मुंबई की निम्न आय वर्ग की 30 वर्षीय विभा (बदला नाम) 24 हफ्ते में पहली बार डाक्टर के पास आई और जब बच्चे की सोनोग्राफी की गई तो पता चला कि बच्चे का सिर डैवलप नहीं हुआ, ब्रेन नहीं है. उसे कोख में पाल कर फायदा नहीं है. बिना सिर के बच्चा जीवित नहीं रह सकता. ऐसे में उस महिला को अपनी लाइफ के साथ सम?ाता करना पड़ा क्योंकि 20 हफ्ते के बाद बच्चे का कानून अबौर्शन संभव नहीं. यह अपराध है जिस से जेल हो सकती है. ऐसे में वह जहां भी अबौर्शन के लिए गई, सभी ने मना कर दिया.
अंत में उसे बिना विकसित हुए बच्चे के साथ पूरे 4 महीने और गुजारने पड़े जिस के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी. 3-4 दिन की दर्द के बाद बच्चे का जन्म हुआ और 15 मिनट बाद बच्चा खत्म हो गया.
जब कोई उपाय नहीं हो
यह दर्दनाक था पर कोई उपाय नहीं था. इस बारे में अकसर कहते हैं कि यह समस्या आज हमारे देश में अधिक है क्योंकि कानूनन 20 हफ्ते तक ही अबौर्शन संभव है. ऐसे में कई बार जान कर भी बच्चे का अबौर्शन नहीं कर पाते. इसलिए इस घटना के बाद मैं ने कुछ डाक्टरों की टीम के साथ यह पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में दायर की है कि अबौर्शन का दायरा बढ़ाया जाए ताकि इस तरह के ऐबनौर्मण बच्चे से मां को मुक्ति मिले.
इस पर कोर्ट अकसर अपने फैसले देते रहते हैं और ये फैसले लेने में कईकई दिन लग जाते हैं और प्रसूता तड़पती रहती है.
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