Smoking : स्मोकिंग का शौक कब लत में बदल जाए और हमें अपने वश में कर ले, इस बात का हमें पता ही नहीं चलता. फिर चाहे हम लाख कोशिश कर लें पर हम उस से छुटकारा पाने में विफल हो जाते हैं क्योंकि स्मोकिंग की लत दिमाग को एक सिग्नल पहुंचाती है और दिमाग को उस सिग्नल की आदत सी लग जाती है.
कैसे करते हैं शुरुआत
बढ़ती उम्र में बच्चे घर के बड़ों, दोस्तों की देखादेखी व स्टाइल के चलते इसे भी फैशन का एक हिस्सा समझ स्मोकिंग लेना शुरू कर देते हैं और धीरेधीरे यह स्टाइल लत में तबदील हो जाती है.
विश्व संगठन के अनुसार, क्रौनिक औब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज में 80% व फफड़ों के कैंसर में 90% का कारण स्मोकिंग ही है. रिसर्च के अनुसार 69% सिगरेट में पाए जाने वाले कैमिकल कैंसर जैसे रोग का खतरा बढ़ाते हैं. जरूरी है कि समय रहते संभल जाएं अन्यथा जान तक गवानी पड़ सकती है.
अपनाएं ये तरीके
दृढ संकल्प है जरूरी : किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले हमें खुद को तैयार करना होता है. यदि आप स्मोकिंग के सेवन से छुटकारा पाना चाहते हैं तो खुद को मानसिक रूप से तैयार करना होगा और खुद को हमेशा अच्छे स्वास्थ्य, कुशल पारिवारिक जीवन के लिए प्रेरित करना होगा.
स्ट्रैस से रहें दूर : ज्यादा स्ट्रैस सेहत के लिए हानिकारक तो है ही साथ में यदि किसी को स्मोकिंग की आदत है तो स्ट्रैस के समय वह अधिक स्मोकिंग करता है. इसलिए स्ट्रैस से बचें व साथ ही ऐक्सरसाइज व रिलैक्सेशन तकनीक की आदत डालें.
ट्रिगर्स से बचें : ऐसे व्यक्तियों व परिस्थितियों से दूरी बनाएं जो आप को स्मोकिंग करने के लिए उकसाते हैं.
आदत बदलें : यदि स्मोकिंग की तलब बार बार लगती है तो इलायची, दालचीनी, च्विंगम जैसी चीजों से रिप्लैस करें.
खुद को रिवौर्ड देना न भूलें : जिस तरह बच्चों को छोटी सी कामयाबी मिलने पर भी बहुत खुशी मिलती है उसी तरह अपनी ललक को कम होने पर खुद को इनाम देना ना भूलें.
क्या आती है परेशानियां
शुरुआत में तलब लगने पर आप को बेचैनी महसूस होती है. ह्रदयगति और रक्तचाप बढ़ जाता है लेकिन कुछ घंटों बाद ही रक्त में कार्बन मोनोक्साइड नौर्मल स्थिती में आने लगती है और रक्तचाप व ह्रदयगति नौर्मल होने लगती है.
2-3 हफ्ते में फेफड़ों में सुधार होने लगता है व 5 साल में जानलेवा कैंसर का खतरा कम हो जाता है व कुछ ही समय में व्यक्ति का स्वास्थ्य तो अच्छा होता ही है, साथ ही उस के आसपास रहने वाले लोग भी स्वस्थ रहते हैं.