बारिश का मौसम आ चुका है. इस मौसम में हमें ज्यादातर घर में होने वाली सीलन का सामना करना पड़ता है. कई बार हम सीलन को आमतौर पर गम्भीरता से नहीं लेते लेकिन यह जानने के बाद की घर में किसी भी रूप में मौजूद सीलन स्वास सम्बंधी गम्भीर रोगों को जन्म दे सकती है.

घर चाहें नया हो या पुराना, उसे सीलन से बचाना जरूरी है और इसके लिए वाटरप्रूफिंग कराना अनिवार्य होता है. इससे सभी प्रकार की सीलन से बचा जा सकता है और साथ ही बचा जा सकता है अस्थमा जैसी स्वास सम्बंधी गम्भीर बीमारी से.

तो फिर अपने आशियाने को पानी के रिसाव या फिर सीलन से बचाने के लिए वाटरप्रूफिंग एक मात्र जरिया है. इसलिए इसे निवेश के रूप मे देखा जाना चाहिए न कि लागत के रूप में.

वाटरप्रूफिंग क्यों जरूरी है?

किसी भी निर्माण सतह पर पानी का प्रवेश क्षय और दरार जैसे मुद्दों का कारण बनता है, जो लंबे समय तक संरचनात्मक क्षति का कारण बन सकता है. इसी प्रकार, दीवारों पर नमी मोल्ड वृद्धि में योगदान देती है, यह उन अनेक कारणों में से एक है जो अस्थमा जैसे श्वसन रोगों को जन्म देते हैं. इसलिए भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए घर में वाटरप्रूफिंग करना बेहद महत्वपूर्ण है. ऐसे में नए घर के मालिकों को लंबे समय तक चलने वाली और सुंदर संरचना सुनिश्चित करने के लिए अपने नवनिर्मित घरों के लिए जलरोधक और अन्य सक्रिय उपायों की आवश्यकता होती है.

वाटरप्रूफिंग कहां की जाए?

कुछ नए घरों में बेसिक वाटरप्रूफिंग की जाती है, लेकिन यह सिर्फ छतों तक सीमित होती है. लेकिन अपने घर को ह्यए 5-प्वाइंट लीक-फ्री होमह्य बनाने के लिए जरूरी है कि घर के उन सभी हिस्सों में वाटरप्रूफिंग कराई जाए, जहां से पानी के घुसने की आशंका हो. ह्यए 5-प्वाइंट लीक-फ्री होमह्य का अर्थ है कि सिर्फ छत पर ही वाटरप्रूफिंग नहीं हो, बल्कि अंदरूनी गीले हिस्सों जैसे बाथरूम, किचन और बालकनी, बाहरी दीवारों, कंक्रीट वाटर टैंक और तल के निचले हिस्से में भी वाटरप्रूफिंग कराई जाए.

यह समझना महत्वपूर्ण है कि विभिन्न सतहों को विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए इन सतहों में से प्रत्येक को जलरोधक बनाने के लिए अपनी श्रेणी के सर्वोत्तम समाधान का इस्तेमाल करना चाहिए. घर पूरी तरह से संरक्षित तभी होगा जब सभी पांच संभव जल प्रवेश क्षेत्रों में ठीक से वाटरप्रूफिंग कराई जाए. ये पांच सतह महत्वपूर्ण हैं और इसके कुछ कारण हैं, जो इस प्रकार हैं–

जमीन के नीचे:  सतह का पानी समय की अवधि में बढता जाता है और आपके घर में प्रवेश कर सकता है, यह आंतरिक दीवारों को नुकसान पहुंचाता है.

आंतरिक गीले क्षेत्र (स्नानघर, रसोई और बालकनी): ये क्षेत्र 365 दिनों तक यानी लगातार पानी के संपर्क में आते हैं, जिससे आंतरिक दीवारों पर पेंट खराब हो जाता है और पपडी देने लगता है.

छत: तापमान में होने वाले परिवर्तन के साथ ही छत की सतह में भी बदलाव होता है, जिससे आपकी सुंदर छत पर पानी का रिसाव होने लगता है और इससे पूरे घर में नमी आती है.

कंक्रीट वाटर टैंक: दरारों के गठन के कारण ये पानी के टैंक सतह के माध्यम से रिसाव का कारण बनते हैं. इसलिए इस क्षेत्र की सही ढंग से वाटरप्रूफिंग करना महत्वपूर्ण है.

बाहरी दीवारें: तापमान में परिवर्तन के कारण बाहरी दीवारों में दरारें पैदा होने लगती है, जिससे नमी आने लगती है और इसलिए आपके घर का लुक भी बिगडने लगता है.

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