किसी को गले लगाना या किसी के गले लगना सब से सुखद अनुभूति है. यह ऐसा एहसास है जो किसी भी इंसान के दिल की गहराइयों को छू जाता है. कितने ही परेशान क्यों न हों, किसी अपने के गले लग कर बहुत अच्छा महसूस होता है. इसे ही जादू की झप्पी कहते हैं.

चाहे आप अपने पार्टनर की बाहों में हों, या अपने बच्चे को गले लगाया हो या फिर अपने दोस्त को ही क्यों न जादू की झप्पी दी हो, गले लगाना या किसी का आलिंगन करना हमें हमेशा अच्छा और खुशी महसूस कराता है. हमें सुरक्षा और प्यार का अनुभव होता है.

जादू की झप्पी

फिल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ में एक सीन था जो मूवी के अंत में आता है, जहां संजय दत्त और सुनील दत्त पहली बार गले मिलते हैं. मूवी में सुनील दत्त का डायलौग था, ‘‘हमेशा मां को जादू की झप्पी देता आया है आज बाप को भी दे दे.’’ उस वक्त दोनों गले मिल रोने लगते हैं.

फिल्म में जिस तरह से मुन्ना को पारंपरिक तरीकों के बजाय रोगियों को प्यार, स्नेह और जादू की झप्पी से ठीक करने कोशिश करते दिखाया गया है, वाकई दर्शाता है कि किसी को गले लगा लेना कितना असर छोड़ता है.

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हम कह सकते हैं कि हग करना केवल भावनाओं का इजहार करना ही नहीं है, बल्कि हैल्थ बूस्टर भी है, और यह बात मैडिकल साइंस भी साबित कर चुकी है. दिल से दी गई एक झप्पी हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है.

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