बस! डर चुके. अब और नहीं. वरना भूख मार डालेगी. डराने वाला तो डराता रहेगा. बदले वातावरण में जीवनशैली को बदलें. लौकडाउन को लौकआउट करने का वक्त है. कामकाज शुरू हो और अर्थव्यवस्था को गति मिले.
तालाबंदी यानी लौकडाउन लागू होने के चलते देश ठहरा हुआ है. यह भी सच है कि तकरीबन पूरी दुनिया ठहरी है. लेकिन वहीं, तालाबंदी के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं. अमेरिका में लोग सड़कों पर उतर चुके हैं, वे एहतियात यानी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ रोजीरोटी अर्जित करने की इजाज़त दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
अमेरिका की तरह अब भारत में भी केंद्र और राज्य सरकारों के जारी लौकडाउन के खिलाफ आवाजें मुखर होने लगी हैं. इनमें सबसे पहला नाम विश्वविख्यात आईटी कंपनी इंफोसिस के फाउंडर एन आर नारायणमूर्ति का आता है.
तालाबंदी के चलते देशवासी भूख से अब और न मरें, इसके लिए तालाबंदी को आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए. इंफोसिस प्रमुख एन आर नारायणमूर्ति ने एक वैबिनार कौन्फ्रैंस में सरकार के तालाबंदी बढ़ाने के फैसले को लेकर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि अगर देशबंदी यानी तालाबंदी 3 मई के बाद भी जारी रहती है, तो कोरोना वायरस से नहीं, भूख से होंगी ज्यादा मौतें.
विकासशील या अन्य विकसित देशों की अपेक्षा भारत की स्थिति पर नजर डालते हुए मूर्ति ने कहा कि हमें समझना चाहिए कि हमारा देश लंबे वक्त तक तालाबंदी को झेलने में सक्षम नहीं है. वे अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि अगर तालाबंदी एक बार फिर आगे बढ़ाई जाती है तो एक वक्त ऐसा आएगा, जब कोविड-19 महामारी से कहीं ज्यादा मौतें देश में भूख से होने लगेंगी.
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