पूरा विश्व करोना नाम की महामारी से जूझ रहा है और हम अपने को आधुनिक मानने वाले लोग आज भी अंधविश्वास को छोड़ नहीं पा रहे. कहने को यह 21वीं सदी का वैज्ञानिक दौर है लेकिन सोच अभी भी कुछ लोगों की वही पुरानी और दकियानूसी.
उदाहरण 1
मध्य प्रदेश के जिला भिंड को ही लीजिए. यहां लोग आजकल रात के समय अपने घर के बाहर यमदीप चला रहे हैं और तर्क यह है कि इस दीपक से यमराज प्रसन्न होंगे और मृत्यु उन लोगों से दूर रहेगी. साथ ही अगर घर में कोई रामचरितमानस है व उसके किसी पन्ने पर कोई बाल मिलता है .तो उसे पानी में घोलकर पीने से करोना महामारी से बचे रहेंगे.सबसे हैरानी की बात यह है कि बे पढ़े लिखे तो दूर ,पढ़े लिखे लोग भी यह सब टोटके अपना रहे हैं.
उदाहरण 2
बांकेगंज, गुलरिया और तिकुनियां कस्बे में दो दिन पहले रात को नौ बजे अधिकांश महिलाओं ने नलों से बाल्टियों में पानी भरना शुरू कर दिया. और फिर मंदिर के प्रांगण में स्थित कुएं में यह पानी लौटा .जिस महिला की जितनी संतान थी उसके हिसाब से बाल्टियां भरी. फिर वापिस आकर घरों की देहरी पर दिए जलाए.ताकि उनका घर पति और संतान महामारी से बचे रहें.
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उदाहरण 3
वहीं कल सुबह बांकेगंज इलाके के कुछ गांवों में सभी औरतों ने मसाला पीसने वाली सिल के बीचोबीच गाय का गोबर रखकर ,इस भारी सिल को सिर पर रखकर पूरे गांव का चक्कर लगाया. उनका मानना था तरह की पूजा से उनके इष्ट प्रसन्न हो जाएंगे और गांव में महामारी कदम नहीं रखेगी.