लेखक- geetanjali chy

अब यह मौसम का खुमार था या उसकी अल्हड़ उम्र का शूरुर  जो उसे दुनिया बेहिसाब खुबसूरत लग रही थी. जितने रंग फिजाओं में घुले थे उसकी गंध से नैना का हृदय सराबोर था. बसंत के  फूलों से मुकाबला करती नैना की खुबसूरती मौसम के मिज़ाज से भी छेड़खानी करती चलती थी. जब सारा जहाँ जाती हुई ठंड को रूसवा करने के डर से जैकेट डालकर सुबह सुबह घूमने निकलता तब नैना बगैर स्वेटर शाल के बसंती फिजाँ में इठलाती सारे जमाने को अपने जादू में बाँध लेती थी.

दो बहनों में  बड़ी नैना एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थी. माँ के सानिध्य से मरहूम नैना अपने पिता के साथ रहती थी.घर की बड़ी बेटी होने के बावजूद उसका बचपना नहीं गया था . बल्कि उसकी छोटी बहन ही कुछ अधिक शान्त, संयम, गम्भीर और बुजुर्ग बनी बैठी रहती. नैना के पिता एक प्रगतिशील व्यक्तित्व के स्वामी थे, जो नैना की हरकतों पर यदाकदा उसे स्नेह भरी फटकार लगा देते थे.

पर नैना भी कहाँ किसी से कम थी सारी डांट फटकार का लेखा जोखा तैयार रखती थी और फिर मौका मिलते ही कभी स्वास्थ्य के लिए उपदेश दे डालती, तो कभी पिता की राजनीति के प्रति दिवानगी को देख कर विद्रोहिनी हो जाती. राजनीति के नाम से नैना को इतनी चिढ़ थी कि वह अपनी सारी नजाकत, खुबसूरती, मासूमियत और शब्दों की मर्यादा को ताक पर रखकर इतनी ढीठ बन जाती कि उसका सारा विद्रोह, सारी झुँझलाहट, मिज़ाज का सारा तीखापन बाहर आ जाता था.

बाप बेटी की इस तकरार से आजिज रहने वाली नताशा अक्सर खिसियाकर कहती  - "राजनीति से इतना प्रेम और घृणा दोनों ही खतरनाक है. नैना तुम जो राजनीति के नाम पर दाँत पीस पीसकर लड़ती हो, तुम्हारी शादी जरूर किसी राजनैतिक परिवार में होगी. "

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
 
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
  • 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...