हैलो कोई काम है क्या आज? आज, दिख तो नहीं रहा है, पर आ जाओं अगर कोई प्रसंग बनता है, तो आपको उसमें डाल देंगे, पर कोई निश्चित नहीं है, समझा. (मायूसी के स्वर में) ठीक है आता हूं, वैसे भी कई दिनों से कुछ काम नहीं किया है अगर मिल जाए. तो अच्छा रहेगा घर का किराया या अपना कुछ खाने-पीने का खर्चा चला लूंगा, ऐसा संवाद हर दिन मुंबई की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री  में रोज चलती रहती थी, पर आज लॉक डाउन ने इसे पूरी तरह से बंद कर दिया है. जो फिल्में बन चुकी है वह भी रिलीज नहीं हो सकती क्योंकि थिएटर बंद है. ऐसे में जिसे डिजिटल पर रिलीज किया जा सकता है, उसे किसी तरह निर्माता निर्देशक रिलीज कर रहे है.

करोड़ों का नुक्सान इंडस्ट्री को हो चुकी है. करैक्टर आर्टिस्ट राह देख रहे है कि कब इंडस्ट्री फिर से पटरी पर आये और काम शुरू हो. ये सही है कि हिंदी फिल्म हो या टीवी इंडस्ट्री में एक बड़ी संख्या में चरित्र कलाकार काम करते है. महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों से अभिनय के शौकीन ये कलाकार हर रोज किसी न किसी प्रोडक्शन हाउस से फ़ोन का इंतज़ार करते रहते है, लेकिन इस लॉक डाउन ने लगातार काम करने वाले चरित्र कलाकार की स्थिति को बदतर बना दिया है. कुछ कलाकार जो सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (CINTAA) के मेंबर है और उन्हें थोड़ी बहुत सहायता राशि मिली है, लेकिन आगे क्या होगा, इस बारें में किसी के लिए भी कुछ सोचना संभव नहीं है. कैसे वे सरवाईव करते है आइये जानते है उन्ही से.

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