वसुधा के हाथों में रच रही है देव के नाम की मेहंदी और देव के हाथों में वसुधा के नाम की. राजस्थानी परंपराओं की खुशबू बिखेरते ‘वसुधा और देवांश की मेहंदी ’ की शाम के एक से बढ़ कर एक बेहतरीन मोमेंट्स को आप भी महसूस करें.
राजस्थानी स्टाइल में कपल का ग्रैंड वेलकम
जैसे हीमेहंदी सेरेमनी में ‘वसुधा यानी वसु’ और ‘देवांश यानी देव’ ने एंट्री ली, उनको देखने वाले सभी ने एक ही बात कही कि दोनों ‘Made For Eachother हैं. मीठी मुस्कान से सबको मोहित करती वसु और दिलकश अंदाज से सबको दीवाना बनाते देव की जैसे ही बैंकक्वेट हौल में एंट्री हुई उन पर लाल गुलाब की महकती पंखुड़ियों की बारिश होने लगी. ढोलकी की थाप पर यह खूबसूरत जोड़ी नाचतेगाते स्टेज तक पहुंची. ‘वसुधा और देवांश की मेहंदी’ का फंक्शन दिल्ली के होटल पैराडाइज के बैंकक्वेट हौल में सेलिब्रेट किया जा रहा था. यहां मौजूद ज़ी टीवी के सीरियल ‘वसुधा’ की महिला फैंस ने कपल पर खूब प्यार बरसाया. ‘ज़ी टीवी और गृहशोभा’ की ओर से आयोजित वसुधा और देव की मेंहदी फंक्शन में डांस-म्यूजिक के बीच ढेरों गेम्स खेले गए. इन गेम्स में वसु और देव के साथ उनकी महिला फैंस ने भी काफी जोश के साथ भाग लिया और इनाम भी जीते.
सुनिए ‘वसुधा’ सीरियल के वसु और देव की कहानी
इस सुंदर जोड़े की कहानी की शुरू हाेती है राजस्थान के उदयपुर शहर के चौहान परिवार से. इस परिवार की मुखिया हैं देव की मां चंद्रिका सिंह चौहान. चंद्रिका का सारा बिजनेस उनका बड़ा बेटा देव यानी देवांश सिंह चौहान संभालता है. बिजनेस के साथ ही देवांश अपनी मां चंद्रिका सिंह चौहान के उसूलों और संस्कारों को मानने में यकीन करता है. तभी इसी चौहान परिवार से आ मिलती है वसुधा, जिसके लिए देव की मां चंद्रिका एक देवी की तरह है. चंद्रिका की सेवा करने की राह में देव उसकी मदद करता है और तभी दोनों के बीच एक सुंदर रिश्ते की शुरुआत होती है. आगे यह कहानी क्या मोड़ लेती है इसे जानने के लिए इस सीरियल के साथ बने रहना बेहद जरूरी है. यह सीरियल ज़ी टीवी पर रात 10 बजे टेलीकास्ट होता है. आने वाले दिनों में यह सीरियल कई रोचक मोड़ लेने वाला है, देव और वसु की कहानी काफी एंटरटेन करने वाली है इसलिए इस सीरियल का एक भी एपिसोड मिस नहीं करें.
टीम ‘ब्राइड’ और टीम ‘ग्रुम’ ने दिया एकदूसरे को टक्कर
मेहंदी के फंक्शन को मजेदार बनाने के लिए कई तरह के गेम्स खेलने की शुरुआत हुई. इसके लिए हौल में जमा हुई महिलाओं को दो टीमों में बांट दिया गया. इस मेंहदी फंक्शन में शामिल होने आई महिलाओं को दो टीमों में बांटा गया – टीम ‘ब्राइड’ और टीम ‘ग्रुम’. टीम ‘ब्राइड’ यानी वसुधा की टीम की महिलाओं ने गले में डाला गुलाबी स्टोल और टीम ‘ग्रुम’ यानी देव की टीम की महिलाओं ने अपने गले में पीले रंग का स्टोल डाल लिया. इसके बाद शुरू हुआ असली धमाल, टीम को रोचक होता देख वसुधा और देव भी इस गेम में खुद को शामिल होने से रोक नहीं पाए. एक के बाद एक कई गेम्स होते गए जैसे शू गेम, माला गेम, औब्जेक्ट पिक गेम, म्यूजिकल चेयर, डांस एंड विन. माला गेम को वसु और देव ने भी खूब एंजौय किया. वहीं डांस एंड विन गेम में फंक्शन में आई महिलाओं ने ट्रेंडी सौंग्स पर जम कर डांस किया और जीतने वाले को उपहार भी मिले.
इंतजार खत्म हुआ और शुरू हुई मेहंदी सेरेमनी
गेम्स के बाद शुरू हुई ब्राइड और ग्रुम के हाथों पर मेहंदी रचाने की रस्म. वसु और देव, बैंक्वेट हौल में बने मेहंदी एरिया में आकर बैठ जाते हैं. ‘तेनु लेके मैं जावंगा’ पर देव वसुधा के लिए रोमांटिक डांस करते हैं और उनके इस डांस पर जम कर तालियां बजती है. वसुधा के हाथों में मेहंदी लगती है और जब वसुधा से पूछा जाता है कि वह अपने हाथों पर देव के लिए क्या लिखवाना चाहती है, तो वसु का जवाब होता है, ‘देव जी’. यही प्रश्न जब देवांश से पूछा जाता है तो वे कहते हैं कि उनके हाथों में मेंहदी से ‘वसुउउउउउउ’ लिखा जाए. वसुधा से जब यह पूछा जाता है कि मेहंदी का फंक्शन एक दुल्हन के लिए कितना मायने रखता है, तो वह इमोशनल होकर बताती है कि वैसे तो दुल्हन के लिए शादी की हर रस्म का महत्व होता है लेकिन मेहंदी की रस्म यह महसूस कराती है कि उसके हाथों पर लिखा गया नाम ही उसका सबकुछ है. देवांश भी वसुधा की बातों में हामी भरते हुए कहते हैं कि लड़कियों की तरह लड़के के लिए भी यह रस्म बहुत यादगार होता है, उन्हें भी यह अहसास होता है कि हथेली पर रचा नाम किसी खास का है, जो अब सदा के लिए उसका होने जा रहा है.
मेहंदी फंक्शन के अंत में मेहमानों को वसुधा और देवांश की मेंहदी से जुड़े यादगार उपहार दिए गए.