कोरोना लौकडाउन के दौरान घरों में इकट्ठा परिवार के सदस्य तरहतरह की डिशें बनवाकर स्वाद के मजे ले रहे हैं. हालांकि, कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें जरूरतभर खाना नहीं मिल पा रहा. बहराल, यहां हम खानपान से जुड़ी कुछ भ्रांतियों पर रोशनी डालेंगे.
भोजन संबंधी पुरानी धारणाएं आज भी फिट बैठती हों, इसकी गारंटी नहीं मानी जा सकती. उन धारणाओं के मुताबिक, चलते रहना भी शरीर के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. आज की तेज रफ्तार जिंदगी ने लोगों के खानपान को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. आजकल खाने के मामले में ज्यादातर लोगों का मानना यह है कि जो भी मिल जाए, उसी से पेट भर लो.
नतीजतन, कई तरह की सेहत संबंधी दिक्कतों ने लोगों को घेर लिया है. खानपान दुरुस्त करने की हड़बड़ाहट में लोग कई तरह की भ्रांतियों का शिकार हो जाते हैं. मसलन, मोटापे के शिकार व्यक्ति को यदि कोई बता दे कि खाना बंद कर देना है तो वह ऐसा करने लगता है. संतुलित भोजन न लेने पर पैदा होने वाली दिक्कतों से निबटने के लिए हर किसी की सलाह पर अमल कर लेना लोगों की आदत बन जाती है.
कई बार सलाह कारगर होती है तो कई बार सेहत पर इसका उलटा असर पड़ता है. सही जानकारी न होने की वजह से नुकसान होते रहने के बावजूद सलाह पर अमल करना जारी रहता है. आखिरकार, गंभीर नतीजे सामने आते हैं. कुल मिलाकर खानपान के मामले में बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत है.
1. कैसा पानी पिएं
शहरों में आजकल बोतलबंद पानी का इस्तेमाल बहुत होने लगा है. बोतलबंद पानी को नल के पानी से अधिक पोषक बताकर बेचा जा रहा है. हालांकि, हकीकत यह है कि नल के पानी में बोतलबंद पानी से ज्यादा खनिज होते हैं. अहम बात यह है कि बोतलबंद पानी में सोडियम की मात्रा अधिक होती है, जो हाई ब्लडप्रैशर की स्थिति पैदा कर सकती है.