गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर को अधिक काम करना पड़ता है और इस समय हर चीज की दोगुनी जरूरत होती है. तभी तो गाँव-देहातों में बहू की प्रेगनेंसी की खबर सुनते ही सास आटा, सूजी, गुड़, सूखे मावे, गोंद, देसी घी मिला कर लड्डू और पंजीरी बनाने बैठ जाती हैं. ताकि पूरे खाने के अलावा भी बहू इस पौष्टिक खुराक को ले, अपनी सेहत बनाये और नौ महीने बाद मोटे-ताज़े खिलखिलाते पोते को उनकी गोद में डाले. सदियों से ये चलन है कि महिला के गर्भवती होते ही घर की अन्य औरतें उसके खाने पीने का ख़ास ख्याल रखने लगती हैं. पुराने वक़्त में चना, गुड़, दूध, मावा, फल, पंजीरी का सेवन करना गर्भवती के लिए ज़रूरी था ताकि उसके शरीर में खून की कमी ना होने पाए, मगर आजकल जब संयुक्त परिवार टूट चुके हैं और बड़े शहरों और महानगरों में महिलायें एकल परिवार में हैं और ऊपर से नौकरीपेशा हैं तो किचन में अपने लिए इतना झंझट करने का ना तो उनके पास वक़्त है और ना जानकारी. इसके अलावा आज की महिला अपने फिगर को ले कर ओवर कॉन्शस रहती है. उसको यह डर सताता रहता है कि अगर उसका वेट बढ़ गया तो उसकी सारी खूबसूरती की वाट लग जाएगी. इस चक्कर में महिलायें प्रेगनेंसी के वक़्त भी ठीक से खाती पीती नहीं हैं, और बच्चा होने के वक़्त एनिमिक हो जाती हैं.
प्रेग्नेंसी के दौरान शिशु के विकास के लिए शरीर अधिक मात्रा में खून बनाता है और अगर इस दौरान आप पर्याप्ते आयरन या अन्य पोषक तत्वर नहीं ले रही हैं तो आपके शरीर में अधिक खून बनाने के लिए जरूरी लाल रक्तय कोशिकाओं का निर्माण रुक जाता है. एनीमिया होने पर उसके शरीर के ऊतकों और भ्रूण तक ऑक्सीतजन ले जाने के लिए खून पर्याप्तर मात्रा में स्वएस्थ लाल रक्तक कोशिकाएं नहीं बना पाता है. प्रेगनेंसी में हृदय को भ्रूण के लिए जरूरी पोषण प्रदान करने के लिए ज्याकदा मेहनत करनी पड़ती है. गर्भावस्थाू के दौरान शरीर में खून का वॉल्यूजम 30 से पचास फीसदी बढ़ जाता है. गर्भावस्था़ के दौरान खून की आपूर्ति के लिए और हीमोग्लोमबिन का स्तर संतुलित रखने के लिए पौष्टिक आहार लेना जरूरी है. हीमोग्लोखबिन ही लाल रक्त कणिकाओं तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन ले जाता है. प्रेग्नेंासी में एनीमिया होना सामान्यक बात है. शहरी महिलाओं में प्रेगनेंसी के वक़्त खून की कमी होना आजकल आम हो गया है.
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