 

सवाल-क्या किसी बायोपिक करने की इच्छा है?

मेरे उम्र के हिसाब से मैं नरेंद्र मोदी और अक्षय कुमार की बायोपिक में काम करने की इच्छा रखता हूँ.

 

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Meet the Namah family @namah.starplus

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सवाल- इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में सफल कलाकार अधिकतर अकेलेपन का शिकार होते है, इसकी वजह क्या मानते है?

एक सफल कलाकार सफलता पाने के बाद परिवार से काफी दूर होने लगता है, क्योंकि वह 12 घंटे एक्टिंग करता है, जिसमें 3 से 4 घंटा ट्रेवलिंग का होता है. शो जब तक चलता रहता है, ये सिलसिला चालू रहता है. उस दौरान होली हो या दिवाली वह घरवालों से दूर रहते है. दरअसल किसी भी रिश्ते में अगर व्यक्ति सालों तक उससे दूर रहता है, तो रिश्ता अपने आप टूटने लगती है, क्योंकि आपकी अनुपस्थिति से परिवार भी आदि हो जाते है . ऐसे कई कलाकार है जो 3 से 4 साल तक घर नहीं गए. ऐसे व्यक्ति को किसी भी समस्या से अकेले ही जूझना पड़ता है. मैंने भी अपने जीवन में इसे महसूस किया है और शुरू से हमेशा अपने परिवार के टच में रहा.  

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इसके अलावा इसमें सबसे अधिक महत्व उन बच्चों की परवरिश शामिल होती है. मुंबई में कई यंग लड़के और लड़कियां है, जो बाहर से अभिनय करने के लिए आये है और काम मिलने पर पैसे भी कमाने लगे है. ऐसे कलाकार लड़के और लड़कियां आपस में काम करते हुए दोस्त बन जाते है, प्यार हो जाता है, लेकिन थोड़े समय बाद उनमें लड़ाईयां हो जाती है. फिर वे इसे छोड़ किसी दूसरे या फिर किसी तीसरे को पकड़ने लगते है. इससे उस कलाकार का नाम ख़राब हो जाता है और वह व्यक्ति अकेला हो जाता है. मैं सीनियर कलाकार की श्रेणी में आता हूँ, इसलिए नयी जेनरेशन के बच्चों को कुछ दिनों तक काम करने के बाद घर जाने की सलाह भी देता हूँ. कोई सुनता है तो कोई सुनता नहीं है. यही चलता रहता है.

सवाल- गृहशोभा के ज़रिये कोई मेसेज देना चाहते है ?

मैं बचपन से गृहशोभा पढता हूँ. पहले मेरी माँ पढ़ती थी और उनके साथ मैं भी पढता था. ऐसा कहा जाता है कि हर पुरुष में एक स्त्री तत्व भी होता है और ये स्त्री तत्व मुझे गृहशोभा से मिला है. मैं इस मैगज़ीन का बहुत बड़ा आभारी हूँ, जिसने मुझे भारतीय नारी क्या होती है उसके दर्शन करवाएं है. इसके अलावा महिलाओं की बहुत बड़ी जिम्मेदारी भविष्य निर्माण करने में होती है, जिसका वे कर रही है. इसमें वे अपने बच्चों को काले-गोरे, लड़के-लड़की में फर्क और बुरी आदतों को जितना हो सके, उससे उन्हें निकालने की कोशिश करें. 

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