16 साल का दिनेश जो पिछले कुछ सालों से एकदम नार्मल बच्चा है, उस को बचपन से हार्ट की समस्या थी, वह ठीक से सांस नहीं ले पाता था, बार-बार चेस्ट इन्फेक्शन होता था. काफी जांच के बाद पता चला कि उसे कांजिनेटल हार्ट डिसीज है. दो सर्जरी के बाद वह नार्मल हो पाया. आज वह स्कूल में टौपर है और अच्छी जीवनशैली जी रहा है. वैसी ही बीमारी की शिकार थी, नासिक की 8 साल की साल की ऊषा, जो अचानक काली पड़ जाती थी. उसका विकास ठीक से नहीं हुआ था, जिससे वह सही तरह से चल नहीं पाती थी, लेकिन सर्जरी के बाद अभी नार्मल हो चुकी है.

इस बारें में फोर्टिस हॉस्पिटल की पेडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.स्वाति गरेकर कहती हैं कि ये समस्या बच्चों में आम है. विश्व में एक हज़ार बच्चों में करीब 8 बच्चों में ये बीमारी पायी जाती है. असल में ये बीमारी गर्भ में हृदय और बड़ी रक्त वाहिनियों में विकास के दौरान हुए दोषों से इन विकारों के जन्म होता है. समय रहते इसका इलाज करने पर बच्चा एक लम्बा जीवन अच्छी तरह बिता सकता है. असल में ये हार्ट की समस्या गर्भ से शुरू होती है और 18 सप्ताह बाद जब अच्छी तरह से सोनोग्राफी की जाती है, तो आराम से देखने पर इसका पता लगा लिया जाता है. फिर इसे माता-पिता की सहमति से गर्भ में रहने दिया जाता है. जन्म के बाद फिर इसका इलाज किया जाता है. हालांकि कई बार इसे पता लगाना मुश्किल भी होता है, लेकिन बच्चे में अगर जन्म के बाद कुछ बदलाव आये, तो तुरंत डॉ. की सलाह लेनी चाहिए. इसके कुछ लक्षण निम्न है.

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