आलिया जब 19 साल की थी तब ही उस के पिता मनोज यादव ने अपनी प्रौपटी के कागज तैयार करवा लिए थे, जिन में उन्होंने अपनी प्रौपटी के 2 हिस्से कराए. एक हिस्सा अपने बेटे सुमित यादव और दूसरा हिस्सा आलिया यादव के नाम किया.
अब तक सुमित इस सोच में बैठा था कि वह पूरी संपत्ति का एकलौता वारिस है, दूसरा कोई नहीं. लेकिन जब सुमित को पता चला कि आलिया भी संपत्ति में हिस्सेदार है तो उस के तोते उड़ गए. वह नहीं चाहता था कि किसी दूसरे को भी हिस्सा देना पड़े. वह भी घर की बेटी को तो बिलकुल नहीं.
मगर सुप्रीम कोर्ट ने भी बेटियों को बाप की प्रोपर्टी में हिस्सा देने का फैसला दिया है. ऐसे में सुमित की जरा भी नहीं चली और आलिया को भी प्रौपर्टी में हिस्सा मिल गया. इस बात को गुजरे 9 साल हो गए हैं, लेकिन सुमित और आलिया के बीच मनमुटाव आज भी कायम है.
ऐसी ही कहानी अहमदाबाद की डिंपल और मयंक की है. डिंपल की अपनी भाभी यामिनी से बिलकुल नहीं बनती है. डिंपल और मयंक भाईबहन हैं. लेकिन जब से मयंक की शादी हुई है तब से वह हर वक्त यामिनीयामिनी करता रहता है.
डिंपल को ऐसा लगता है कि उस के और उस के भाई के बीच में जो बौंडिंग थी वह डिंपल के आने से खत्म हो गई है. इसलिए डिंपल और यामिनी के बीच में काफी मनमुटाव है. इसी वजह से डिंपल ने तीजत्योहार पर अपने मायके आना भी छोड़ दिया.
मनमुटाव होना कोई नई बात नहीं
अभिषेक और नैना की कहानी भी मनमुटावों से भरी है. वैसे भाईबहन के बीच मनमुटाव होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन यही मनमुटाव रिश्तों को खत्म करने का कारण भी बनता है. असल में अभिषेक और नैना के बीच मनमुटाव इस बात से है कि नैना की शादी में अभिषेक और नैना के देवर के बीच में बहसबाजी हो गई. यह बहसबाजी इतनी ज्यादा बढ़ गई कि अभिषेक ने कहा कि मु?ो अपनी बहन की शादी आप के घर में नहीं करनी. नैना इस बात से बहुत आहत हुई क्योंकि वह यह शादी तोड़ना नहीं चाहती थी. बहुत सम?ाने के बाद आखिर नैना की शादी उस घर में हो गई.
मगर उस दिन के बाद से नैना के ससुराल वाले आए दिन उसे अभिषेक की बात के लिए ताना कसते रहते हैं. आज 3 साल हो गए, लेकिन अभिषेक और नैना के बीच का मनमुटाव खत्म नहीं हुआ.
ऐसे ही न जाने कितने ही मनमुटाव हर रिश्ते में होते हैं. फिर चाहे वह मनमुटाव ननदभाभी के बीच हो, चाहे सासबहू के बीच हो या फिर चाचाभतीजे के बीच हर रिश्ते में रहेगा ही रहेगा. लेकिन जरूरी यह है कि आप इस मनमुटाव के बीच भी अपने रिश्तों को अहमियत दें. अपने मनमुटाव को आप त्योहारों के बीच में न आने दें. इसे साइड में ही रखें. आप बस अपनों के साथ खास पलों को जीएं. यही वे पल हैं जो आप की यादों को और यादगार बनाऐंगे.
त्योहार को भरपूर जीएं
अगर आप और आप के भाई या बहन के बीच किसी बात को ले कर मनमुटाव है तो आप बेशक उसे दूर न करें, आप उन पर वर्क भी न करें, लेकिन अपने त्योहार पर इस मनमुटाव को भूल जाएं और बस अपने त्योहार को भरपूर जीएं क्योंकि यही भाईबहन जो आप के साथ ताउम्र रहेंगे.
दोस्त तो बस मन बहलाने, घूमनेफिरने के लिए हैं. आखिर में तो परिवार ही काम आता है. इसलिए त्योहार में अपने परिवार को शामिल करें या परिवार का हिस्सा खुद बनें ताकि आप के बीच अपनापन बना रहे. इस से आप के बच्चे भी अपने बड़ेबुजुर्गों से भी मिल लेंगे और उन्हें भी दादादादी, नानानानी, मामामामी का प्यार मिलेगा.
बच्चों को शामिल करें
अगर आप को लगता है कि त्योहार पर मिलने से भी आप और आप के भाई या बहन के बीच चल रहा मनमुटाव खत्म नहीं होगा तो आप बिलकुल सही हैं. यह मनमुटाव एक दिन में खत्म नहीं होगा. लेकिन हमारी राय यह है कि अगर आप मनमुटाव होते हुए भी त्योहारों पर अपने रिश्तेदारों से मिलते हैं तो आप अपने साथ कुछ नई यादें बनाते हैं. साथ बिताए इन पलों को आप और आप का रिश्तेदार हमेशा याद रखेगा.
त्योहारों पर मनमुटाव होते हुए भी अपने रिश्तेदारों से मिलने का एक कारण यह भी है कि अब परिवार छोटे हो गए हैं. अब परिवार में सिर्फ पतिपत्नी और बच्चे शामिल हैं. ऐसे में वे नए लोगों और अपने रिश्तेदारों से दूर ही रहते हैं. अगर त्योहारों में आप अपने बच्चों को उन के चाचाचाची, मौसामौसी से मिलाएंगे तो वे भी खुश हो जाएंगे और आप का भी उन से मेलजोल बढ़ेगा.