37 साल की सुनीता एक हाउसवाइफ है और हाइपोथायरायडिज्म और जॉइंट पेन की शिकार है, जो प्रेगनेंसी के 3 साल बाद 35 साल की उम्र में शुरू हुआ. असल में हाउसवाइफ अपने घर के काम और परिवार में इतनी व्यस्त रहती है कि उन्हें अपने लिए समय नहीं मिलता. इससे उन्हें कमर दर्द, थकान और कई बीमारियाँ हो जाती है, पर नहीं, सुनीता अपने आप में एक हेल्थ एक्सपर्ट हैं, इसलिए उन्होंने कुछ दिनों में सही डाइट और वर्कआउट के ज़रिये ठीक कर लिया.
इस बारें में न्यू हर्ब्स इंडिया के न्युत्रशनिस्ट, डाइटीशियन और हेल्थ एक्सपर्ट नमित त्यागी कहते है कि 35 साल की उम्र के बाद अक्सर महिलाओं में थाइरोइड, डायबिटीज, पीसीओएस, आर्थराइटिस, बैक पेन और हॉर्मोन-रिलेटेड डिजीज होने के अवसर बढ़ जाते है. प्रेगनेंसी के बाद बढ़ता हुआ वेट, बढ़ती उम्र, मसल्स पेन, इम्पोर्टेन्ट नुट्रिएंट्स की कमी होना और साथ में घर के काम, बच्चों का ध्यान और फॅमिली के लिए टेस्टी फूड्स प्रीपेयर करना आदि कई होते है, जिसकी वजह से अपने लिए हेल्थी फ़ूड बनाने का टाइम नहीं मिल पाता. इन सबको मैनेज करते हुए एक हेल्थी लाइफस्टाइल जीना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है.
संतुलित भोजन हेल्थ के लिए बहुत जरुरी है, जिसमें का महिलाओं को अनाज, फल, सब्जियां, कम फैट या फैट रहित डेयरी प्रदार्थ का सेवन करना आवश्यक होता है, लेकिन इसकी मात्रा महिला विशेष के अनुसार होती है. होममेकर हो या कामकाजी पौष्टिक आहार हमेशा लेते रहने की कोशिश करनी चाहिए. 35 वर्ष की उम्र तक पहुंचने के बाद प्रेग्नेंट हुई महिला को अधिकतर आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड की कमी, हड्डियों की कमजोरी और मांसपेशियों की थकान जैसी कुछ अन्य समस्याएं होने लगती हैं. प्रेगनेंसी के बाद भी शरीर में बदलाव के साथ कई और समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे
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