सर्दी को या गर्मी हर मौसम में लौंग का सेवन फायदेमंद होता है. कड़ाके की सर्दियों में अदरख , दालचीन और लौंग की चाय सभी को पसंद आती है. एक लौंग कई दर्द को भगाने का काम करता है. एक अच्छे एंटी ऑक्सीडेंट का काम करती है लौंग. यह एक बेहद स्वादिष्ट एवं सुगंधित मसाले के रूप में देखा जाता है परन्तु वास्तव में यह एक रामबाण दवा भी साबित होती है. इसमें कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, सोडियम, पोटैशियम, विटामिन ए और सी पाया जाता है. एंटीसेप्टिक गुणों के कारण लौंग चोट, घाव, खुजली और संक्रमण में काफी उपयोगी होती है. इसका उपयोग कीटों के काटने या डंक मारने पर किया भी जाता है. इसे किसी पत्थर आदि पर पानी के साथ घिस कर लगाया जाता है. नाजुक त्वचा पर इसे नहीं लगाना चाहिए.

 भारत के दक्षिण भाग में बहुतायत मात्रा में उगाई जाने वाली लौंग का वृक्ष यूं तो बहुत ही हरे रंग का होता है लेकिन इसके बावजूद एक खासियत जो दिखलाई देती है वह यह है कि जहां पतझड़ के मौसम में सभी वृक्ष अपने समस्त पत्तों का परित्याग कर देते हैं वहीं लौंग का वृक्ष इस मौसम में भी पूरी हरियाली धारण किये रहता है. इतना ही नहीं, इसमें से बहुत ही अच्छी मनमोहक सुगंध भी आती रहती है जो अधिकांश आते-जाते लोगों का अनायास ही मनमोह लेती है. और तो और, जब लौंग के वृक्ष की कलियां लाल हो उठती हैं, तब इन्हें तोड़कर सूर्य की किरणों में कुछ दिनों तक रख दिया जाता है और जब कलियां सूखने के उपरांत काली पड़ जाती हैं तो इसे लौंग के नाम से पुकारने लगते हैं जिसका हम प्राय: घरों में इस्तेमाल कभी मसाले के रूप में तो कभी औषधि के रूप में करते हैं. आयुर्वेद में लौंग को एक महत्वपूर्ण औषधी के रूप में बताया गया है.  तो आईये जानते है लौंग को एक महत्वपूर्ण औषधीय गुणों के बारे में -

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