दालों को एक सुपरफूड माना जाता है, जिसमें कई न्यूट्रिएंट्स होते हैं. यह प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत हैं और मीट व एनिमल फूड्स का एक हेल्दी अलटरनेटिव भी हैं. यही नहीं, दालें डाइट्री फाइबर और काम्प्लेक्स कार्ब्स भी प्रदान करती हैं. दालों के फायदे यही खत्म नहीं होते, इनमें कैल्शियम, फोस्फोरस, आयरन और बी काम्प्लेक्स विटामिन्स भी भरपूर मात्रा में होते हैं. अक्सर दालों को बनाते हुए हम इन्हें कुछ देर भिगोना जरूरी नहीं मानते. लेकिन. क्या आप जानते हैं कि इन्हें पकाने से पहले भिगोना आवश्यक है? आइए जानते हैं कि क्यों दालों को पकाने से पहले कुछ देर भिगोना जरूरी है?
दाल को पकाने से पहले भिगोना क्यों जरूरी है?
कुछ दालें प्राकृतिक रूप से हमारे शरीर में गैस और ब्लोटिंग का कारण बन सकती हैं. लेकिन, पकाने से पहले दालों को थोड़ी देर भिगोने से दाल से टैनिन और फाइटिक एसिड आदि रिमूव हो जाते हैं. टैनिन और फाइटिक एसिड दाल के पौष्टिक तत्वों को कम कर देते हैं. जिससे यह दालें गैस और ब्लोटिंग का कारण बन सकती है. यही नहीं, दालों को भिगोने से एंजाइम्स को स्टिमुलेट में मदद मिलती है, जिससे दाल आसानी से पच जाती है. ऐसा भी माना जाता है कि दालों को पकाने से पहले भिगोने से इनमें न्यूट्रिएंट्स अच्छे से एब्जॉर्ब हो जाते हैं. जिससे हमें सभी पोषक तत्व आसानी से मिल जाते हैं. यही कारण है कि हमें सभी दालों को पकाने से पहले थोड़ी देर अवश्य भिगोना चाहिए. इसका एक और कारण यह भी है कि इससे दाल जल्दी पक जाती है जिससे गैस और समय की भी बचत होती है.
दालों को भिगोने का सही समय क्या है?
पकाने से पहले दालों को दो से आठ घंटे भिगोने की सलाह दी जाती है. भिगोने से पहले दाल को अच्छे से दो से तीन बार धो लें. अब एक बाउल में पानी लें और दाल को भिगों दें. दाल के प्रकार के अनुसार आप तीस मिनट्स से लेकर दो घंटे तक भिगो सकते हैं. साबुत दालों को दो घंटे तक भिगोना जरूरी है. फलियों जैसे राजमा, छोले आदि को आठ से बारह घंटे तक भिगो कर पकाया जाता है. पकाने से पहले भिगोई हुई दाल को फ्रेश कोल्ड वॉटर से रिंस अवश्य करें.
सोकिंग यानी भिगोना एक ऐसा तरीका है जिसका इस्तेमाल सदियों से किया जाता रहा है. इसके कई हेल्थ बेनेफिट्स हैं. यही नहीं, इसके साथ ही दालें जल्दी भी बन जाती हैं. इसलिए, आप भी दालों को बनाने से पहले कुछ देर इन्हें भिगो कर रखना न भूलें.