लुधियाना  हौस्पिटल में किये गए एक ताजा अध्ययन के अनुसार 14 से 17 साल की आयु वर्ग की लगभग 20% लड़कियों में कैल्शियम की कमी पाई गई है. जब कि पहले इतनी ज्यादा मात्रा में  कैल्शियम की कमी केवल प्रैग्नैंट और उम्रदराज महिलाओं में ही पाई जाती थी.

इस की वजह कहीं न कहीं आज की बिगड़ती जीवन शैली है. लोग पैकेट फूड पर तेजी से निर्भर होते जा रहे हैं जिस के कारण लोगों के  शरीर को संतुलित भोजन नहीं मिल पा रहा. लोगों का पूरा समय एसी में गुजरता है.

खासकर महिलाएं अपने पति और बच्चों की सेहत का तो भरपूर ख्याल रखती हैं. मगर अक्सर अपनी फिटनेस के प्रति ही लापरवाह हो जाती है . अच्छे स्वास्थ्य और मजबूत शरीर के लिए कैल्शियम एक अनिवार्य तत्व है जिस की पर्याप्त मात्रा हड्डियों और दांतों की मजबूती के लिए जरूरी है.

हमारी हड्डियों का 70% हिस्सा कैल्शियम फॉस्फेट से बना होता है.  यही कारण है कि कैल्शियम  हमारी हड्डियों और दांतों की अच्छी सेहत के लिए सबसे जरूरी होता है.  अच्छे स्वास्थ्य और मजबूत शरीर के लिए कैल्शियम एक अनिवार्य तत्व है.

पुरुषों के देखे महिलाओं को अधिक कैल्शियम की जरूरत होती है. महिलाओं के शरीर में 1000 से 1200 मिली कैल्शियम होना  चाहिए वरना कैल्शियम की कमी से कई तरह की शारीरिक समस्याएं नजर आने लगती है.

कैल्शियम तंदुरुस्त दिल, मसल्स की फिटनेस, दांतों , नाखूनो और हड्डियों की मजबूती समेत कई बातों के लिए जिम्मेदार है. कैल्शियम की कमी से बारबार फ्रैक्चर होना, औस्टोसीपोरोसिस का खतरा,  संवेदनशून्यता, पूरे बदन में दर्द, मांसपेशियों में मरोड़ होना, थकावट, दिल की धड़कन बढ़ना, मासिकधर्म में अधिक दर्द होना ,बालों का झड़ना जैसी समस्याएं पैदा हो जाती  हैं.

जरुरी   है कि आप कैल्शियम की पूर्ति डाइट से करे न कि सप्लीमेंट के जरिए इसे पूरा करने की कोशिश करें.

महिलाओं में कैल्शियम की कमी के कारण

मेनोपौज की उम्र यानी 45 से 50 वर्ष की महिलाओं में अक्सर यह डिफिशिएंसी सब से अधिक होती है क्यों कि इस उम्र में फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन का स्तर गिरने लगता है.  जब कि एस्ट्रोजन कैल्शियम मेटाबॉलिज्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

उम्रदराज महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन कैल्शियम रिच डाइट की कमी खासकर डेयरी  प्रोडक्ट्स जैसे दूध, दही सीसम के बीज आदि ना खाना.

हार्मोन डिसआर्डर हाइपोथायरायडिज्म – इस  स्थिति में शरीर में पर्याप्त पारा थायराइड का उत्पादन नहीं होता जो ब्लड में कैल्शियम लेवल कंट्रोल करता है. खून में जरूरत से ज्यादा या कम मैग्नीशियम की मात्रा से उत्पन्न डिसआर्डर अधिक उम्र भी  कैल्शियम की कमी की वजह बनता है. महिलाओं का ज्यादातर समय किचन में बीतता है मगर वे यह नहीं जानती कि किचन में ही ऐसी बहुत सी सामग्री उपलब्ध है जो हमारे शरीर में कैल्शियम की कमी दूर कर सकती है. इन के सेवन से हमें कैलशियम सप्लीमेंट्स ऊपर से लेने की जरूरत नहीं पड़ती.

रागी

रागी में काफी मात्रा में कैल्शियम होता  है. 100  ग्राम रागी में करीब 370 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है.

सोयाबीन

सोयाबीन में भी पर्याप्त मात्रा में कैल्सियम मौजूद होता है.  100 ग्राम सोयाबीन में करीब 175 मिलीग्राम कैल्शियम होता है.

पालक

पालक देख कर नाक मुंह सिकोड़ने  वालों के लिए यह  जानना जरूरी है कि 100 ग्राम पालक में 90 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है.  इस के प्रयोग से पहले इसे कम से कम 1 मिनट जरूर उबालें.  ताकि इस में मौजूद आक्जेलिक एसिड कंसंट्रेशन घट जाता है जो कैल्शियम आब्जरवेशन के लिए आवश्यक होता है.

हाल ही में की गई स्टडी के अनुसार कोकोनट आयल का प्रयोग कर आप बोन डेंसिटी के  लोस को  रोक सकते हैं साथ ही यह शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है

सूर्य प्रकाश

सिर्फ भोजन ही नहीं बल्कि सुबह की धुप भी पर्याप्त मात्रा में जरुरी है. इस में मौजूद विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण  के लिए आवश्यक होता है. विटामिन डी खून  में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रण करने के लिए जिम्मेदार है.

विटामिन डी का सेवन करने से शरीर में कैल्शियम अवशोषित  करने की क्षमता को बढ़ती है.  हड्डी टूटने का खतरा कम होता  है.

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