लेखक- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
जानलेवा कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में दहशत के बीच इस संक्रमण की दवा को लेकर नई उम्मीद जगी है. भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी सिप्ला 6 मास में इस लाइलाज कोरोना वायरस के उपचार के लिए दवा का बना लेगी. यदि ऐसा हो पाया तो सांस लेने से जुड़ी दिक्कतों और फ्लू के बेहतर इलाज का ईजाद करने वाली सिप्ला भारत की पहली कंपनी हो जाएगी, जिसे कोविड-19 की दवा बनाने का श्रेय भारत मे हासिल होगा. यह दवा कंपनी वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ मिलकर कोविड-19 के उपचार की दवा बनाने में जुटी है.यह कंपनी सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर कोरोना की दवा विकसित करने के साथ ही इस संक्रमण से सांस लेने से संबंधित तकलीफों में ली जाने वाली दवा, अस्थमा में ली जाने वाली एंटी वायरल दवाओं और एचआईवी की दवाओं के इस्तेमाल पर भी अनुसंधान कर रही है. इसके लिए इस कंपनी ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी से सक्रिय फार्मा अवयवों (एपीआई) को बनाने के लिए मदद मांगी है.
आईआईसीटी के निदेशक एस चंद्रशेखर और प्रमुख वैज्ञानिक प्रथम एस मेनकर के अनुसार सिप्ला के अध्यक्ष वाईके हामिद ने उनसे एंटी वायरल कंपाउंड – फेविपिरावीर, रेमेडिसविर और बोलैक्सेविर तैयार करने के संबंध में संपर्क किया है. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों में कई एंटी-वायरल दवाओं की खोज की गई थी, लेकिन मांग में कमी के कारण क्लिनिकल ट्रायल के बाद इसे रोक दिया गया था.
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