मुझे हिंदी फिल्मे देखना सबसे अधिक पसंद है. मेरी फेवोरिट फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ जैसी फॅमिली टाइप फिल्मे मुझे अधिक पसंद है. मनोरंजन फिल्म की मुख्य पार्ट होनी चाहिए और मैं भी उन्ही फिल्मों को अधिकतर देखती हूँ, जिसमे मनोरंजन अधिक हो. फिल्मे देखने हॉल में जाना और पॉपकॉर्न और परिवार के साथ उसे एन्जॉय करना ही मुझे पसंद है, कहती है, मुंबई की जुहू इलाके में रहने वाली अभिनेत्री श्रद्धा कपूर, जो शिवांगी कोल्हापुरे और शक्ति कपूर की बेटी है.बचपन से ही फ़िल्मी माहौल में पैदा हुई श्रद्धा कपूर को बचपन से अभिनय का शौक था.

सीखा उतार-चढ़ाव से

उसे पहला ब्रेक फिल्म ‘तीन पत्ती’ से मिला. फिल्म चली नहीं, पर श्रद्धा को तारीफे मिली, इसके बाद ‘लव का दि एंड’ आई, जो सफल नहीं थी.ऐसे में ‘आशिकी 2’ उसके जीवन की टर्निंग पॉइंट बनी और रातों रात उसकी जिंदगी बदल गयी.श्रद्धा शांत स्वभाव की है और सोच समझकर फिल्में चुनती है. फिल्म न चलने पर उसे खुद पर ही गुस्सा आता है. वह हर नए चरित्र को करना पसंद करती है. उन्होंने अपनी 12 साल की जर्नी में बहुत कुछ सीखा है. वह कहती है कि मैने अपने काम को सबसे अधिक प्यार करना सीखा. उतार-चढ़ाव कैरियर में आते है, लेकिन काम से प्यार होने पर उसपर अधिक फोकस होना संभव नहीं. मैं अच्छी फिल्मे और चुनौतीपूर्ण फिल्मों में काम करने की इच्छा रखती हूँ.

 

 

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उम्र के साथ बढती है अनुभव

अपनी कामयाबी का श्रेय वह अपने पेरेंट्स को देती है और मानती है कि माता-पिता ने हमेशा उन्हें हर वक्त सहारा दिया है. आज भी श्रद्धा अपने पेरेंट्स के साथ रहती है और अकेले रहना पसंद नहीं करती. हमेशा वह उनके साथ ही रहना चाहती है. श्रद्धा को बागीचा, पौधे. पेट्स बहुत प्रिय है. मसाला चाय उनके जीवन का प्रिय है, जिसे उनके घर पर देसी तरीके से बनाने पर पीती है और अपने जीवन में कभी छोड़ नहीं सकती. जिसे वह एक खास कप में पीती है. श्रद्धा उस कप को सालों से सम्हाल कर रखा है और चाय पीने के बाद खुद धोती है. उम्र श्रद्धा के लिए बहुत खास नहीं होती, एक नंबर होती है, जिसमे व्यक्ति खुद को एक अनुभवी मानने लगता है. वह कहती है कि हर व्यक्ति की एक बायोलॉजिकल और मेंटल ऐज होती है. मुझे कुछ लोग अजीबाई (नानी- दादी) कहते है, जबकि मेरी माँ हमेशा मुझसे पूछती है कि मैं बड़ी कब होउंगी. इस तरह कोई मुझे मेच्योर तो कोई मुझे एकदम बच्ची मानते है. असल में मैं पेरेंट्स को बहुत अधिक ज्ञान देती हूँ.

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