रक्षाबंधन का त्यौहार आने वाला था. घर में सब बहुत खुश थे मगर नेहा के मन में एक कसक उठ रही थी. दरअसल उस के अपने भाई ने पिछले 7 साल से उस से कोई संबंध नहीं रखा था. उस का हर रक्षाबंधन और भाईदूज वीराना जाता था और ऐसा पिछले 7 साल से हो रहा था.

नेहा को याद है 7 साल पहले रक्षाबंधन के दिन जब वह अपने भाई के घर गई थी तो उपहार को ले कर एक छोटी सी बात पर दोनों भाईबहन के बीच झगड़ा हुआ जो बढ़ता ही गया. मांबाप ने रोकना चाहा पर यह झगड़ा रुका नहीं और उस दिन से दोनों के बीच बातचीत बंद थी. हर रक्षाबंधन को नेहा अपने भाई को याद करती है लेकिन उस के घर कभी नहीं जाती. इस तरह उस का रक्षाबंधन अधूरा ही रह जाता है और इस दिन जो ख़ुशी वह पहले अनुभव करती थी उस से वंचित रह जाती है. देखा जाए तो आज के समय में हमारे पास बहुत सारे भाईबहन नहीं होते.

सामान्यतः एक या दो भाईबहन ही होते हैं. अगर वे ही आपस में लड़ लें या बातचीत बंद कर दें तो त्यौहार का मजा ही जाता रहता है. खासकर रक्षाबंधन तो भाईबहन का ही त्यौहार है. होलीदिवाली भी ऐसे त्यौहार हैं जब इंसान अपनों का साथ पाकर खिल उठता है. एकदूसरे के घर जाता है. महिला अपने मायके में ढेर सारा प्यार बटोर कर घर लौटती है. मगर यदि आप ने अपनों के घर आनेजाने या मिलने का रास्ता ही बंद कर रखा है तो आप के लिए त्यौहार की खुशियां ही बेमानी हो जाती हैं.

इसलिए जरूरी है कि आप अपने इकलौते भाई या बहन को संजो कर रखें. उन का प्यार एक ऐसा खजाना है जिस से महरूम रह कर आप खुश नहीं रह सकते. याद रखें आप को आप के भाई या बहन से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता. आप ने उन के साथ अपना बचपन बिताया है. साथ बड़े हुए हैं. मांबाप का प्यार साझा किया है. 20 – 22 साल का यह खूबसूरत साथ कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन के साथ मिलने वाली ख़ुशी, पुराने बचपन के दिनों को याद करने का सुख और कोई नहीं दे सकता.

रक्षाबंधन भाई बहन के स्नेह का प्रतीक है. यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उन की लंबी उम्र और कामयाबी की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं.

भारत के सभी राज्यों में यह त्यौहार अलगअलग नाम से मनाया जाता है. उत्तरांचल में रक्षा बंधन को श्रावणी के नाम से जाना जाता है. महाराष्ट्र में नारियल पूर्णिमा तो राजस्थान में राम राखी कहा जाता है. दक्षिण भारतीय राज्यों में इसे अवनि अवित्तम कहते हैं. रक्षाबंधन का सामाजिक और पारिवारिक महत्व भी है.

वैसे आधुनिकता की बयार में बहुत कुछ बदल गया है. आज के ग्लोबल माहौल में रक्षाबंधन भी हाईटेक हो गया है. वक्त के साथसाथ भाई बहन के पवित्र बंधन के इस पावन पर्व को मनाने के तौरतरीकों में विविधता आई है. व्यस्तता के इस दौर में काफी हद तक त्यौहार महज रस्म अदायगी तक ही सीमित हो कर रह गए हैं.

अब बहुत सी महिलाएं बाबुल या प्यारे भईया के घर जाने की जहमत भी नहीं उठातीं. कुछ मजबूरीवश ऐसा नहीं कर पाती. रक्षाबंधन से पहले की तैयारियां और मायके जा कर अपने अजीजों से मिलने के इंतजार में बीते लम्हों का मीठा अहसास ज्यादातर महिलाएं नहीं ले पातीं. कभी भाई दूर देश चला जाता है तो कभी दिल से दूर हो जाता है और कभी व्यस्तता का आलम. मगर मत भूलिए कि ऑनलाइन राखी की रस्म अदायगी में अहसासों का वह मंजर नहीं खिल पाता जो भाईबहन के रिश्तों में मजबूती लाता है.

आप कितनी भी व्यस्त क्यों न हों या भाई से कितनी भी नाराज ही क्यों न हों इस दिन भाई से जरूर मिलें. अपनों के साथ समय बिताने और मीठी नोकझोंक के साथ रिश्ते में प्यार की मिठास घोलने का मौका मत गंवाइए.

क्या कहता है विज्ञान

भाईबहन पर दुनियाभर की चुनिंदा यूनिवर्सिटी में हुईं रिसर्च ये साबित करती हैं कि इन का रिश्ता एकदूसरे को काफी कुछ सिखाता है और ये दोनों परिवार के लिए कितने जरूरी हैं.

अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक भाईबहन एकदूसरे की संगत से जीवन के उतारचढ़ाव सीखते हैं और समाज में कैसे आगे बढ़ना है इस की समझ बढ़ती है क्योंकि सब से लम्बे समय तक यही एकदूसरे के साथ रहते हैं.

भाईबहन एकदूसरे का अकेलापन कितना दूर कर पाते हैं इसे जानने के लिए तुर्की में एक रिसर्च हुई. रिसर्च के मुताबिक बहनें अपने भाइयों के लिए ज्यादा केयरिंग होती हैं. वह इस रिश्ते को अधिक गंभीरता से निभाती हैं. वहीं भाई अपनी बहनों पर कई बार गुस्सा दिखाते हैं या नाराज हो जाते हैं. ऐसा बहनों की तरफ से बहुत कम होता है.

सिबलिंग इफेक्ट

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और सायकोलॉजिस्ट लौरी क्रेमर के मुताबिक भाईबहन के सम्बंधों से बढ़ने वाली समझ को सिबलिंग इफेक्ट कहते है. यह सिबलिंग इफेक्ट दोनों पर कई तरह से असर डालता है. भाईबहन एकदूसरे की दिमागी क्षमता को बढ़ाते हैं. इन में गंभीरता बढ़ने के साथ ये एकदूसरे को समाज में अपनी जगह बनाना सिखाते हैं.

अमेरिका की पार्क यूनिवर्सिटी ने भाईबहन के रिश्तों को समझने के लिए सिबलिंग प्रोग्राम शुरू किया और पेन्सेल्वेनिया राज्य के 12 स्कूलों को शामिल किया गया. इस प्रोग्राम का लक्ष्य था कि भाईबहन की जोड़ी मिल कर कैसे निर्णय लेते हैं और जिम्मेदारी किस तरह निभाते हैं. रिसर्च में सामने आया कि कम उम्र से एकदूसरे का साथ मिलने की वजह से इन में समझदारी जल्दी विकसित होती है. इस की वजह से इन में डिप्रेशन, शर्म और अधिक हड़बड़ी जैसा स्वभाव नहीं विकसित होता.

जब कोई व्यक्ति सिबलिंग रिलेशनशिप में बड़ा होता है तो उस में सहानुभूति, साझा करने और करुणा के भाव भी विकसित होते हैं. एक अध्ययन के अनुसार इस से बच्चे विशेष रूप से लड़के दूसरों के प्रति अधिक दयालु और निस्वार्थ बन सकते हैं.

स्वीडन के एक अध्ययन से पता चला है कि सिबलिंग रिलेशनशिप आप को खुश रहना वाला व्यक्ति बनाती है. जीवन के बाद के वर्षों में भी यह असर कायम रहता है.  बहन के साथ सपोर्टिव रिलेशनशिप आप की मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा है. बड़ी ब हन आप को आइसोलेशन, गिल्टी आदि से बचाती है.

सिबलिंग होने से बच्चों में सोशल और इंटरपर्सनल स्किल्स को बढ़ावा मिलता है. जो बच्चे सिबलिंग रिलेशनशिप में बड़े होते हैं वे अपने साथियों के साथ बेहतर तरीके से बातचीत कर सकते हैं. सिबलिंग होने से आप अपने लक्ष्यों को पाने के लिए मेहनत करते हैं और अपने लक्ष्य हासिल करते हैं.

ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने 395 परिवारों पर स्टडी की जिन के एक से ज्या दा बच्चेप थे और उन के कम से कम एक बच्चे की उम्र 10 साल या इस से कम थी. डाटा इकट्ठा करते समय प्रोफेसर ने इस बात पर गौर किया कि छोटी या बड़ी बहन होने से सिबलिंग कोई बुरी आदत या व्यवहार से दूर रहते हैं जैसे हिचकिचाना या डरना.

अन्यो स्टेडी में खुलासा हुआ कि जब भाई या बहन लड़ते हैं तो इस से दोनों को बहस करना और अपनी भावनाओं को कंट्रोल करने का हुनर सीखने का मौका मिलता है. अगर किसी की बहन है तो वे नकारात्मक चीजों से ज्यादा दूर रहते हैं. इन में अकेलापन, डर और शर्मीलापन कम देखा जाता है. ये चीजें मिल कर किसी इंसान के रवैये में नकारात्मकता ला सकती हैं और उसे डिप्रेशन या किसी खाने या किसी चीज से नफरत हो सकती है. यहां तक कि कुछ मामलों में इंसान खुद को ही नुकसान पहुंचा सकता है.

बहन होने से इन सब चीजों को सकारात्मक तरीके से हैंडल करने में मदद मिलती है. जिन लोगों की बहन होती है वो आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं और अपने मतभेदों को सुलझा पाते हैं. अगर भाई बहन के बीच प्यार हो तो दोनों के व्यवहार में सकारात्मकता आती है जो कि केवल पेरेंट्स के प्यार से नहीं मिल सकती है.

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