एक मां अपने बच्चों की छोटी से छोटी बात को लेकर चिंता करती हैं. लेकिन वो दिल से हमेशा अपने बच्चों का भला चाहती हैं. एक मां अपने बच्चे की मजबूत नींव रखती हैं और उनके परवरिश के दिनों में उनका मजबूत सहारा बनती हैं, लेकिन बच्चे बड़े होकर आखिर ये क्यों भूल जाते हैं कि वे किसी भी स्थिति में, किसी भी तरह की मदद के लिए हमेशा अपने मां-बाप की ओर रुख कर सकते हैं? आखिर हर मुश्किल घड़ी में उनके दिमाग में यह सवाल क्यों आता है कि ‘मां तुम नहीं समझोगी’? एक मां के लिए वो कितनी चुनौतीपूर्ण स्थिति रहती होगी, जब वो उस वक्त अपने बच्चों के साथ खड़ी रहती है जब उसके बच्चे के लिए सारे रास्ते बंद हो गए हो. एक मां की ऐसी ही कहानी दिखा रहा है सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का नया शो इंडिया वाली मां, जो अपने बेटे का साथ नहीं छोड़ती भले ही बेटा यह दावा करे कि उसे उनकी जरूरत नहीं है.
काकू भुज की रहने वाली एक सीधी सादी, आजाद ख्यालों वाली अधेड़ उम्र की महिला हैं, जो बड़े मजे से हमेशा उनका साथ देने वाले पति हंसमुख के साथ जिंदगी गुजार रही हैं. इन दोनों पति और पत्नी के बीच एक ही मुश्किल है और वह है उनका बेटा रोहन. जहां काकू अमेरिका में बसे अपने बेटे का ध्यान पाने के लिए तरसती हैं, वहीं हंसमुख एक प्रैक्टिकल इंसान हैं और इस बात को समझते हैं कि रोहन अब उनसे दूर जा चुका है. हालांकि काकू एक आदर्श मां की तरह अपने बेटे की अनदेखी को नजरअंदाज करती हैं और ये मानती हैं कि उन्हें हमेशा की तरह अपने बेटे के साथ खड़े रहना चाहिए.
किस्मत के एक मोड़ पर रोहन अनजाने में काकू के एक वीडियो कॉल का जवाब देता है, जो लंबे समय बाद अपने बेटे को देखने के लिए उत्साहित रहती हैं, लेकिन उल्टा उसे कुछ चौंकाने वाली बातें पता चलती हैं! रोहन बड़े आराम से यह कह देता है कि वो पहले से शादीशुदा है और वो स्थाई रूप तौर से भारत आकर बेंगलुरु में बसने की योजना बना रहा है. अपने बेटे की जिंदगी का हिस्सा न बन पाने के कारण काकू और हंसमुख निराशा महसूस करते हैं, लेकिन काकू के शब्दों में कहा जाए तो ‘एक मां माफ पहले करती है और नाराज़ बाद में होती है’. अपनी निराशा को किनारे रखकर काकू, रोहन और उसकी पत्नी से मिलने और उनके साथ वक्त बिताने के लिए बेंगलुरु जाने का फैसला करती है. हालांकि हंसमुख भुज में ही रहने का फैसला करते हैं.
काकू अकेले ही भुज से बेंगलुरु तक का सफर तय करती हैं, लेकिन वो इस उम्मीद में इस सफर को पूरा करती है कि वो अपने बेटे से 6 साल के लंबे समय के बाद मिल रही है! हालांकि बेंगलुरु जैसे अनजाने शहर में काकू के लिए अपनी चुनौतियां हैं. जब काकू रोहन की जिंदगी में आती हैं तो वह उसका हिस्सा बनने की कोशिश करती हैं. लेकिन रोहन की पत्नी चिन्नम्मा एक सीधी-सादी सास को गलती से घर की नौकरानी समझ बैठती है. हालांकि जब काकू उसे बताती है तब चिन्नम्मा को अपनी गलती का एहसास होता है. काकू अपनी नई जीवनशैली में ढलने की कोशिश करती हैं और अपने बेटे की उपलब्धियों पर गर्व महसूस करते हुए उसकी व्यस्तता के बीच उसके साथ कुछ पल बिताने की कोशिश करती हैं. उसी दौरान रोहन अपने बिजनेस एसोसिएट्स के लिए घर पर एक पार्टी रखता है. काकू इसे अपने बेटे को खुश करने के एक अवसर के रूप में देखती हैं और मेहमानों के लिए स्वादिष्ट खाना बनाती हैं. लेकिन रोहन उनकी कोशिशों को नजरअंदाज करता है. यहां तक कि वह काकू से कहता है कि इस पार्टी में न आए ताकि वह अपने सहयोगियो के सामने शर्मिंदगी से बच सकें.
इससे काकू का दिल टूट जात है लेकिन वह खुद को समझा लेती हैं और फिर भी अपने बेटे से संबंध सुधारने में जुटी रहती हैं. इसी दौरान उन्हें रोहन के बारे में एक सच का पता चलता है. दरअसल, रोहन की शादी नहीं हुई है बल्कि वो चिन्नम्मा के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा है. इस रिश्ते में उनका एक बच्चा भी है. इतना ही नहीं, रोहन पर बड़ा कर्ज भी है. वह फिर भी रोहन की मदद के लिए आगे बढ़ती हैं लेकिन रोहन उनकी मदद लेने से इंकार कर देता है और उसे घर छोड़ने के लिए कह देता है. लेकिन क्या मां ऐसे मुश्किल वक्त में अपने बच्चे को छोड़ देगी? एक इंडिया वाली मां तो बिल्कुल ऐसा नहीं करेगी और काकू भी निश्चित तौर पर ऐसा नहीं करेगी!
काकू रोहन की समस्याएं हल करने की बहुत कोशिश करती हैं. लेकिन रोहन को लगता है कि उसकी मां उसकी जिदंगी में दखल दे रही हैं. एक मां सिर्फ अपने बच्चे का सहारा बनना चाहती है और उसे उड़ने के लिए पंख देना चाहती है, लेकिन वह हमेशा अपने बच्चे के आसपास भी रहती है, ताकि जब वो ऊंचाई से गिरे तो वह उसे संभाल ले. बच्चे भले ही हाथ छोड़ दें, मां साथ नहीं छोड़ती, भले ही कितनी भी उम्र हो जाए.
अपने बेटे को आर्थिक संकट से निकालने के लिए काकू के मन में नौकरी करने का ख्याल भी आता है. लेकिन रोहन फिर भी उनके प्रयासों को कमतर आंकता है और चाहता है कि वो उसे छोड़कर भुज वापस चली जाएं. लेकिन ये मां तो अपने बेटे को वापस पटरी पर लाने के इरादे कर चुकी हैं. पहले चलना सिखाया था, अब रास्ता दिखाएगी यह इंडिया वाली मां.
अपने बेटे की जिंदगी संवारने के लिए किस हद तक जाएगी काकू? जानने के लिए देखिए इंडिया वाली मां, हर सोमवार से शुक्रवार रात 8:30 बजे, सिर्फ सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर.