आज आपको हर दिन न्यूज़ में, आसपास के लोगों को देखकर पता चल ही रहा होगा कि कोरोना की गिरफ्त में हर कोई आ रहा है. खासकर के कोरोना की सैकंड लहर युवाओं को अपना शिकार बना रही है. कोरोना की गिरफ्त में आने वाले लोग खुद नहीं समझ पा रहे हैं कि वे कब व कैसे इस वायरस की चपेट में आए. लेकिन अब जो होना था वो हो गया, इसलिए पैनिक होने के बजाए पहले से कुछकुछ तैयारी करके रखें. ताकि मुसीबत आने पर आपके पास प्राथमिक उपचार हो और आपको एकदम से इधरउधर न भागना पड़े. तो आइए जानते हैं पहले से की जाने वाली तैयारी के बारे में-
1. कोरोना की फर्स्ट ऐड किट
जिस तरह से हम अपने घरों में , अपने पर्स में व अपनी गाड़ी में फर्स्ट ऐड किट रखते हैं , ताकि मुसीबत आने पर यानि किसी भी आपात स्तिथि में हम स्तिथि को काफी हद तक कंट्रोल कर सके. ऐसे में इस महामारी के समय में हमें पहले से ही घर पर कोरोना की फर्स्ट ऐड किट रखनी होगी, ताकि कोरोना होने पर दवाओं के लिए एकदम से आपके हाथपैर न फूल जाएं. इसके लिए आपको किट में पेरासिटामोल, विटामिन सी , डी व जिंक की टेबलेट, बी काम्प्लेक्स, गार्गल करने के लिए बीटाडीन , पल्स ऑक्सीमीटर, भाप लेने के लिए स्टीमर व कैप्सूल व थर्मामीटर जरूर रखें. ये सभी दवाइयां शरीर को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाती हैं . इन्हें आप मामूली लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ही लेना शुरू कर दें. यहां तक कि आप विटामिन्स व जिंक की टेबलेट को बिना लक्षण होने पर भी शुरू कर सकते हैं. क्योंकि ये शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करती हैं.
ये भी पढ़ें- मोबाइल गेमिंग का बढ़ता नशा
– मास्क से रखें खुद को सेफ
ये स्लोगन तो आपने सुना ही होगा कि दो गज दूरी के साथ मास्क है जरूरी. इसलिए आप किट में फेस मास्क जरूर रखें. इसके लिए आप एन 95 मास्क खरीदें या फिर थ्री लेयर , क्योंकि ये काफी हद तक बैक्टीरिया व वायरस से सुरक्षा प्रदान जो करते हैं. आप रीयूज़एबल मास्क भी जरूर अपने पास रखें, ताकि अगर परिवार के किसी भी सदस्य में इसके लक्षण दिखाई दें तो आप उसे मास्क देकर बाकियों को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं. हो सके तो 2 – 3 जोड़े ग्लव्स के भी रखें. क्योंकि इस समय कब किस की जरूरत पड़ जाए, कहा नहीं जा सकता.
– सैनिटाइजर है जरूरी
कब किस चीज को छू लेने के बाद बैक्टीरिया व वायरस हमारे संपर्क में आ जाते हैं , कहा नहीं जा सकता. इसलिए मास्क के साथसाथ हाथों को साफ रखना बहुत जरूरी है. इसके लिए आप ऐसे सैनिटाइजर का चयन करें, जिसमें 70 पर्सेंट अल्कोहल हो. साथ ही स्किन को मॉइस्चरिजे करने वाली प्रोपर्टीज भी हो. ताकि स्किन सैनिटाइजर के प्रभाव में आने से ड्राई न होने पाए. आप सैनिटाइजर की छोटीछोटी कई बोतल खरीद कर अपने पास रख लें. कोशिश करें घर में आप सैनिटाइजर की बजाय साबुन से हैंड वाश करने की आदत पर ज्यादा जोर दें.
2 डॉक्टर्स के नंबर लेकर रखें
हो सकता है कि आपके आसपास अधिकांश लोग कोरोना पॉजिटिव हो और आपका परिवार अभी बचा हुआ हो, तो भी आप निश्चिंत होकर न बैठें. बल्कि गूगल पर सर्च करके अपने आसपास के अच्छे डाक्टर्स के नंबर्स लेकर रखें, साथ ही होस्पिटल्स की भी जानकारी रखें. हो सके तो ओक्सीजन कैन्स अपने घर में अरेंज करके रखें, ताकि आप जरूरत के समय खुद को व अपनों को सुरक्षित रख सकें. आप उन लोगों के भी संपर्क में रहें तो कोरोना पॉज़िटिव हैं. इससे आपको लक्षणों को आसानी से पहचाने व बहुत सी जानकारी मिलने में मदद मिलेगी. यहां तक की जरूरत पड़ने पर आपको ऐसे लोगों से समय पर जरूरी जानकारी मिलने से आपको ज्यादा दिक्कतों का भी सामना नहीं करना पड़ेगा.
अगर हो जाए कोरोना तब क्या करें –
जैसा की सभी जानते हैं कि कोरोना का अभी तक कोई ज्यादा कारगर इलाज नहीं है. सिर्फ वैक्सीन ही है, जो कोरोना से थोड़ा बहुत बचाव करने में मददगार है. ऐसे में अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को कोरोना हो गया है तो आप घबराए नहीं बल्कि लक्षण देखें , जैसे अगर सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं है व ओक्सीजन लेवल भी नार्मल है, तो यकीन मानिए अगर ये शुरुवाती स्टेज है तो स्तिथि को घर में दवाओं व होम आइसोलेशन के जरिए इम्प्रूव किया जा सकता है. बस आपको डाक्टर के संपर्क में बने रहना है और प्रोपर केयर व समय पर दवाइयां देने की जरूरत है. इसके जरिए मरीज धीरेधीरे 14 – 20 दिन में ठीक हो जाएगा. लेकिन अगर हाई फीवर , सहन से बाहर खांसी के साथ सांस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत डाक्टर की सलाह से मरीज को एडमिट करें , ताकि ओक्सीजन लेवल और डाउन न जाने पाए और मरीज को समय रहते बचाया जा सके.
– घबराएं नहीं , खुद को मोटीवेट रखें
कोरोना ने जिस तरह से कोहराम मचाया हुआ है, उससे हर किसी के मन में दहशत का माहौल व्याप्त है. लेकिन ये समय घबराने का नहीं है बल्कि हिम्मत से काम लेने का है. इसलिए इस समय अपने आप को नेगेटिविटी से दूर रखकर ऐसे लोगों से संपर्क में रहें , जो इस वायरस को मात देकर जिंदगी की जंग को जीतने में कामयाब हुए हैं. कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट आते ही ये बिलकुल न सोचें कि इसका अंजाम खराब ही होगा, क्योंकि ऐसा बिलकुल नहीं है. अगर आप मामूली लक्षणों को इग्नोर न करके समय पर आपको इलाज मिल जाता है तो आप फिर से सामान्य जीवन जीने लगते हैं. इसलिए खुद को इस दौरान बुरी खबरों से बिलकुल दूर रखें, ताकि अच्छी सोच, अच्छा माहौल आपको व आपके अपनों को जल्दी ठीक करने में मदद करेगा.
– सभी के टेस्ट जरूरी
अगर परिवार में किसी एक तो कोरोना हो गया है तो आप परिवार में रह रहे सभी सदस्यों के टेस्ट जरूर करवाएं. क्योंकि बहुत से लोगों में यह देखने में आया है कि उनमें सिम्टम्स नहीं होने के बावजूद वे पॉज़िटिव आते हैं. ऐसे में समय पर टेस्ट से समय पर ट्रीटमेंट मिलने में आसानी हो जाती है. अगर परिवार में बच्चे हैं और वे नेगेटिव हैं तो कोशिश करें कि उन्हें अपने किसी रिलेटिव्स के यहां भेज दें, ताकि उनमें संक्रमण का डर न रहे. लेकिन इस सच्चाई से भी इंकार नहीं किया कि आजकल कोविद के लिए टेस्ट करवाने के लिए भी काफी जद्दोजेहद करनी पड़ती है. ऐसे में अगर परिवार का कोई सदस्य पॉजिटिव आया है तो डॉक्टर से संपर्क करें ताकि बिना टेस्ट के भी बाकियों की दवाएं शुरू करके उन्हें सेफ जोन में रखा जा सके.
ये भी पढ़ें- Techniques अपनाएं और लाइफ को आसान बनाएं
– समझदारी है जरूरी
अगर आप या फिर आपके परिवार में किसी को कोरोना हो गया है, तो पैनिक होने के बजाय समझदारी से आगे के लिए कदम उठाने की जरूरत है. जैसे जिस तरह से कोरोना के मरीजों में बढ़ोतरी हो रही है, उससे डाक्टर्स पर भी काफी प्रेशर है. ऐसे में अगर आप किसी एक डॉक्टर से ऑनलाइन कंसल्ट कर रहे हैं तो दूसरे डाक्टर को भी बैकअप में रखें, ताकि एक के जवाब न देने पर आपको दूसरे डॉक्टर से समय पर जवाब मिलने के कारण मरीज को सही ट्रीटमेंट मिल सके. साथसाथ आप अपने करीब में जिन लोगों को कोरोना हुआ है, उनके संपर्क में रहें. ताकि आपको जरूरी जानकारी व सुझाव मिलते रहें. साथ ही औक्सीजन सिलिंडर व होस्पिटल्स में बेड्स की उपस्थिति के बारे में भी जानकारी रखें.
– हड़बड़ी न मचाए
कोविड की रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही परिवार में हड़कंप मच जाता है. लेकिन ये जान लें कि अगर आरटीपीसीआर में सीटी वैल्यू 20 से कम है तो आपको ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है. क्योंकि ऐसे मरीजों में वायरस लोड काफी ज्यादा होता है. इससे इन्हें व दूसरों के लिए खतरा बना रहता है. लेकिन अगर बुखार ज्यादा तेज नहीं है, खांसी भी कम है और ओक्सीजन लेवल भी सामान्य चल रहा है तो होम आइसोलेशन में केयर से मरीज को ठीक किया जा सकता है. अधिकांश लोग आजकल फीवर आते ही एचआरसीटी करवाने पहुंच जाते हैं. लेकिन आपको बता दें कि इसका कोई फायदा नहीं होता है , डाक्टर 5 – 7 दिन बाद इसे करवाने की सलाह देते हैं. तभी इसके सही नतीजे सामने आते हैं. सीटी स्कैन में 24 में से स्कोर दिया जाता है, अगर लंग्स तक इन्फेक्शन पहुंच गया होता है तो इसका स्कोर भी ज्यादा आता है और डाक्टर ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह देते हैं. क्योंकि इस स्तिथि में केस बिगड़ने पर मरीज की जान भी जा सकती है. इसलिए जरूरी है पहले सिचुएशन को समझना और फिर उसके लिए एक्शन लेना. वरना हड़बड़ी में गड़बड़ी होने के चांसेस रहते हैं.
– कौनकौन से टेस्ट हैं जरूरी
कोविड का इंफेक्शन कितना है और शरीर में उसका क्या प्रभाव पड़ रहा है, इसका पता लगाने के लिए सीबीसी , सीआरपी , डी डाईमर , सीरम फेरिनटिन , एचआरसीटी इत्यादि टेस्ट करवाएं जाते हैं. लेकिन ये सभी टेस्ट्स डाक्टर पूरे 14 डेज के सर्किल के हिसाब से करवाते हैं , ताकि सही रिजल्ट पता चल सके. इसलिए शुरुवात में ही इन्हें करवाने की जल्दबाजी न करें.
– मरीज का रूम कैसा हो
अगर बात होम आइसोलेशन की है तो मरीज का कमरा हवादार होने के साथसाथ उसमें अटैच्ड वाशरूम भी हो. ताकि बाकी लोगों को संक्रमण का डर न रहे. मरीज को जब भी दवाइयां या खाना देना हो तो उनके रूम के पास एक स्टूल रख दें, उसी पर ही उन्हें देने वाली चीजें रखें, डिस्पोजेबल बर्तन रखें . साथ ही उनके रूम में बचे हुए खाने को डालने के लिए पॉलिथीन रखें. फिर अगले दिन उसे उठाकर बाहर रख दें. लेकिन इसके बाद खुद की सैनीटाईजेशन का ध्यान जरूर रखें. ये सब करते हुए आप डबल मास्क्स पहनें.
– कैसा हो आपका मास्क
कोई भी 3 लेयर वाला मास्क्स उपयुक्त होता है. क्योंकि ये वायरस के साथसाथ डस्ट को भी आपसे दूर रखने का काम करता है. इसके लिए आप मार्केट में मिलने वाले एन- 95 मास्क्स, डिस्पोजेबल मास्क्स का इस्तेमाल कर सकते है. यहां तक कि मरीज को घुटन महसूस न हो, इसके लिए उसे कॉटन का 3 लेयर मास्क्स भी दिया जा सकता है. जिसे वह पहने व धोए.
– बारबार हाथों को सैनीटाईज़ करें
चेहरे पर मास्क लगाने के साथसाथ अपने हाथों को थोड़ीथोड़ी देर में साबुन व सैनीटाईज़र से साफ करते रहें. और इस बात का ध्यान रखें कि आपके सैनीटाईज़र में 70 पर्सेंट या इससे ज्यादा अल्कोहल की मात्रा होनी चाहिए.
– होम ट्रीटमेंट
अगर मरीज होम आइसोलेशन में है तो उसे दिन में 3 बार गरारे, 3 बार स्टीम, 2 बार काढ़ा व हमेशा पीने के लिए गरम पानी ही दें. अगर ,मरीज को डायबिटीज नहीं है तो उसे नारियल पानी भी पिलाएं. इससे शरीर में विटामिन्स व मिनरल्स की कमी पूरी होने के साथ बॉडी हाइड्रेट भी रहती है.
क्वारंटाइन में इन चीजों पर रखें नजर
– अपने शरीर के तापमान पर नजर रखें, इसके लिए दिन में 4 – 5 बार फीवर जरूर चेक करें.
– ऑक्सीमीटर की मदद से खून में औक्सीजन के लेवल को चेक करते रहें. अगर औक्सीजन का लेवल 98 – 99 से ड्राप होकर 94 से कम हो गया है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. क्योंकि इस स्थिति में आपको ,होस्पिटल में एडमिट होने की व स्पेशल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है.
ये भी पढ़ें- इंटीरियर डिजाइनर दर्शिनी शाह से जानें कैसा हो घर का इंटीरियर
मेंटली कैसे रहें फिट
– टीवी , लैपटोप या फिर फोन पर मूवीज, सीरीज देख कर खुद को बिजी रखें. सीरियस मूवीज की जगह कोमेडी मूवीज देखें.
– नेगेटिव न्यूज़ से दूरी बना कर रखें.
– अफवाहों से दूर रहने की कोशिश करें.
– मन को खुश करने वाले गाने सुनें.
– योगा करें, क्योंकि इससे मन शांत रहने के साथसाथ आपकी फिटनेस भी बनी रहती है.
कोरोना को न लें हलके में
अकसर आपने लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि मुझे तो कोरोना हो नहीं सकता, मेरी इम्युनिटी तो बहुत स्ट्रौंग है. लेकिन इसके बावजूद ऐसे लोग भी कोरोना की गिरफ्त में आ रहे हैं. क्योंकि ये वायरस है ही इतना खतरनाक और डाक्टर , दवाओं , होस्पिटल व ओक्सीजन की किल्लत हालात को और भयावह बना रही है. मैं अपनी आपबीती बताती हूँ. मुझे कुछ हफ्ते पहले कोविड हुआ था, जिससे मेरा शरीर अभी तक नहीं उभर पाया है. और डाक्टर्स की लापरवाही ने इसे और बिगाड़ने का काम किया. मेरे फॅमिली डाक्टर से हमने इस बारे में वीडियो कॉल के जरिए संपर्क किया तो उन्होंने शुरुवाती 5 दिनों की दवाएं तो लिख दी. लेकिन उसके बावजूद मेरे गले में दर्द व फीवर नहीं उतरा. तब दोबारा उनसे संपर्क करना चाहा तो उन्होंने न तो फ़ोन उठाया और न ही मैसेज का जवाब दिया. जबकि मेरा वायरल लोड बहुत ज्यादा था, इसलिए उन्होंने भी शुरुवात से ही ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह दी थी. लेकिन ऐसी सावधानी भरी सलाह का क्या फायदा , जिसमें दवाओं की किल्लत व डाक्टर से बात तक न हो पाएं. ऐसे में किसी परिचित के बताने पर मेरे हस्बैंड ने पुणे के डाक्टर से संपर्क किया. तब उन्होंने तुरंत मुझे फेबिफ्लू का कोर्स शुरू के लिए बोला. धीरेधीरे मेरी तबियत में सुधार हुआ. लेकिन शरीर इस कदर कमजोर हो गया है कि उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. परेशानी यहां थमी नहीं , मेरे हस्बैंड को भी मेरे पॉजिटिव आते ही दवाइयां शुरू कर दी गई थी, जबकि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. ताकि उन्हें संक्रमण न हो. लेकिन जिस दिन डाक्टर ने उन्हें दोबारा दिखाने को बोला था, उस दिन काफी बार काल करने पर जवाब मिला कि डाक्टर साहब आजकल देख नहीं रहे हैं. जबकि ये सरासर झूठ था. जिस कारण मेरे हस्बैंड की तबियत बिगड़ती गई , उन्हें 103 – 104 के बीच फीवर रहा. सिर व बोडी में भयंकर दर्द. यहां तक कि उनका ऑक्सीजन लेवल 94 पहुंच गया था. लेकिन डाक्टर साहब तो अपनी ही दुनिया में मस्त थे. जैसे तैसे करके हमने दूसरे डाक्टर से संपर्क साधा. क्योंकि उन्हें डाईबिटिज की भी परेशानी है और देर ज़िंदगी पर भारी पड़ सकती थी . तो डाक्टर ने ऑक्सीजन सिलिंडर की तुरंत व्यवस्था करने व तुरंत से ही फेबिफ्लू व स्ट्रेरोइड्स लेने को कहा. जिससे उनका शुगर जंप कर गया. जैसे तैसे सिचुएशन को कंट्रोल किया. अब ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए जद्दोजहद शुरू हुई. मेरे कजिन भाई ने एक दिन लाइन में धक्कामुक्की खाकर ओक्सीजन सिलेंडर का बंदोबस्त किया. जिस काऱण मेरा भाई और चाचा पॉजिटिव हो गए. मेरे चाचा तो अभी तक सीरियस हैं और हम उनके लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं. ये सिर्फ मेरी नहीं बल्कि हममें से अधिकांश की आपबीती रही होगी . इसलिए संभल जाएं और कोरोना को हलके में न लें.