पूजा मिश्रा...

रात के अंधेरों से लड़ना सिखाया उसने,
दिन के उजाले में ढलना सिखाया उसने,
कहते हैं उसको मां जो सबसे कीमती ही मेरे लिए
मेरे लड़खड़ाते क़दमों को थाम कर मुझे चलना सिखाया उसने

पथरीली सड़क हो या सीधा रास्ता,
बिना गिरे और बिना रुके संभलना सिखाया उसने,
आंखों से बहने वाले आंसू को कमजोरी नहीं, हिम्मत बताया उसने
नहीं कोई अंतर बेटियों और बेटों में, इस राज़ से पर्दा उठया उसने

मेरी बेतुकी सी शैतानियों पर नाराज होकर भी बस मुस्कुराया उसने
मेरे हर कदम पर साया बन कर, मेरा साथ निभाया उसने,

उस मां का क़र्ज़ कभी नहीं उतार सकती मैं,
जिसने जीने लायक बनाया मुझे,

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