विवाह के पहले और विवाह के बाद जीने के उद्देश्य अलगअलग प्रकार के होते हैं. विवाह से पहले हम सैल्फ सैंटर्ड लाइफ जीते हैं. विवाह के बाद एकदूजे के लिए जीने का अभ्यास करना ही पतिपत्नी की सफलता का मानदंड होता है. आइए जानते हैं कि हम कैसे स्वस्थ मानसिकता के साथ परिस्थितियों के अनुकूल या प्रतिकूल होने पर दोनों स्थितियों में अपनी सही सोच के साथ जीवन के इस अहम पड़ाव पर स्थिरता और खुशनुमा पारिवारिक माहौल बना कर अपने लाइफपार्टनर के सुखदुख के साथी बनें:
क्या करें
एकदूसरे के लिए पर्याप्त समय सुनिश्चित करें, समय बात सुनने का, समय साथ रहने का, युगलरूप में काम में हाथ बंटाने का. जल्दीबाजी छोड़ कर धैर्य के साथ यह सब करने का पर्याप्त समय होना चाहिए.
जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए टीम भावना से छोटीछोटी बातों को भी ऐंजौय करें.
सभी के साथ रिलेशनशिप को मुसकरा कर उत्साह के साथ जीएं. ऐसा करेंगे तो संपर्क में आने वाले सभी लोग मुसकराहट और उत्साह के साथ पेश आएंगे.
इन शब्दों का इस्तेमाल उचित अवसर पर करते रहें- धन्यवाद, हां, डियर, आप ठीक हैं, क्षमा कीजिए, मैं गलत था, आई एम सौरी आदि.
महीने में कम से कम 1 दिन पूरा समय एकदूसरे के साथ बिताएं. जो दोनों को रुचिकर लगे वैसा कार्यक्रम बना कर उस में समय व्यतीत करें.
जो भी बात अच्छी लगे उस के लिए एकदूसरे से धन्यवाद की अभिव्यक्ति करें.
अपनी बातचीत में हास्य का पुट भरें. यहां तक कि यदि मतभेद हो तो उस का अंत भी हास्य के पुट के साथ करें.
टोटल मेकओवर और ड्रैस एकदूसरे की पसंद के अनुसार हो. इस से एकदूसरे के लिए आकर्षण बढ़ता है.