Ishita Ganguly : खूबसूरत, हंसमुख और मृदुभाषी अभिनेत्री इशिता गांगुली कोलकाता की एक मध्यवर्गीय परिवार से हैं. परिवार में उन के पेरैंट्स की कला में बहुत रुचि थी. उन की मां सोमा गांगुली एक क्लासिकल गजल सिंगर हैं. उन के भाई तबला प्लेयर है. यही वजह है कि बचपन से ही उन्हे ऐक्टिंग में आने की रुचि रही है.

उन्होंने 13 साल की उम्र में कैरियर की शुरुआत बांग्ला थिएटर और टीवी शो से किया और कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए मुंबई आईं और शो ‘शास्त्री सिस्टर्स’ में एक सिस्टर की भूमिका निभाई, जिसे दर्शकों ने पसंद किया. इस के बाद उन्होंने कई धारावाहिक, फिल्मों और वैब सिरीज में काम किया है, जिस में ‘इश्क का रंग सफेद,’ ‘पेशवा बाजीराव,’ ‘लाल इश्क’ आदि हैं.

उन्होंने हर तरह की भूमिका निभाई है और आगे भी नईनई चुनौतियों को लेना पसंद करती हैं. शेमारू  उमंग पर उन की शो ‘बड़ी हवेली की छोटी ठकुराइन’ आने वाली है, जिस में उन्होंने चमकीली की निगेटिव भूमिका निभाई है, जो उन की सब से अलग भूमिका है. उन्होंने अपनी जर्नी के बारे में खास गृहशोभा से बात की, पेश हैं कुछ खास अंश :

शो को करने की खास वजह के बारे में इशिता कहती हैं कि निगेटिव भूमिका निभाना हमेशा कठिन होता है, क्योंकि इस में चुनौतियां बहुत होती हैं, लेकिन ऐक्टिंग के शेड्स बहुत होते हैं. मैं ऐसी भूमिका पहली बार निभा रही हूं. इस में एक परिवार की पावर को पाने की कोशिश को दिखाया गया है, जैसा अमूमन अधिकतर परिवारों में होता है. इस चरित्र में ड्रामा, अदाएं और रोमांच बहुत अधिक हैं, जिसे करने में मजा आ रहा है.

नहीं कर पातीं रिलेट

इस निगेटिव चरित्र से इशिता खुद अधिक रिलेट नहीं कर पातीं, क्योंकि वे रियल लाइफ में बहुत शांत और सादगी पसंद लड़की हैं. वे कहती हैं कि इस किरदार से मैं रिलेट नहीं करती, लेकिन इस की कौन्फिडेंट और क्लीयरिटी से मैं खुद को जोड़ पाती हूं, क्योंकि रियल लाइफ में मैं इस चरित्र की तरह पौजिटिव होने के साथसाथ अपने काम के प्रति बहुत पैशनेट हूं. इस के अलावा शो में एकदूसरे से पावर की छीनाझपटी दिखाया गया है, जो अधिकतर कुछ परिवारों में आज भी होता है, पर मेरे परिवार में मैं, मेरी भाभी और मां हैं, लेकिन सब को अपने हिसाब से रहने की आजादी है और किसी से किसी को कोई समस्या नहीं है.

मिली प्रेरणा

वे कहती हैं कि मेरी मां एक गजल गायिका हैं, भाई तबला वादक और भाभी सिंगर हैं, ऐसे में पूरे परिवार में कला का माहौल है. मैं ने भी पढ़ाई के साथसाथ डांस क्लासेज जौइन किया था. ऐक्टिंग मेरा प्रोफेशन होगा, तब मैं ने सोचा नहीं था, लेकिन अभिनेत्री माधुरी दीक्षित और रेखा के अभिनय और डांस से बहुत प्रभावित थी. उन की अदाएं, उन के अभिनय को मैं आईने के सामने परफौर्म करती थी. धीरेधीरे जब मैं थोड़ी बड़ी हुई, तो 13 साल की उम्र में मैं ने पहली बार कैमरे को फैस किया. छोटेछोटे काम कोलकाता में मिले. मैं थिएटर के साथ करती रही. फिर मुझे लगा कि इस फील्ड में आगे बढ़ने के लिए मुंबई जाना पड़ेगा और मैं मुंबई आ गई.

मैं ने अभिनय का कोर्स नहीं किया है, लेकिन जहां भी कुछ मौका देखती थी, तो बड़े कलाकारों के अभिनय की बारीकियों को देख कर सीखती रहती थी.

थिएटर, फिल्मों या टीवी की तकनीकों में काफी अंतर होता है. थिएटर में सब लाइव होता है, जबकि फिल्मों या टीवी में कैमरे के सामने ऐक्टिंग करना पड़ता है, जो पहले बहुत कठिन था, धीरेधीरे आसान हुआ.

रहा संघर्ष

इशिता मुंबई सिर्फ 3 दिनों के लिए अभिनय के क्षेत्र में ट्राई करने आई थीं. उन 3 दिनों में उन्होंने 15 से 20 औडिशन हर तरह की भूमिका के लिए दिए और उन्हे शो ‘शास्त्री सिस्टर्स’ में एक बहन की भूमिका मिली. इस से उन के अभिनय की शुरुआत मुंबई में टीवी शो से हुई.

वे कहती हैं कि हर नए काम के लिए संघर्ष और चुनौतियां होती हैं, लेकिन एक बार काम मिल जाने पर आगे काम मिलता है. मैं ने भी शो ‘शास्त्री सिस्टर्स’ के बाद कई शोज में लीड भूमिका निभाई, जिस में सभी भूमिका एकदूसरे से अलग थे, क्योंकि मैं हमेशा एक शो से दूसरे में अलग दिखने की कोशिश करती रही. इस के लिए मैं ने लुक पर भी काफी काम किया, जिसे दर्शकों ने पसंद किया है.

किसी भी भूमिका से निकल कर कुछ अलग करने में मुझे समस्या नहीं. मैं हर किरदार को शून्य से
शुरू करती हूं. इस के अलावा मैं ने हिंदी फिल्मों में भी आने की कोशिश की है.

फिल्म ‘मेरी प्यारी बिंदु’ में मैं ने एक छोटी सी भूमिका की है, लेकिन बड़ी भूमिका नहीं मिली. कुछ चीजें हमारे जीवन में ऐसी होती हैं, जिन पर कोई कंट्रोल नहीं होता, लेकिन मैं हार नहीं मानती और कोशिश हमेशा हर काम को अच्छा करने के लिए करती रहती हूं.

परिवार का सहयोग

इशिता कहती हैं कि परिवार का सहयोग हमेशा मेरे साथ रहा है। उन्होंने कोलकाता से दूर मुंबई आ कर काम करने की आजादी मुझे दी. परिवार के सहयोग के बिना अपनी शर्तों पर बिना गौडफादर के यहां काम करना आसान नहीं होता. केवल मानसिक ही नहीं, वित्तीय सहायता भी परिवार वालों ने दिया
है. मेरी मां ने हमेशा अपनी जर्नी खुद तय करने की सलाह बचपन से मुझे दी है, जिस से मुझे आगे बढ़ने में मदद मिलती है.

रिजैक्शन है पार्ट औफ औडिशन

इशिता को औडिशन में हुए रिजैक्शन से अधिक फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि वे जानती हैं कि हर औडिशन एक प्रोसेस है और इस का अर्थ उस किरदार के लिए चुना जाना नहीं होता. वे कहती हैं कि कई बार मायूसी होती है, लेकिन खुद को समझाना पड़ता है. इस के अलावा मैं बहुत कम उम्र में इंडस्ट्री में आई थी, इसलिए रिजैक्शन का अधिक असर मुझ पर नहीं पड़ा, क्योंकि इंडस्ट्री में आप पहले से कुछ भी प्रेडिक्ट नहीं कर सकते. यहां आज काम है, कल नहीं, ऐसे में मैंने अपनी फाइनैंस को अच्छी तरह से प्लानिंग की हुई है.

मैसेज

इशिता का नए कलाकारों के लिए मेसेज है कि वे अभिनय में सही मौका न मिलने को ले कर कभी हताश या निराश न हों. धीरज रखें, मेहनत और लगन के साथ किसी भी क्षेत्र में कामयाबी मिल सकती है. खुद को ऐक्टिव रखें और इस के लिए फिजिकल ऐक्सरसाइज को अधिक महत्त्व दें. मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रहने पर व्यक्ति किसी भी समस्या से निकल सकता है और मैं भी इसी का सहारा लेती हूं. इंडस्ट्री में हर चीज को स्वीकारना पड़ता है, तभी आप यहां टिक पाते हैं.

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